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'अपनी गलती छिपा रही केंद्र, ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच कराएगी दिल्ली सरकार' - Manish Sisodia

मनीष सिसोदिया ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई मौतों की जांच को लेकर जमकर निशाना साधा है. इसी के साथ दिल्ली में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान मौतों की जांच के लिए समिति गठित करने की अनुमति नहीं देने का भी आरोप लगाया.

मनीष सिसोदिया
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Published : Jul 21, 2021, 4:27 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री (Delhi Deputy Chief Minister) मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने बुधवार को कहा, अगर केंद्र दिल्ली सरकार को एक समिति गठित करने की अनुमति देता है, तो शहर में कोविड-19 की दूसरी लहर (second wave of covid 19) के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई सभी मौतों की जांच की जाएगी.

उन्होंने केंद्र पर 'अपनी गलती छिपाने' की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि उनके 'कुप्रबंधन' व 13 अप्रैल के बाद ऑक्सीजन वितरण नीति (oxygen distribution policy) में किए गए बदलाव से देशभर के अस्पतालों में जीवनरक्षक गैस की कमी (life saving gas shortage) हुई, जिससे 'आपदा' आई.

ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में मनीष सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत केंद्र सरकार पर दिल्ली में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई मौतों की जांच के लिए समिति गठित करने की अनुमति नहीं देने का भी आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, सरकार ने बेशर्मी से संसद में सफेद झूठ बोला है. 15 अप्रैल के बाद से पांच मई तक ऑक्सीजन की कमी के कारण अफरा-तफरी मची हुई थी और इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हुई.

पढ़ें- क्या भारत में कोरोना से 47 लाख लोगों की मौत हो चुकी है ?

आम आदमी पार्टी (AAP) नेता ने कहा, दिल्ली सरकार ने जिम्मेदारी लेते हुए ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई सभी मौतों की जांच के लिए कमिटी गठित करने की कोशिश की, लेकिन केंद्र ने उपराज्यपाल के माध्यम से इसे रोक दिया.

उन्होंने दावा किया कि केंद्र ने 'अपने कुप्रंबधन के खुल जाने के डर से' समिति के गठन को अनुमति नहीं दी. सिसोदिया ने कहा कि अगर केंद्र उसे समिति गठित करने की अनुमति दे तो केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन की कमी से हुई प्रत्येक मौत की स्वतंत्र जांच के लिए अब भी तैयार है.

केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को सूचित किया था कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किसी की भी मौत ऑक्सीजन की कमी से होने की जानकारी नहीं दी गई. उन्होंने कहा कि लेकिन दूसरी लहर के दौरान चिकित्सीय ऑक्सीजन की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई और यह पहली लहर में 3,095 मीट्रिक टन की तुलना में करीब 9,000 मीट्रिक टन पर पहुंच गई थी, जिसके बाद राज्यों के बीच बराबर वितरण के लिए केंद्र को बीच में आना पड़ा था.

(भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली के उपमुख्यमंत्री (Delhi Deputy Chief Minister) मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने बुधवार को कहा, अगर केंद्र दिल्ली सरकार को एक समिति गठित करने की अनुमति देता है, तो शहर में कोविड-19 की दूसरी लहर (second wave of covid 19) के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई सभी मौतों की जांच की जाएगी.

उन्होंने केंद्र पर 'अपनी गलती छिपाने' की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि उनके 'कुप्रबंधन' व 13 अप्रैल के बाद ऑक्सीजन वितरण नीति (oxygen distribution policy) में किए गए बदलाव से देशभर के अस्पतालों में जीवनरक्षक गैस की कमी (life saving gas shortage) हुई, जिससे 'आपदा' आई.

ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में मनीष सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत केंद्र सरकार पर दिल्ली में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई मौतों की जांच के लिए समिति गठित करने की अनुमति नहीं देने का भी आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, सरकार ने बेशर्मी से संसद में सफेद झूठ बोला है. 15 अप्रैल के बाद से पांच मई तक ऑक्सीजन की कमी के कारण अफरा-तफरी मची हुई थी और इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि ऑक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हुई.

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आम आदमी पार्टी (AAP) नेता ने कहा, दिल्ली सरकार ने जिम्मेदारी लेते हुए ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई सभी मौतों की जांच के लिए कमिटी गठित करने की कोशिश की, लेकिन केंद्र ने उपराज्यपाल के माध्यम से इसे रोक दिया.

उन्होंने दावा किया कि केंद्र ने 'अपने कुप्रंबधन के खुल जाने के डर से' समिति के गठन को अनुमति नहीं दी. सिसोदिया ने कहा कि अगर केंद्र उसे समिति गठित करने की अनुमति दे तो केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन की कमी से हुई प्रत्येक मौत की स्वतंत्र जांच के लिए अब भी तैयार है.

केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को सूचित किया था कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किसी की भी मौत ऑक्सीजन की कमी से होने की जानकारी नहीं दी गई. उन्होंने कहा कि लेकिन दूसरी लहर के दौरान चिकित्सीय ऑक्सीजन की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई और यह पहली लहर में 3,095 मीट्रिक टन की तुलना में करीब 9,000 मीट्रिक टन पर पहुंच गई थी, जिसके बाद राज्यों के बीच बराबर वितरण के लिए केंद्र को बीच में आना पड़ा था.

(भाषा)

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