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दिल्ली : एम्स ने बंद की शैक्षणिक गतिविधि, छात्रों को भेजा घर

दिल्ली एम्स ने कोरोना मामलों को देखते हुए अपने काम-काज के तरीकों में आवश्यक सुधार किया है. इसके तहत मरीजों का इलाज बिना रैपिड एंटीजेन टेस्ट किये शुरू नहीं करने को निर्देशित किया गया है. सभी शैक्षणिक गतिविधि को बंद कर अंडर ग्रेजुएट छात्रों को घर भेज दिया है और वहीं से उन्हें ऑनलाइन मोड से स्टडी करने को कहा गया है.

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Published : Apr 7, 2021, 12:51 PM IST

Updated : Apr 7, 2021, 1:36 PM IST

delhi aiims halts educational activity
delhi aiims halts educational activity

नई दिल्ली : राजधानी में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसको देखते हुए देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में दी जाने वाली सेवाओं को लेकर डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने मीटिंग की. इस मीटिंग में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. इसमें सबसे अहम निर्णय एकेडमिक एक्टविटीज को लेकर किया गया है. इसके तहत एम्स में सभी शैक्षणिक गतिविधि ऑनलाइन होंगी. वहीं अंडर ग्रेजुएट छात्रों को घर भेजने का निर्णय किया गया है.

बिना एंटीजेन टेस्ट रिपोर्ट के मरीजों का इलाज नहीं
अस्पताल के इमरजेंसी मेडिसिन डायग्नोस्टिक टीम के विभागाध्यक्ष को निर्देशित किया गया है कि इमरजेंसी में आने वाले सभी मरीजों का रैपिड एंटीजन टेस्ट करने के बाद ही उनका इलाज शुरू किया जाए. यह नियम सभी विभागों में अनिवार्य कर दिया गया है. बिना टेस्ट किए मरीज को अस्पताल परिसर में डॉक्टर्स के पास नहीं आने दिया जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए आइसोलेशन और क्वॉरंटाइन फैसिलिटी शुरू
पहले की तरह हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए आइसोलेशन और क्वॉरंटाइन फैसिलिटी को शुरू कर दिया गया है. साथ ही अस्पताल के विभिन्न वार्ड में नॉन कोविड बेड्स पर भर्ती मरीजों को वापस घर भेजा जा रहा है और उनके बेड खाली कराए जा रहे हैं. इन बेड्स पर अब कोरोना के संदिग्ध और संक्रमित मरीजों को एडमिट किया जाएगा जैसा कि पहले किया जा रहा था. इस काम के लिए मेडिकल सुपरिटेंडेंट और प्रोफेसर सिद्धार्थ सतपति को इंचार्ज बनाया गया है.

अस्पताल के ज्यादातर संसाधनों का इस्तेमाल कोविड मरीजों के इलाज पर होगा खर्च
आने वाले सप्ताह में नॉन कोविड मरीजों को धीरे-धीरे कम किया जाएगा और अस्पताल के ज्यादातर संसाधनों का इस्तेमाल कोरोना के मरीजों की देखभाल पर किया जाएगा. अस्पताल के हेल्थ केयर वर्कर्स की सुरक्षा का ध्यान में रखते हुए उनके वर्क लोड को कम किया जाएगा.

पढ़ें- दिल्ली में आज कोरोना 5 हजार के पार, 24 घंटे में हुए रिकॉर्ड 1 लाख टेस्ट

इसके लिए नॉन कोविड मरीजों को कम से कम देखा जाएगा. अस्पताल के सामान्य वार्ड में बेड का मूल्यांकन किया जाएगा और कोरोना के बढ़ते मरीजों को वहां एडमिट किया जाएगा. इस मामले की देखभाल मेडिकल सुपरिटेंडेंट करेंगे.

