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कोरोना वायरस का असर : रोगियों के कई अंगों को नुकसान पहुंचा

कोविड-19 से संक्रमित कम प्रभावित युवाओं के अंगों को भी नुकसान पहुंच रहा है. करीब चार महीने बाद उनके कई अंगों में खराबी मिली. 17 प्रतिशत के अग्न्याशय में दुर्बलता के प्रमाण थे.

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Published : Nov 21, 2020, 7:25 PM IST

Updated : Nov 21, 2020, 10:05 PM IST

नई दिल्ली : कोविड-19 से कम प्रभावित युवा जिनमें जोखिम की संभावना बहुत कम थी, ठीक होकर जाने के चार महीने बाद उनके कई अंग खराब होने के मामले सामने आए हैं. ये चौंकाने वाला खुलासा विश्व प्रसिद्ध चिकित्सा पत्रिका बीएमजे में प्रकाशित रिपोर्ट में हुआ है.

करीब 201 रोगी जिनमें SARS-CoV-2 संक्रमण के अपने प्रारंभिक लक्षणों में था, चार महीने बाद उनके एक या एक से अधिक अंगों को नुकसान पहुंचा. अप्रैल और अगस्त के बीच ऑक्सफोर्ड और लंदन में यूके की दो साइटों पर प्रभावित युवाओं का सर्वे किया गया. अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में 98 प्रतिशत युवाओं में थकान के लक्षण नहीं थे, 88 प्रतिशत में मांसपेशियों में दर्द, 87 प्रतिशत में सांस की तकलीफ नहीं थी, लेकिन उनमें से 33 प्रतिशत के फेफड़े, 12 प्रतिशत के गुर्दे, 17 प्रतिशत के अग्न्याशय में दुर्बलता के प्रमाण थे.

25 प्रतिशत के कई अंगों में खराबी

दो तिहाई यानी करीब 66 प्रतिशत के एक या एक से अधिक अंग प्रणाली को नुकसान पहुंचा. 25 प्रतिशत के कई अंगों में खराबी के संकेत थे. शोध इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि युवा ठीक होने के बाद अपने को पूरी तरह से स्वस्थ मान लेते हैं. ऐसे में ये उनके लिए जोखिमभरा हो सकता है.

निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया देते हुए, एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तमोरिश कोले ने ईटीवी भारत को बताया कि यह निष्कर्ष एक नए वायरस के रूप में बहुत अधिक महत्व रखता है. हमें युवाओं में वायरस के प्रभाव का पता लगाने के लिए अधिक अध्ययन की आवश्यकता है.

पढ़ें-पिछले 24 घंटे में 46,232 से अधिक नए मामले, 564 लोगों की मौत

नई दिल्ली : कोविड-19 से कम प्रभावित युवा जिनमें जोखिम की संभावना बहुत कम थी, ठीक होकर जाने के चार महीने बाद उनके कई अंग खराब होने के मामले सामने आए हैं. ये चौंकाने वाला खुलासा विश्व प्रसिद्ध चिकित्सा पत्रिका बीएमजे में प्रकाशित रिपोर्ट में हुआ है.

करीब 201 रोगी जिनमें SARS-CoV-2 संक्रमण के अपने प्रारंभिक लक्षणों में था, चार महीने बाद उनके एक या एक से अधिक अंगों को नुकसान पहुंचा. अप्रैल और अगस्त के बीच ऑक्सफोर्ड और लंदन में यूके की दो साइटों पर प्रभावित युवाओं का सर्वे किया गया. अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में 98 प्रतिशत युवाओं में थकान के लक्षण नहीं थे, 88 प्रतिशत में मांसपेशियों में दर्द, 87 प्रतिशत में सांस की तकलीफ नहीं थी, लेकिन उनमें से 33 प्रतिशत के फेफड़े, 12 प्रतिशत के गुर्दे, 17 प्रतिशत के अग्न्याशय में दुर्बलता के प्रमाण थे.

25 प्रतिशत के कई अंगों में खराबी

दो तिहाई यानी करीब 66 प्रतिशत के एक या एक से अधिक अंग प्रणाली को नुकसान पहुंचा. 25 प्रतिशत के कई अंगों में खराबी के संकेत थे. शोध इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि युवा ठीक होने के बाद अपने को पूरी तरह से स्वस्थ मान लेते हैं. ऐसे में ये उनके लिए जोखिमभरा हो सकता है.

निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया देते हुए, एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तमोरिश कोले ने ईटीवी भारत को बताया कि यह निष्कर्ष एक नए वायरस के रूप में बहुत अधिक महत्व रखता है. हमें युवाओं में वायरस के प्रभाव का पता लगाने के लिए अधिक अध्ययन की आवश्यकता है.

पढ़ें-पिछले 24 घंटे में 46,232 से अधिक नए मामले, 564 लोगों की मौत

Last Updated : Nov 21, 2020, 10:05 PM IST
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