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आईआईटी-मद्रास परिसर में एंथ्रेक्स से हिरण की मौत - आईआईटी-मद्रास परिस में हिरण

आईआईटी-मद्रास परिसर ( IIT-Madras campus) में हिरण की एंथ्रेक्स से मौत (Deer Died of Anthrax) हो गई, और पिछले दो दिनों में अत्यधिक संक्रामक जूनोटिक बीमारी ( Highly Infectious Zoonotic Disease) के कारण तीन और की मौत होने का संदेह है.

Deer on the IIT-Madras campus died
आईआईटी-मद्रास परिसर में एंथ्रेक्स से हिरण की मौत
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Published : Mar 19, 2022, 4:48 PM IST

चेन्नई: आईआईटी-मद्रास परिसर ( IIT-Madras campus) में हिरणों की एंथ्रेक्स से मौत (Deer Died of Anthrax) हो गई, और पिछले दो दिनों में अत्यधिक संक्रामक जूनोटिक बीमारी ( Highly Infectious Zoonotic Disease) के कारण तीन और की मौत होने का संदेह है. शवों को मानक संचालन प्रक्रियाओं के अनुसार दफनाया गया है. इसके बारे में आईआईटी मद्रास ने एक बयान जारी कर कहा कि पिछले दो दिनों में चार हिरणों की मौत हो चुकी है. जिनमें से एक नमूने के परीक्षण से एंथ्रेक्स की उपस्थिति का पता चला जबकि अन्य तीन नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट अनिर्णायक थे.
शव के निस्तारण में मानक संचालन प्रक्रियाओं (Standard Operating Procedures) का पालन किया जा रहा है. जिस इलाके में शव मिला था, उसे सेनिटाइज कर उसकी घेराबंदी कर दी गई है. बयान में कहा गया कि हम परिसर में सुरक्षा उपायों के संबंध में वन्यजीव वार्डन की सलाह ले रहे हैं. वन्यजीव और पशुपालन प्राधिकरण और चेन्नई निगम एंथ्रेक्स प्रोटोकॉल पर संस्थान का मार्गदर्शन कर रहे हैं. अगले 10 दिनों के लिए हमारे अस्पताल द्वारा शव के पास वन्यजीव कर्मियों (Wildlife Personnel) सहित या शव को संभालने वाले सभी संचालकों को एंटीबायोटिक दवाओं के कोर्स (A Course Of Antibiotics) पर रखा जाएगा.
पढ़ें: एंथ्रेक्स से जंगली हाथी की मौत के कारण हाई अलर्ट पर तमिलनाडु, केरल

बयान में कहा गया कि IIT मद्रास बहुत जल्द एंथ्रेक्स के खिलाफ टीकाकरण शुरू करेगा. 9 लोगों की एक टीम वन्यजीवों को चौबीसों घंटे देख रही है. साथ ही जानवरों को एंटीबायोटिक खुराक भी दी जा रही है. बयान में कहा गया कि हम सभी संभावनाओं का विश्लेषण कर रहे हैं कि यह बीमारी आईआईटी मद्रास परिसर में कैसे प्रवेश कर सकती थी क्योंकि शुरुआत से ही हमने ऐसी कोई बीमारी नहीं देखी है. हिरण या अन्य वन्यजीव परिसर से बाहर नहीं जाते हैं. हालांकि कुत्ते इसका एक कारण हो सकते हैं.
बयान में कहा गया कि यह एक आपात स्थिति है. ले लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है. हमने एक महामारी को संभाला है इसलिए हम तैयार हैं और पूरी तरह से सतर्क हैं. IIT मद्रास परिसर में सभी छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों और निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है.

