नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने शुक्रवार को आप सरकार (AAP Govt) से सवाल किया कि जब ब्रेथ ऐनालाइजर जांच की अनुमति है, तो वह कोविड-19 (Covid-19) को फैलने से रोकने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर हर्बल हुक्का (Herbal Hukkah) पर लगाए गए प्रतिबंध पर पुन:विचार क्यों नहीं करती है. अदालत ने रेस्तरां और बार की ओर से दायर पांच याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
इन रेस्तरां और बार ने अदालत में याचिका दायर कर हर्बल फ्लेवर हुक्का की बिक्री में हस्तक्षेप नहीं करने और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश राज्य तथा पुलिस को देने का अनुरोध किया है.
जस्टिस रेखा पल्ली की एकल पीठ ने कहा कि नोटिस जारी करें. दिल्ली सरकार (Delhi Government) के वकील इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने के लिए वक्त मांग रहे हैं कि ब्रेथ एनालाइजर जांच की अनुमति मिलने के बाद तीन अगस्त, 2020 के आदेश पर पुन:विचार क्यों नहीं किया जाए. आशा की जा रही है कि डीडीएमए इस पहलू पर तत्काल विचार करेगा. इसके साथ ही उन्होंने मामले की सुनवाई 30 सितंबर के लिए स्थिगित कर दी. अदालत ने कहा कि जब दिल्ली पुलिस ने ब्रेथ एनालाइजर जांच की अनुमति दे दी है तो हुक्का पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश पर पुन:विचार क्यों नहीं किया जाना चाहिए.
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इस संबंध में ब्रेथ फाइन लाउंज एंड बार, टीओएस, आर. हाई स्पीडबार एंड लाउंज, बरांदा मूनशाइन एंड सिक्सथ एम्पिरिका लाउंज (पंजाबी बाग) ने अलग-अलग अजिग्यां देकर संयुक्त पुलिस आयुक्त (लाइसेंस इकाई) के आदेश को चुनौती दी है जिसमें उन्होंने रेस्तरां/बार में हर्बल फ्लेवर हुक्का की बिक्री और सेवा पर पाबंदी लगाई है.
अर्जियों में कहा गया है कि आवेदक हर्बल हुक्का सेवा प्रदान कर रहे थे, जिसके लिए किसी लाइसेंस की जरुरत नहीं थी, क्योंकि वह पूरी तरह तम्बाकू मुक्त थे. लेकिन पुलिस इसके बावजूद छापे मार रही है, हुक्का जब्त कर रही है और चालान काट रही है.
आवेदकों के वकीलों ने अदालत को बताया कि उनके रेस्तरां में वे सभी को अलग-अलग हुक्का देते हैं और वह ग्राहकों के बीच साझा नहीं किया जाता है, और उनके यहां आने वाले महज पांच से 10 प्रतिशत ग्राहक ही हुक्का ऑर्डर करते हैं. वकील ने कहा कि उनके (रेस्तरां/बार) पास ऑर्डर से ज्यादा हुक्के हैं. और अब जब शासन ने ब्रेथ एनालाइजर जांच की अनुमति दे दी है तो ऐसे में हुक्कों की अनुमति नहीं देने का कोई कारण नहीं बनता है. वकील ने एक लाउंज/बार का नाम लेते हुए दावा किया कि वहां हुक्का मिल रहा है और आवेदकों में भेद-भाव नहीं किया जा सकता है.
इन याचिकाओं का दिल्ली सरकार के स्थाई वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने विरोध करते हुए कहा कि एक गलती की पूरी दिल्ली को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और सार्वजनिक स्थानों पर हुक्का की अनुमति देने पर लोग उसे साझा करेंगे और इससे कोविड-19 फैलेगा.
(पीटीआई-भाषा)