पटना: कहने को बिहार में शराबबंदी है लेकिन बिहार में अवैध तरीके से शराब बनाने के धंधे पर कोई लगाम नहीं लगी है, इस कारण जहरीली शराब का उत्पादन राज्य में अंदरखाने लगातार हो रहा है. जो सामान्य शराब से भी अत्यधिक नुकसानदेह होती है. इसकी वजह से बहुतों की जान चली जाती है, कुछ को आंखों से हाथ धोना पड़ता है.
बिहार में पूर्ण शराबबंदी को लागू हुए अब पांच साल बीत चुके हैं, और इन पांच सालों के दौरान शायद ही कोई ऐसा दिन बीता हो जिस दिन बिहार के शराबबंदी कानून तोड़ने की खबर न आई हो. आइये बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद जहरीली शराब से हुई मौतों पर नजर डालें.
अगस्त 2016: गोपालगंज जहरीली शराब कांड
गोपालगंज के खजुर्बानी में जहरीली शराब पीने की वजह से 19 लोगों की मौत हो गई थी और 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी.
29 जुलाई 2017: मुंगेर में आठ की मौत
मुंगेर के मुसहरी टोला में जहरीली शराब के सेवन से आठ लोगों की मौत हुई. घटना के बाद टोले के अधिकतर लोग घर छोड़कर पलायन कर गए. ग्रामीणों की मानें तो पहले दो लोगों की मौत हुई थी लेकिन घटना को छिपाने के चलते मरने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई थी. हालांकि पुलिस-प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने शराब से मौत की किसी घटना से इनकार करते हुए दो लोगों की मौत बीमारी से होने की बात कही थी.
06 फरवरी 2021: कैमूर में दो लोगों की मौत
कैमूर जिले में संदिग्ध जहरीली शराब पीने से दो व्यक्तियों की मौत हो गई थी. साथ ही, कुरसन गांव में संदिग्ध जहरील शराब पीने के बाद चार लोग बीमार पड़ गए थे.
19 फरवरी 2021: गोपालगंज में मजदूरों की मौत
गोपालगंज जिले के विजयीपुर इलाके में कथित जहरीली शराब पीने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी. इस मामले में हथुआ के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नरेश कुमार के जांच प्रतिवेदन के आधार पर पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने विजयीपुर थानाध्यक्ष मनोज कुमार और चौकीदार अमरेश यादव को निलंबित कर दिया था.
20 फरवरी 2021: मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की गई जान
मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के दरगाह टोला से शराब पीने के कारण मौत होने की खबर आई थी. यहां जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद एसएसपी ने कटरा पुलिस स्टेशन के थानाधिकारी सिकंदर कुमार को निलंबित कर दिया है.
23 मई 2020: मुजफ्फरपुर में अधेड़ की मौत
मुजफ्फरपुर में एक अधेड़ की संदिग्ध स्थितियों में मौत हो गई थी. अधेड़ की मौत होने के बाद आसपास के गांव में जहरीली शराब पीने से मौत होने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी थी. घटना सरैया थाने के रेवा सहिलापट्टी गांव में घटी. ग्रामीणों में इस बात की चर्चा जोरों से हो रही थी कि किशोर सहनी पास के गांव स्थित एक शराब भट्ठी पर नशा पान करने गया था। वहां से लौटने के दौरान किशोर सहनी की मौत हो गई.
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शराबबंदी का सफर
- 01अप्रैल 2016 : राज्य में देसी शराब बंद, केवल निगम क्षेत्र में विदेशी शराब.
- 05 अप्रैल 2016 : पूरे राज्य में पूर्ण शराबबंदी होते ही शहरों में भी विदेशी शराब बंद.
- 02 अक्टूबर 2016 : 1915 के आधार पर लागू शराबबंदी के बदले नया कानून.
- 23 जुलाई 2018 : शराबबंदी कानून में सरकार ने पहली बार किए अहम बदलाव.
- अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू
बता दें कि अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अब तक बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां, मुकदमे और शराब जब्ती की कार्रवाई हुई. इस क़ानून के तहत शुरुआत में घर में शराब पाये जाने पर सभी वयस्कों की गिरफ्तारी और घर को सील करने और वाहन में शराब मिलने पर वाहन जजब्ती और गिरफ्तारी के कड़े प्रावधान थे. सख्त प्रावधानों की आलोचना और कानून के दुरुपयोग के बाद 2018 में इसमें कुछ बदलाव किये गये थे:
⦁ पहली बार पीते हुए पकड़े गए तो तीन महीने की सजा या 50 हजार का जुर्माना.
⦁ दूसरी बार पकड़े गए तो एक से पांच साल तक की सजा और एक लाख तक जुर्माना.
⦁ घर में शराब पकड़े जाने पर अब सभी बालिग के बजाए जिम्मेवार ही पकड़े जाएंगे.
⦁ परिसर जब्ती व सामूहिक जुर्माना हटा, वाहन जब्ती के नए नियम.
फिलहाल, सच्चाई ये है कि मदिरा प्रेमियों को तो बस पीने से मतलब होता है. आप लाख कानून बना दीजिए. तरीका वे खुद खोज लेते हैं. बिहार में खुलेआम शराब बिक्री बंद हो गई तो क्या, पड़ोसी देश नेपाल और फिर दूसरे राज्यों जैसे यूपी और झारखंड से इनकी पूर्ति होने लगी है. पड़ोस के राज्यों से सटे लोग केवल पीने के लिए दो-तीन घंटे के सफर से नहीं हिचकते.
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यही नहीं, चोरी-छिपे शराब को राज्य में लाने का खेल भी खूब हो रहा है. एक पूरा नेटवर्क तैयार हो गया है जो आपकी डिमांड पूरी कर देगा. आपको बस अपनी जेब ढिली करने की जरूरत है. पीने-पिलाने वाले शौकीन लोगों के घरों में स्टॉक भी जमा है. खत्म हुआ तो दूसरी खेप आ जाती है.