एंथ्रेक्स क्या है
एंथ्रेक्स एक बीजाणु 'बैसिलस एंथ्रेसीस' बनाने वाले जीवाणु के कारण होता है. यह मुख्य रूप से जानवरों को प्रभावित करता है. मनुष्य के किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने या बीजाणुओं को अंदर लेने से संक्रमित हो सकता है. लक्षण संक्रमण के मार्ग पर निर्भर करते हैं. वे त्वचा के अल्सर से सांस लेने में कठिनाई तक पैदा कर सकते हैं. एंटीबायोटिक उपचार से अधिकांश संक्रमण को ठीक किया था सकता है.
संक्रमण के तरीकों के आधार पर एंथ्रेक्स को चार भागों में बांटा जा सकता है
1. क्यूटेनियस एंथ्रेक्स (Cutaneous Anthrax) : जब संक्रमण शरीर पर पहले से मौजूद किसी घाव या जख्म के रास्ते से शरीर में प्रवेश करता है तो उसे क्यूटेनियस एंथ्रेक्स कहते हैं.
2. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंथ्रेक्स (Gastrointestinal anthrax) : संक्रमित जानवर के पूरी तरह से न पके हुए मांस को खाने से होता है.
3. इनहेलेशन एंथ्रेक्स (Inhalation anthrax) : जब एंथ्रेक्स बीजाणु (स्पोर्स) सांस लेते समय नाक के भीतर आते हैं तो इनहेलेशन एंथ्रेक्स विकसित होता है. ये सभी तरीकों में से सबसे घातक तरीका है.

एंथ्रेक्स के लक्षण
जीवाणुओं (बैक्टीरिया) के संपर्क में आने के सात दिनों के भीतर विकसित होते हैं. हालांकि, इनहेलेशन एंथ्रेक्स के केस में लेकिन ऐसा नहीं है, लक्षण हफ्तों बाद नज़र आ सकते हैं.
क्यूटेनियस एंथ्रेक्स : कीड़े के काटने जैसे बिना दर्द वाले फोड़े होना, जिसका केंद्र जल्द ही काला हो जाए. लसीका ग्रंथियों (lymph glands) में सूजन और दर्द.
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंथ्रेक्स: जी मिचलाना, उल्टी, पेट में दर्द, सिरदर्द, भूख में कमी, बुखार, बीमारी के बढ़ जाने पर खून वाले दस्त, गले में दर्द, निगलने में कठिनाई, गर्दन में सूजन.
इनहेलेशन एंथ्रेक्स : फ्लू जैसे लक्षण, थकान और मांसपेशियों में दर्द, छाती में हल्के दर्द की समस्या, सांस फूलना, खांसी में खून आना, सदमे का आभास, मेनिनजाइटिस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में संभावित सूजन जिससे जान जाने का भी खतरा बना रहता है.

चेन्नई: आईआईटी-मद्रास परिसर ( IIT-Madras campus) में हिरणों की एंथ्रेक्स से मौत (Deer Died of Anthrax) हो गई, और पिछले दो दिनों में अत्यधिक संक्रामक जूनोटिक बीमारी ( Highly Infectious Zoonotic Disease) के कारण तीन और की मौत होने का संदेह है. शवों को मानक संचालन प्रक्रियाओं के अनुसार दफनाया गया है. इसके बारे में आईआईटी मद्रास ने एक बयान जारी कर कहा कि पिछले दो दिनों में चार हिरणों की मौत हो चुकी है. जिनमें से एक नमूने के परीक्षण से एंथ्रेक्स की उपस्थिति का पता चला जबकि अन्य तीन नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट अनिर्णायक थे.
शव के निस्तारण में मानक संचालन प्रक्रियाओं (Standard Operating Procedures) का पालन किया जा रहा है. जिस इलाके में शव मिला था, उसे सेनिटाइज कर उसकी घेराबंदी कर दी गई है. बयान में कहा गया कि हम परिसर में सुरक्षा उपायों के संबंध में वन्यजीव वार्डन की सलाह ले रहे हैं. वन्यजीव और पशुपालन प्राधिकरण और चेन्नई निगम एंथ्रेक्स प्रोटोकॉल पर संस्थान का मार्गदर्शन कर रहे हैं. अगले 10 दिनों के लिए हमारे अस्पताल द्वारा शव के पास वन्यजीव कर्मियों (Wildlife Personnel) सहित या शव को संभालने वाले सभी संचालकों को एंटीबायोटिक दवाओं के कोर्स (A Course Of Antibiotics) पर रखा जाएगा.
पढ़ें: एंथ्रेक्स से जंगली हाथी की मौत के कारण हाई अलर्ट पर तमिलनाडु, केरल

