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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद आतंकवाद में कमी: पुलिस

जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हुए 5 अगस्त को तीन साल हो रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि इन तीन साल में आतंकी घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या में कमी आई है.

DECLINE IN MILITANCY IN J AND K AFTER ABROGATION OF ARTICLE 370 SAYS POLICE
श्रीनगर
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Published : Aug 4, 2022, 10:16 PM IST

श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) : 5 अगस्त 2019 को केंद्र ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में डाउनग्रेड कर दिया. संसद के पटल से गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि 'अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद कम होगा और क्षेत्र में शांति आएगी.' 'ईटीवी भारत' के पास उपलब्ध जम्मू कश्मीर पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि आतंकवाद से संबंधित हत्याओं में 30 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में 20 प्रतिशत की कमी आई है.

देखिए वीडियो

आंकड़ों के मुताबिक 5 अगस्त 2016 से 5 अगस्त 2019 तक इस क्षेत्र में कुल 1178 मौतें हुईं. मृतकों में 170 नागरिक, 246 सुरक्षा बल के जवान और 702 आतंकवादी शामिल हैं. सबसे अधिक मौतें 5 अगस्त, 2018 से 5 अगस्त, 2019 के बीच हुईं जब आतंकवाद से संबंधित विभिन्न घटनाओं के दौरान कुल 457 लोग मारे गए. मरने वालों में 64 नागरिक थे, जबकि 117 सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए. 276 आतंकवादी मारे गए. 5 अगस्त 2016 और 5 अगस्त 2017 के दौरान 335 लोग मारे गए. इसी तरह 5 अगस्त, 2017 से 5 अगस्त 2018 तक इस तरह के ऑपरेशन के दौरान 386 लोगों की जान चली गई.

आंकड़ों पर नजर
आंकड़ों पर नजर

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर 'ईटीवी भारत' को बताया कि 'हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकवादी बुरहान वानी 2016-17 की अवधि के दौरान मारा गया. उसके मारे जाने के बाद पूरी घाटी में विरोध प्रदर्शन हुए और स्थिति बहुत तनावपूर्ण थी. इन विरोधों के बावजूद, सुरक्षा बल स्थिति को नियंत्रित करने में सक्षम थे और जान व माल का कम से कम नुकसान हुआ था.'

अधिकारी ने कहा, '5 अगस्त 2019 के फैसले के समय हम स्थिति को लेकर आशंकित थे कि यह और खराब हो सकता है, लेकिन स्थिति सामान्य रही. हालांकि आतंकवादियों ने अपने अभियान को तेज करने की कोशिश की. उन्होंने सुरक्षा कर्मियों और नागरिकों को निशाना बनाया. वे नए नाम और ऑफशूट संगठनों के साथ आए, लेकिन सुरक्षा बल 550 से अधिक आतंकवादियों को बेअसर करने में सफल रहे, जिसके कारण घाटी में स्थिति अब काफी बेहतर है.'

585 आतंकवादी मारे गए : आंकड़ों के अनुसार 5 अगस्त 2019 से अब तक आतंकवाद से संबंधित विभिन्न घटनाओं के दौरान कुल 820 लोग मारे गए हैं. इनमें 108 नागरिक हैं जबकि 127 सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए हैं. 585 आतंकवादी मारे गए हैं. 5 अगस्त 2019 के ऐतिहासिक फैसले से पहले पिछले तीन वर्षों की तुलना में आतंकवाद के कारण होने वाली हत्याओं में 30.39 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. जबकि 5 अगस्त 2019 से अब तक 20.22 प्रतिशत की कमी आई है. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले तीन वर्षों के दौरान रिपोर्ट की गई 529 घटनाओं की तुलना में 442 घटनाएं हुई हैं.

हालांकि पुलिस अधिकारी घाटी के मौजूदा हालात से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. अधिकारी ने कहा, 'हालांकि आंकड़े हत्याओं की संख्या में कमी दिखा रहे हैं लेकिन आतंकवाद अभी भी एक खतरा है. हत्याओं की इस श्रृंखला को तोड़ने की जरूरत है.'

