नई दिल्ली : हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को घर-घर राशन भेजने के लिए उचित मूल्य की दुकानों में भेजे जाने वाले अनाज में कटौती करने को हरी झंडी दे दी है. जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा कि जिन लोगों ने उचित मूल्य की दुकानों के बदले घर राशन मंगाने का विकल्प चुना है, उन्हें राशन की होम डिलीवरी दी जा सकती है.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार की इस दलील में कहा है कि काफी संख्या में लोगों ने राशन घर मंगाने का विकल्प चुना है, इसलिए उचित मूल्य की दुकानों में राशन सप्लाई में कटौती करनी होगी. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो राशन घर मंगाने वाले कार्डधारकों की सूची उचित मूल्य के दुकानदारों से साझा करें. कोर्ट ने दिल्ली सरकार की इस दलील को भी नोट किया कि घर राशन मंगाने वाले कार्डधारकों को उचित मूल्य की दुकानों से राशन लेने का विकल्प खुला रहेगा.
दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ ने याचिका दायर कर कहा था कि इस योजना को लाइसेंस उचित मूल्य के डीलर्स को नजरअंदाज कर स्वीकृति दी गई है. याचिका में कहा गया था कि इस योजना को लागू करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में जरुरी संशोधन नहीं किया गया है. याचिका में दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाईज कारपोरेशन की ओर से अक्टूबर 2021 में जारी टेंडर को निरस्त करने की मांग की गई थी.
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इस टेंडर में गेहूं और चावल की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और उनका परिवहन गोडाउन से लेकर सीधे घर तक पहुंचने की योजना है. दिल्ली सरकार ने इस योजना को 21 जुलाई 2020 को घोषित किया था. इस योजना के तहत गेहूं, आटा, चावल और चीनी के पैकेट लाभार्थियों के घरों तक सीधे पहुंचाया जाएगा और याचिका में कहा गया था कि ये योजना उचित मूल्य के डीलर्स के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिका में इस योजना को रोकने की मांग की गई है.