नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इन दिनों इंडोनेशिया की यात्रा पर हैं. जहां उन्होंने जकार्ता में 10वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक - प्लस (एडीएमएम- प्लस) में भाग लिया. अपने संबोधन में उन्होंने आसियान की केंद्रीयता की पुष्टि की. इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्र में बातचीत और आम सहमति को बढ़ावा देने में एडीएमएम- प्लस की भूमिका की प्रशंसा की. उन्होंने समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) 1982 सहित अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमाओं में निर्बाध नेविगेशन, ओवरफ्लाइट और वैध व्यापार के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई.
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Attended the 10th ASEAN Defence Ministers’ Meeting - Plus (ADMM-Plus) in Jakarta and shared my thoughts on need for deepening collaboration among ASEAN and Plus countries for peace, prosperity & security in the region.
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We are committed towards nurturing practical,… pic.twitter.com/mxn71PMAjk
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रक्षा मंत्री ने क्षेत्रीय सुरक्षा पहलों का आह्वान किया जो विभिन्न पक्षों के बीच व्यापक सहमति को प्रतिबिंबित करने के लिए परामर्श और विकास पर आधारित हों. उन्होंने क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए एडीएमएम-प्लस के साथ व्यावहारिक, दूरदर्शी और उत्पादक सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लिया.
रक्षा मंत्री ने कहा कि युद्ध संघर्ष मानव जीवन की हानि और आजीविका के विनाश के मामले में एक बड़ा नुकसान है. क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को प्रभावित करता है और खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा आदि पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. राजनाथ सिंह ने आसियान के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई. अपने भाषण के दौरान उन्होंने शांति के बारे में महात्मा गांधी के प्रसिद्ध उद्धरण 'शांति का कोई रास्ता नहीं है, शांति ही एकमात्र रास्ता है' उद्धृत किया.
रक्षा मंत्री ने स्थायी शांति और वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित करने में संवाद और कूटनीति की भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने दुनिया को भारत का संदेश दोहराया कि 'यह युद्ध का युग नहीं है', और 'हम बनाम वे' मानसिकता को त्यागने की आवश्यकता के बारे में बात की.
राजनाथ सिंह ने भारत-आसियान गतिविधियों में आसियान सदस्य देशों की उत्साहपूर्ण भागीदारी की सराहना की. उन्होंने विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में महिलाओं के लिए पहल और समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने की पहलों का जिक्र किया. उन्होंने इस वर्ष मई में आयोजित पहले भारत-आसियान नौसैनिक अभ्यास में आसियान सदस्य देशों की सक्रिय भागीदारी के साथ-साथ मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) गतिविधियों पर विशेषज्ञ कार्य समूह (ईडब्ल्यूजी) की भी सराहना की.
यह स्वीकार करते हुए कि आतंकवाद आसियान क्षेत्र सहित अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है. भारत ने आतंकवाद-निरोध पर ईडब्ल्यूजी की सह-अध्यक्षता करने का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव का एडीएमएम-प्लस ने समर्थन दिया क्योंकि आतंकवाद इस क्षेत्र के देशों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है.