नई दिल्ली: दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने बुधवार को भाजपा नेता विनय कुमार सिंह की बीबीसी की 'द मोदी क्वेश्चन नामक' डॉक्यूमेंट्री के संबंध में दायर मानहानि के मुकदमे पर बीबीसी को समन जारी किया. अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) रुचिका सिंगला ने विकिमीडिया फाउंडेशन (जो विकिपीडिया को फंड करती है) और यूएस स्थित डिजिटल लाइब्रेरी (जिसे इंटरनेट आर्काइव कहा जाता है) को भी समन जारी किया. अगली सुनवाई 11 मई को होगी.
कोर्ट ने 30 दिनों के भीतर लिखित बयान दर्ज करने का निर्देश दिया है. विनय कुमार ने अपने को झारखंड भाजपा की राज्य कार्यकारी समिति का सदस्य बताया है. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के सक्रिय स्वयंसेवक हैं. उन्होंने यह याचिका अधिवक्ता मुकेश कुमार के माध्यम से दायर किया है.
छवि खराब करने की कोशिशः दायर मुकदमे में कहा गया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ने आरएसएस, विहिप और भाजपा जैसे संगठनों को बदनाम किया है. आरएसएस और वीएचपी के खिलाफ लगाए गए आरोप संगठन और उसके लाखों सदस्यों-स्वयंसेवकों को बदनाम करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्रेरित हैं. इस तरह के आरोप न केवल निराधार हैं, बल्कि आरएसएस, वीएचपी की प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंचाने की क्षमता भी रखते हैं. इसके लाखों सदस्य-स्वयंसेवक, जिन्होंने भारत के सांस्कृतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है. यह उनकी भावनाओं को भी आहत किया है.
डॉक्यूमेंट्री से समाज में भय और आतंक का माहौलः याचिका में आगे कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री की रिलीज ने विभिन्न समूहों के सदस्यों के बीच आतंक और भय का माहौल पैदा किया है और देश भर में एक बार फिर से हिंसा भड़काने और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डालने की क्षमता रखता है. प्रतिवादी नंबर एक (बीबीसी) ने दावों की प्रामाणिकता की पुष्टि किए बिना रणनीतिक और उद्देश्यपूर्ण रूप से निराधार अफवाहें फैलाईं. इसके अलावा, इसमें लगाए गए आरोप कई धर्म समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं और मुसलमानों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देते हैं.
इंटरनेट से सामग्री हटाने की मांगः हालांकि, भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन डॉक्यूमेंट्री की श्रृंखला को समर्पित एक विकिपीडिया पृष्ठ इसे देखने के लिए लिंक प्रदान करता है और सामग्री अभी भी इंटरनेट आर्काइव पर उपलब्ध है. यह एक उचित निष्कर्ष की ओर जाता है कि सभी तीन प्रतिवादी देश की छवि को खराब करने के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) जैसे प्रतिष्ठित संगठनों की छवि को खराब करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. इसलिए बीबीसी, विकिमीडिया और इंटरनेट आर्काइव हटाया जाएं.
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