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हाई काेर्ट ने संजय वन काे लेकर दिल्ली सरकार काे दिए ये निर्देश

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह संजय वन के चारों ओर ‘कंटीले तारों की बाड़बंदी’ के खिलाफ आपत्ति पर छह सप्ताह के भीतर फैसला करे. आपत्ति दर्ज कराने वाले का कहना है कि इससे जानवरों को नुकसान हो रहा है.

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Published : Oct 16, 2021, 6:35 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने मुख्य वन्यजीव संरक्षक, वन्यजीव संरक्षक और उप वन संरक्षक (दक्षिण दिल्ली) को निर्देश दिया कि वह छह सप्ताह के भीतर वरहाइन खन्ना द्वारा उठाई गई आपत्ति पर आदेश पारित करें.

खन्ना ने अपनी अर्जी में कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि सुरक्षा दीवार ऐसे बनाई गई है जिससे संजय वन में रहने वाले जानवरों की झील तक की आवाजाही बाधित हो रही है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि उन्हें याचिकाकर्ता के आवेदन पर तेजी से कार्रवाई करने पर कोई आपत्ति नहीं है.

न्यायाधीश ने 11 अक्टूबर को दिए आदेश में कहा कि प्रतिवादी के रुख का अध्ययन करने के बाद रिट याचिका का इस निर्देश के साथ निपटारा किया जाता है कि प्रतिवादी याचिकाकर्ता की 25 जून 2019 को दी गई अर्जी पर आज से छह सप्ताह के भीतर तार्किक और स्पष्ट आदेश पारित करेगा.

अदालत ने इसके साथ ही कहा कि वह याचिकाकर्ता के दावे के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है. न्यायाधीश ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता को उसकी अर्जी पर पारित आदेश को लेकर शिकायत होगी तो वह कानून में प्रदत्त प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई को स्वतंत्र है.
याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा कि उसने जून 2019 में कंटीले तारों की बाड़बंदी को हटाने का अनुरोध किया और पिछले साल सितंबर में भी स्मरण कराया लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि जरूरी कार्रवाई नहीं किए जाने से वन्य जीवों के जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम -1972 का उल्लंघन है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने मुख्य वन्यजीव संरक्षक, वन्यजीव संरक्षक और उप वन संरक्षक (दक्षिण दिल्ली) को निर्देश दिया कि वह छह सप्ताह के भीतर वरहाइन खन्ना द्वारा उठाई गई आपत्ति पर आदेश पारित करें.

खन्ना ने अपनी अर्जी में कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि सुरक्षा दीवार ऐसे बनाई गई है जिससे संजय वन में रहने वाले जानवरों की झील तक की आवाजाही बाधित हो रही है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि उन्हें याचिकाकर्ता के आवेदन पर तेजी से कार्रवाई करने पर कोई आपत्ति नहीं है.

न्यायाधीश ने 11 अक्टूबर को दिए आदेश में कहा कि प्रतिवादी के रुख का अध्ययन करने के बाद रिट याचिका का इस निर्देश के साथ निपटारा किया जाता है कि प्रतिवादी याचिकाकर्ता की 25 जून 2019 को दी गई अर्जी पर आज से छह सप्ताह के भीतर तार्किक और स्पष्ट आदेश पारित करेगा.

अदालत ने इसके साथ ही कहा कि वह याचिकाकर्ता के दावे के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है. न्यायाधीश ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता को उसकी अर्जी पर पारित आदेश को लेकर शिकायत होगी तो वह कानून में प्रदत्त प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई को स्वतंत्र है.
याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा कि उसने जून 2019 में कंटीले तारों की बाड़बंदी को हटाने का अनुरोध किया और पिछले साल सितंबर में भी स्मरण कराया लेकिन अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि जरूरी कार्रवाई नहीं किए जाने से वन्य जीवों के जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम -1972 का उल्लंघन है.

(पीटीआई-भाषा)

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