हैदराबाद : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी का दौरा किया और हैदराबाद में संत रामानुजाचार्य की पूजा की. इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं स्वामी रामानुज की इस भव्य प्रतिमा को उनके अवतार के रूप में देखता हूं. रामानुजाचार्य हजार साल पहले समानता की आवाज थे.
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Defence Minister Rajnath Singh visits the Statue of Equality and offers prayers to saint Ramanujacharya in Hyderabad
— ANI (@ANI) February 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
"I see this grand statue of Swami Ramanuja as his reincarnation. Ramanujacharya was the voice of equality thousand years ago," said the minister pic.twitter.com/DmYJt5QGdP
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— ANI (@ANI) February 10, 2022
"I see this grand statue of Swami Ramanuja as his reincarnation. Ramanujacharya was the voice of equality thousand years ago," said the minister pic.twitter.com/DmYJt5QGdPDefence Minister Rajnath Singh visits the Statue of Equality and offers prayers to saint Ramanujacharya in Hyderabad
— ANI (@ANI) February 10, 2022
"I see this grand statue of Swami Ramanuja as his reincarnation. Ramanujacharya was the voice of equality thousand years ago," said the minister pic.twitter.com/DmYJt5QGdP
बता दें कि 5 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Modi in Telangana) ने तेलंगाना के शमशाबाद में स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी (Statue of Equality) का उद्घाटन किया था. प्रधानमंत्री के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मंगलवार को हैदराबाद के स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी पहुंचे थे. उन्होंने श्री रामानुजाचार्य की जयंती समारोह में पूजा-अर्चना भी की थी.
बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यवाह मोहन भागवत संत रामानुजाचार्य ने भी भक्त संत श्री रामानुजाचार्य (Bhakti Saint Sri Ramanujacharya) की सहस्राब्दी जयंती के समारोह में शामिल होने के लिए हैदराबाद का दौरा किया था. अपने दौरे में मोहन भागवत ने कहा था कि रामानुजाचार्य का स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिट समाज में समानता, सनातन धर्म का संदेश फैलाएगा. उनके साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हैदराबाद आए थे.
1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में जन्मे रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक संत थे. उन्होंने देशभर में समानता और सामाजिक न्याय की अलख जगाई थी. रामानुज ने भक्ति आंदोलन को नया रूप दिया था. वह अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणास्रोत माने गए हैं. उन्होंने ऊंच-नीच का भेद हटाते हुए समाज की सभी जातियों के लिए मंदिर के दरवाजे खोलने की वकालत की थी. 1137 ई. में वह ब्रह्मलीन हो गए थे.