नई दिल्ली : पंजाब में कट्टरपंथी नेता अमृतपाल सिंह के सैकड़ों अनुयायियों ने अमृतसर के पास अजनाला थाने पर हमला किया. तलवारें और बंदूकें लहराते हुए ये लोग अपहरण के एक कथित मामले में अपने एक सदस्य को पुलिस हिरासत से रिहा करने की मांग कर रहे थे. दरअसल 29 साल का अमृतपाल सिंह खालिस्तान का समर्थक है. वह खुद को आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का अनुयायी बताता है. उसी के तरह कपड़े पहनता है. उसी के मिशन को आगे बढ़ाने का दावा करता है. यही वजह है कि उसे पंजाब में 'भिंडरावाला 2.0' करार दिया जा रहा है.
दीप सिद्धू ने बनाया था 'वारिस पंजाब दे' संगठन : 'वारिस पंजाब दे' (Waris Punjab De) की बात करें तो इसे पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले 30 सितंबर, 2021 को वकील-अभिनेता-कार्यकर्ता संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू ने 'पंजाब के वारिस' के रूप में पेश किया था. सिद्धू ने इसे 'पंजाब के अधिकारों की रक्षा करने और सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए दबाव समूह' के रूप में शुरू किया था.
दरअसल दीप सिद्धू पहली बार 2020 में किसानों के प्रदर्शन के दौरान सुर्खियों में आया था. दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा में उसकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था. उस पर 26 जनवरी, 2021 को किसान विरोध मार्च के दौरान लाल किले पर सिख झंडा फहराने का आरोप लगा था. इसके आठ महीने बाद सितंबर में सिद्धू ने 'वारिस पंजाब दे' लॉन्च किया था.
चंडीगढ़ में लॉन्च इवेंट के दौरान कहा था कि 'संगठन पंजाब के अधिकारों के लिए केंद्र के खिलाफ लड़ेगा और जब भी पंजाब की संस्कृति, भाषा, सामाजिक ताने-बाने और अधिकारों पर कोई हमला होगा, आवाज उठाएगा.'
सिद्धू ने कहा था कि उनका मोर्चा केवल उस पार्टी का समर्थन करेगा जो पंजाब और उसके अधिकारों की बात करेंगे. बाद में सिद्धू ने सिमरनजीत सिंह मान की प्रो खालिस्तान पार्टी, शिअद (अमृतसर) का समर्थन किया था, पंजाब चुनाव से पहले उनके लिए प्रचार भी किया. हालांकि, राज्य चुनाव से पांच दिन पहले 15 फरवरी, 2022 को एक कार दुर्घटना में सिद्धू की मौत हो गई. यह घटना तब हुई थी जब वह मान के लिए प्रचार करने पंजाब जा रहा था.
मान अपनी अमरगढ़ विधानसभा सीट हार गए, लेकिन उन्होंने अंततः आम आदमी पार्टी को एक बड़ा झटका देते हुए संगरूर लोकसभा उपचुनाव जीत लिया. यहां भगवंत मान के राज्य के मुख्यमंत्री बनने के बाद उपचुनाव हुआ था.
सिमरनजीत सिंह मान ने भी सिद्धू की मौत की न्यायिक जांच की मांग करते हुए इसे 'गणतंत्र दिवस हिंसा में सिद्धू के शामिल होने के कारण केंद्र द्वारा साजिश' करार दिया था. सिद्धू का अंतिम संस्कार खालिस्तान समर्थक नारों के बीच उसके गृहनगर लुधियाना में हुआ था, जहां भिंडरावाले के समर्थन में भी नारे लगाए गए थे.
अमृतपाल सिंह कैसे बना 'वारिस पंजाब दे' का मुखिया : 29 सितंबर 2022 को 'वारिस पंजाब डे' संगठन तब विवादों में आ गया, जब दुबई से लौटे अमृतपाल ने इसके प्रमुख के रूप में पदभार संभाला. मोगा जिले में एक 'दस्तार बंदी' समारोह आयोजित किया गया - जो कि जरनैल सिंह भिंडरावाले का पैतृक गांव है. इस समारोह में हजारों लोगों ने खालिस्तान समर्थक नारे लगाए. हालांकि, सिद्धू के परिवार ने खुद को अमृतपाल से यह कहते हुए दूर कर लिया कि उन्होंने उन्हें अपने बेटे के संगठन के प्रमुख के रूप में कभी नियुक्त नहीं किया और यह नहीं पता कि दुबई से पैराशूट लैंडिंग करने वाले एक व्यक्ति ने अचानक 'वारिस पंजाब डे' की बागडोर कैसे संभाल ली.
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दीप सिद्धू के परिवार का कहना है कि 'उसने दीप सिद्धू के सोशल मीडिया अकाउंट्स को एक्सेस कर लिया और उन पर पोस्ट करना शुरू कर दिया. अमृतपाल खालिस्तान का नाम लेकर पंजाब में अशांति फैलाने की बात कर रहा है, जबकि दीप सिद्धू अलगाववादी नहीं था.' हालांकि अमृतपाल के चाचा हरजीत सिंह का दावा है कि सिद्धू के समर्थकों ने ही अमृतपाल को संगठन का प्रमुख बनाया था.
अमृतसर जिले में बाबा बकाला डिवीजन के जल्लूपुर खेड़ा गांव का मूल निवासी अमृतपाल दुबई में एक ट्रांसपोर्टर के रूप में काम कर रहा था. अमृतपाल दावा करता है कि भिंडरावाला उसकी प्रेरणा है. रिपोर्ट के मुताबिक वह भिंडरावाला जैसे कपड़े पहनता है.सिद्धू को अमृतपाल 'कौमी शहीद' (सिख समुदाय का शहीद) बताता है. अमृतपाल ने गुरुद्वारा संत खालसा के पास एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि 'हम सभी अभी भी गुलाम हैं... हमें आजादी के लिए लड़ना है... हमारे पानी की लूट हो रही है और हमारे गुरु का अपमान हो रहा है... पंजाब के युवाओं को पंथ के लिए अपनी जान कुर्बान करने के लिए तैयार रहना चाहिए. पंजाब के प्रत्येक गांव में जाना है और 'युवाओं को सिख में वापस लाना' है.
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