बयान में कहा गया कि IIT मद्रास बहुत जल्द एंथ्रेक्स के खिलाफ टीकाकरण शुरू करेगा. 9 लोगों की एक टीम वन्यजीवों को चौबीसों घंटे देख रही है. साथ ही जानवरों को एंटीबायोटिक खुराक भी दी जा रही है. बयान में कहा गया कि हम सभी संभावनाओं का विश्लेषण कर रहे हैं कि यह बीमारी आईआईटी मद्रास परिसर में कैसे प्रवेश कर सकती थी क्योंकि शुरुआत से ही हमने ऐसी कोई बीमारी नहीं देखी है. हिरण या अन्य वन्यजीव परिसर से बाहर नहीं जाते हैं. हालांकि कुत्ते इसका एक कारण हो सकते हैं.
बयान में कहा गया कि यह एक आपात स्थिति है. ले लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है. हमने एक महामारी को संभाला है इसलिए हम तैयार हैं और पूरी तरह से सतर्क हैं. IIT मद्रास परिसर में सभी छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों और निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है.

एंथ्रेक्स क्या है
एंथ्रेक्स एक बीजाणु 'बैसिलस एंथ्रेसीस' बनाने वाले जीवाणु के कारण होता है. यह मुख्य रूप से जानवरों को प्रभावित करता है. मनुष्य के किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने या बीजाणुओं को अंदर लेने से संक्रमित हो सकता है. लक्षण संक्रमण के मार्ग पर निर्भर करते हैं. वे त्वचा के अल्सर से सांस लेने में कठिनाई तक पैदा कर सकते हैं. एंटीबायोटिक उपचार से अधिकांश संक्रमण को ठीक किया था सकता है.
संक्रमण के तरीकों के आधार पर एंथ्रेक्स को चार भागों में बांटा जा सकता है
1. क्यूटेनियस एंथ्रेक्स (Cutaneous Anthrax) : जब संक्रमण शरीर पर पहले से मौजूद किसी घाव या जख्म के रास्ते से शरीर में प्रवेश करता है तो उसे क्यूटेनियस एंथ्रेक्स कहते हैं.
2. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंथ्रेक्स (Gastrointestinal anthrax) : संक्रमित जानवर के पूरी तरह से न पके हुए मांस को खाने से होता है.
3. इनहेलेशन एंथ्रेक्स (Inhalation anthrax) : जब एंथ्रेक्स बीजाणु (स्पोर्स) सांस लेते समय नाक के भीतर आते हैं तो इनहेलेशन एंथ्रेक्स विकसित होता है. ये सभी तरीकों में से सबसे घातक तरीका है.

एंथ्रेक्स के लक्षण
जीवाणुओं (बैक्टीरिया) के संपर्क में आने के सात दिनों के भीतर विकसित होते हैं. हालांकि, इनहेलेशन एंथ्रेक्स के केस में लेकिन ऐसा नहीं है, लक्षण हफ्तों बाद नज़र आ सकते हैं.
क्यूटेनियस एंथ्रेक्स : कीड़े के काटने जैसे बिना दर्द वाले फोड़े होना, जिसका केंद्र जल्द ही काला हो जाए. लसीका ग्रंथियों (lymph glands) में सूजन और दर्द.
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंथ्रेक्स: जी मिचलाना, उल्टी, पेट में दर्द, सिरदर्द, भूख में कमी, बुखार, बीमारी के बढ़ जाने पर खून वाले दस्त, गले में दर्द, निगलने में कठिनाई, गर्दन में सूजन.
इनहेलेशन एंथ्रेक्स : फ्लू जैसे लक्षण, थकान और मांसपेशियों में दर्द, छाती में हल्के दर्द की समस्या, सांस फूलना, खांसी में खून आना, सदमे का आभास, मेनिनजाइटिस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में संभावित सूजन जिससे जान जाने का भी खतरा बना रहता है.

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