पढ़ें- जनवरी से तीन जुलाई के बीच 1.06 करोड़ पर्यटकों ने किया जम्मू एवं कश्मीर का दौरा

श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) : 5 अगस्त 2019 को केंद्र ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में डाउनग्रेड कर दिया. संसद के पटल से गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि 'अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करने से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद कम होगा और क्षेत्र में शांति आएगी.' 'ईटीवी भारत' के पास उपलब्ध जम्मू कश्मीर पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि आतंकवाद से संबंधित हत्याओं में 30 प्रतिशत की कमी आई है, जबकि पूर्ववर्ती राज्य जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में 20 प्रतिशत की कमी आई है.

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आंकड़ों के मुताबिक 5 अगस्त 2016 से 5 अगस्त 2019 तक इस क्षेत्र में कुल 1178 मौतें हुईं. मृतकों में 170 नागरिक, 246 सुरक्षा बल के जवान और 702 आतंकवादी शामिल हैं. सबसे अधिक मौतें 5 अगस्त, 2018 से 5 अगस्त, 2019 के बीच हुईं जब आतंकवाद से संबंधित विभिन्न घटनाओं के दौरान कुल 457 लोग मारे गए. मरने वालों में 64 नागरिक थे, जबकि 117 सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए. 276 आतंकवादी मारे गए. 5 अगस्त 2016 और 5 अगस्त 2017 के दौरान 335 लोग मारे गए. इसी तरह 5 अगस्त, 2017 से 5 अगस्त 2018 तक इस तरह के ऑपरेशन के दौरान 386 लोगों की जान चली गई.

आंकड़ों पर नजर
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एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर 'ईटीवी भारत' को बताया कि 'हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकवादी बुरहान वानी 2016-17 की अवधि के दौरान मारा गया. उसके मारे जाने के बाद पूरी घाटी में विरोध प्रदर्शन हुए और स्थिति बहुत तनावपूर्ण थी. इन विरोधों के बावजूद, सुरक्षा बल स्थिति को नियंत्रित करने में सक्षम थे और जान व माल का कम से कम नुकसान हुआ था.'

अधिकारी ने कहा, '5 अगस्त 2019 के फैसले के समय हम स्थिति को लेकर आशंकित थे कि यह और खराब हो सकता है, लेकिन स्थिति सामान्य रही. हालांकि आतंकवादियों ने अपने अभियान को तेज करने की कोशिश की. उन्होंने सुरक्षा कर्मियों और नागरिकों को निशाना बनाया. वे नए नाम और ऑफशूट संगठनों के साथ आए, लेकिन सुरक्षा बल 550 से अधिक आतंकवादियों को बेअसर करने में सफल रहे, जिसके कारण घाटी में स्थिति अब काफी बेहतर है.'

585 आतंकवादी मारे गए : आंकड़ों के अनुसार 5 अगस्त 2019 से अब तक आतंकवाद से संबंधित विभिन्न घटनाओं के दौरान कुल 820 लोग मारे गए हैं. इनमें 108 नागरिक हैं जबकि 127 सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए हैं. 585 आतंकवादी मारे गए हैं. 5 अगस्त 2019 के ऐतिहासिक फैसले से पहले पिछले तीन वर्षों की तुलना में आतंकवाद के कारण होने वाली हत्याओं में 30.39 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. जबकि 5 अगस्त 2019 से अब तक 20.22 प्रतिशत की कमी आई है. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले तीन वर्षों के दौरान रिपोर्ट की गई 529 घटनाओं की तुलना में 442 घटनाएं हुई हैं.

हालांकि पुलिस अधिकारी घाटी के मौजूदा हालात से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. अधिकारी ने कहा, 'हालांकि आंकड़े हत्याओं की संख्या में कमी दिखा रहे हैं लेकिन आतंकवाद अभी भी एक खतरा है. हत्याओं की इस श्रृंखला को तोड़ने की जरूरत है.'

पढ़ें- जनवरी से तीन जुलाई के बीच 1.06 करोड़ पर्यटकों ने किया जम्मू एवं कश्मीर का दौरा

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