इन्फेक्शन कंट्रोल टीम को किया एक्टिवेट
पहले की तरह ही इनफेक्शन कंट्रोल डिपार्टमेंट को दोबारा एक्टिवेट किया जाएगा और कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग का काम भी शुरू किया जाएगा. यह काम अस्पताल के सभी विभाग के अध्यक्ष करेंगे. डिपार्टमेंटल नोडल अधिकारियों के साथ जल्दी से जल्दी मीटिंग की जाएगी और एक्शन प्लान पर निर्णय लिए जाएंगे.

नई दिल्ली : राजधानी में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसको देखते हुए देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में दी जाने वाली सेवाओं को लेकर डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने मीटिंग की. इस मीटिंग में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. इसमें सबसे अहम निर्णय एकेडमिक एक्टविटीज को लेकर किया गया है. इसके तहत एम्स में सभी शैक्षणिक गतिविधि ऑनलाइन होंगी. वहीं अंडर ग्रेजुएट छात्रों को घर भेजने का निर्णय किया गया है.

बिना एंटीजेन टेस्ट रिपोर्ट के मरीजों का इलाज नहीं
अस्पताल के इमरजेंसी मेडिसिन डायग्नोस्टिक टीम के विभागाध्यक्ष को निर्देशित किया गया है कि इमरजेंसी में आने वाले सभी मरीजों का रैपिड एंटीजन टेस्ट करने के बाद ही उनका इलाज शुरू किया जाए. यह नियम सभी विभागों में अनिवार्य कर दिया गया है. बिना टेस्ट किए मरीज को अस्पताल परिसर में डॉक्टर्स के पास नहीं आने दिया जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए आइसोलेशन और क्वॉरंटाइन फैसिलिटी शुरू
पहले की तरह हेल्थ केयर वर्कर्स के लिए आइसोलेशन और क्वॉरंटाइन फैसिलिटी को शुरू कर दिया गया है. साथ ही अस्पताल के विभिन्न वार्ड में नॉन कोविड बेड्स पर भर्ती मरीजों को वापस घर भेजा जा रहा है और उनके बेड खाली कराए जा रहे हैं. इन बेड्स पर अब कोरोना के संदिग्ध और संक्रमित मरीजों को एडमिट किया जाएगा जैसा कि पहले किया जा रहा था. इस काम के लिए मेडिकल सुपरिटेंडेंट और प्रोफेसर सिद्धार्थ सतपति को इंचार्ज बनाया गया है.

अस्पताल के ज्यादातर संसाधनों का इस्तेमाल कोविड मरीजों के इलाज पर होगा खर्च
आने वाले सप्ताह में नॉन कोविड मरीजों को धीरे-धीरे कम किया जाएगा और अस्पताल के ज्यादातर संसाधनों का इस्तेमाल कोरोना के मरीजों की देखभाल पर किया जाएगा. अस्पताल के हेल्थ केयर वर्कर्स की सुरक्षा का ध्यान में रखते हुए उनके वर्क लोड को कम किया जाएगा.

पढ़ें- दिल्ली में आज कोरोना 5 हजार के पार, 24 घंटे में हुए रिकॉर्ड 1 लाख टेस्ट

इसके लिए नॉन कोविड मरीजों को कम से कम देखा जाएगा. अस्पताल के सामान्य वार्ड में बेड का मूल्यांकन किया जाएगा और कोरोना के बढ़ते मरीजों को वहां एडमिट किया जाएगा. इस मामले की देखभाल मेडिकल सुपरिटेंडेंट करेंगे.

इन्फेक्शन कंट्रोल टीम को किया एक्टिवेट
पहले की तरह ही इनफेक्शन कंट्रोल डिपार्टमेंट को दोबारा एक्टिवेट किया जाएगा और कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग का काम भी शुरू किया जाएगा. यह काम अस्पताल के सभी विभाग के अध्यक्ष करेंगे. डिपार्टमेंटल नोडल अधिकारियों के साथ जल्दी से जल्दी मीटिंग की जाएगी और एक्शन प्लान पर निर्णय लिए जाएंगे.

Last Updated : Apr 7, 2021, 1:36 PM IST
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