नई दिल्लीः इस वर्ष 15 अगस्त को देश 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. यह दिन भारत के गौरवशाली इतिहास के सबसे बड़े दिनों में से एक हैं. लंबे समय तक ब्रिटेन का उपनिवेश रहे भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली थी और इस लिहाज से आने वाला एक साल काफी महत्वपूर्ण है.
ठीक एक साल बाद 15 अगस्त 2022 को देश को आजादी मिले 75 साल पूरे हो जाएंगे. इस अवसर पर दिल्ली की पहली सेंट्रल असेंबली (मौजूदा दिल्ली विधानसभा) को टूरिस्ट प्लेस में तब्दील करने का निर्णय लिया गया है.
दिल्ली असेंबली के अध्यक्ष रामनिवास गोयल के अनुसार, आने वाले एक साल, यानी 15 अगस्त 2022 से पहले दिल्ली असेंबली परिसर टूरिस्ट प्लेस के तौर पर तब्दील हो जाएगा. इसके लिए जल्द ही काम शुरू होने वाला है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली जब देश की राजधानी बनी थी, तब मौजूदा असेंबली को सेंट्रल असेंबली के नाम से जाना जाता था. अंग्रेजों द्वारा बनाई गई इस असेंबली में ही सभाएं होती थीं. तमाम स्वतंत्रता सेनानी बैठकों में आते थे. उस दौरान की तस्वीरों को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री बनाने का काम शुरू हो चुका है. असेंबली परिसर में एक फांसी घर हुआ करता था. इसे पुराने स्वरूप में तैयार कर, स्वतंत्रता सेनानियों के मंदिर का नाम दिया जाएगा. वहां, पर उनके चित्र, चीजें आदि संभाल कर रखी जाएंगी.
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रामनिवास गोयल ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में पहले दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कार्यालय होते थे. अब यह कार्यालय आईटीओ स्थित सचिवालय में शिफ्ट हो गये हैं. इस असेंबली परिसर में साल भर में 30 से 40 दिन असेंबली बुलाई जाती है. बाकी दिनों में यहां पर चहलकदमी नहीं होती है, तो स्वतंत्रता दिवस के 75 साल पूरे होने से पहले विधानसभा को टूरिस्ट प्लेस के तौर पर तब्दील कर आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा. यहां पर संग्रहालय बनाए जाएंगे, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले महापुरुषों से जुड़ी यादों को संजो कर रखा जाएगा.
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इसके देखरेख की जिम्मेदारी दिल्ली पर्यटन विभाग को दी जाएगी. इसका संचालन भी पर्यटन विभाग ही करेगा. विधानसभा परिसर में ही वीडियो डॉक्यूमेंट्री दिखाने के लिए प्लेनेटोरियम की तरह स्क्रीन बनाई जाएगी, जिसमें दिल्ली के बदलते स्वरूप पर बनी फिल्म प्रदर्शित की जाएगी. उम्मीद है कि यह सब लोग पसंद करेंगे.
1912 में पूरा हुआ था निर्माण कार्य
बता दें कि दिल्ली असेंबली ई मोंटेग द्वारा डिज़ाइन किया गया है. इसका निर्माण कार्य 1912 में पूरा हुआ था. परिसर का, जो वर्तमान स्वरूप है, यह अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था. जब देश की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित हुई थी, तब करीब एक दशक तक यहां केंद्रीय सचिवालय का काम काज हुआ. संसद बनने से पूर्व देशहित के बड़े फैसले, इसी विधानसभा में लिए गए थे.