नई दिल्ली : राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले रक्षा मंत्रालय ने अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर पदोन्नति के लिए महानिरीक्षक रैंक के अधिकारियों के रिकॉर्ड में जालसाजी के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं.
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने यहां कहा कि मामले को रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के संज्ञान में लाए जाने के बाद पदोन्नति बोर्ड को खत्म कर दिया गया और संयुक्त सचिव स्तर पर आंतरिक जांच के आदेश दिए गए हैं. रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि आरोपों की जांच चल रही है लेकिन उन्होंने इस मामले में आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा सचिव अजय कुमार दोनों ने मंत्रालय में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है और पूर्व में भी दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है.
सूत्रों ने कहा कि यह मामला जुलाई में शुरू हुआ था जब अतिरिक्त महानिदेशक रैंक के एक पद के लिए पदोन्नति बोर्ड आयोजित किया गया था. आरोप है कि बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजों और रक्षा मंत्रालय के अभिलेखों में मूल दस्तावेजों में संबंधित अधिकारियों को दिए गए अंकों में विसंगति थी.
यह आरोप लगाया गया है कि जालसाजी के परिणामस्वरूप एक कनिष्ठ अधिकारी को उच्च पद पर पदोन्नत किया गया. रक्षा मंत्रालय का रक्षा विभाग भारतीय तटरक्षक बल का मूल मंत्रालय है, जबकि अन्य तीन सेवाओं की देखभाल अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के अधीन सैन्य मामलों के विभाग द्वारा की जाती है. यदि जालसाजी के आरोप साबित हो जाते हैं तो इससे भारतीय तटरक्षक अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार अधिकारियों को बर्खास्त भी किया जा सकता है.
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भारतीय तटरक्षक बल रक्षा मंत्रालय के तहत सबसे कम उम्र का बल है और 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार के तहत अपने कैडर अधिकारी को महानिदेशक के रूप पदोन्नति मिली. इस बल की कमान पहले भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल के पास थी.