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बांध सुरक्षा विधेयक राज्यसभा से पारित, 40 साल बाद कानून बनने का रास्ता साफ - संसद समाचार

लोकसभा के बाद अब राज्यसभा ने बांध सुरक्षा विधेयक 2019 पर अपनी मुहर लगा दी. जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि 40 साल से देश में बांधों की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने पर विचार हो रहा है. हमारे 25% बांध 50 साल से ज्यादा पुराने हैं. बांधों को सुरक्षित बनाने के लिए इस बिल को पास करना जरुरी है.

Gajendra Singh Shekhawat
गजेंद्र सिंह शेखावत
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Published : Dec 2, 2021, 6:31 PM IST

Updated : Dec 2, 2021, 6:49 PM IST

नई दिल्ली : राज्यसभा की कार्यवाही के चौथे दिन बांध सुरक्षा विधेयक 2019 पारित किया गया. 29 जुलाई 2019 को लोकसभा में बांध सुरक्षा विधेयक पेश किया गया और दो अगस्त 2019 को पारित किया गया.

बांध सुरक्षा विधेयक राज्यसभा से पारित

राज्यसभा में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, 40 साल से देश में बांधों की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने पर विचार हो रहा है. हमारे 25% बांध 50 साल से ज्यादा पुराने हैं. बांधों को सुरक्षित बनाने के लिए इस बिल को पास करना जरुरी है.

राज्यसभा में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने बांध सुरक्षा विधेयक को राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप करार देते हुए इसे प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग की.

गजेंद्र सिंह शेखावत का बयान

कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने बांध सुरक्षा विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यह विधेयक संविधान के प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए लाया गया है. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार राज्य के भीतर बांध बनाना पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.

उन्होंने कहा कि यदि दो या दो से अधिक राज्य अपनी विधानसभा में दो तिहाई से अधिक बहुमत से प्रस्ताव पारित कर केंद्र से इस संबंध में कानून बनाने का अनुरोध करते हैं तो ऐसे प्रस्ताव के बिना केंद्र राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.

गोहिल ने कहा कि वह जब गुजरात सरकार में मंत्री थे तो उस समय नर्मदा बांध बना था किंतु वह उसका श्रेय नहीं लेते.

गोहिल ने कहा कि यह विधेयक संविधान और कानून विरूद्ध है. इसलिए इसे प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि इसे न्यायालय द्वारा संविधान विरूद्ध ठहराया जाता है तो यह पूरे सदन का अपमान होगा.

बांध सुरक्षा विधेयक पर चर्चा

उन्होंने विधेयक के प्रावधानों में केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष को राष्ट्रीय बांध आयोग का पदेन अध्यक्ष बनाये जाने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि जो बांध की सुरक्षा को स्वीकृति देगा वही उसकी सुरक्षा की समीक्षा कैसे कर सकता है? कांग्रेस सदस्य ने गुजरात में पूर्व में 'बोरी बांध' बनाये जाने का भी जिक्र किया.

उन्होंने कहा कि इस विषय पर कानून बनाने का संसद को अधिकार नहीं है और इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए.

भाजपा सदस्य के जे अल्फोंस ने कहा कि देश के बड़े बांध 'जल बम' हैं. उन्होंने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से संविधान के प्रावधानों के अनुसार है.

उन्होंने तमिलनाडु की सरकार से अनुरोध किया कि वह मुल्ला पेरियार बांध का पुनर्निर्माण करने दे. उन्होंने कहा कि इसकी सुरक्षा को लेकर केरल के लोग बहुत चिंतित रहते हैं.

तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक ने कहा कि देश में कई ऐसे बांध हैं जो सौ साल से अधिक पुराने हैं. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में कई विवादास्पद प्रावधान है क्योंकि वे राज्य सूची के विषय हैं.

उन्होंने कहा कि यह विधेयक राज्य सरकारों के अधिकारों पर अतिक्रमण है, जिसके कारण यह असंवैधानिक है. उन्होंने यह भी मांग की कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए.

पढ़ें :- भारत में पुराने हो रहे बांधों से खतरा बढ़ा, यूएन ने जारी की विशेष रिपोर्ट

बता दें कि देश भर में निर्दिष्ट बांधों की निगरानी, ​​निरीक्षण, संचालन और रखरखाव के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करने की मांग वाला विधेयक लोकसभा द्वारा पारित कर दिया गया है.

बिल दो राष्ट्रीय निकायों- राष्ट्रीय बांध सुरक्षा कमिटी और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा अथॉरिटी की स्थापना करता है. कमिटी के कार्यों में बांध सुरक्षा मानदंडों से संबंधित नीतियां बनाना और रेगुलेटरों को सुझाव देना है. अथॉरिटी के कार्यों में राष्ट्रीय कमिटी की नीतियों को लागू करना, राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (एसडीएसओज़) को तकनीकी सहायता प्रदान करना और राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (एसडीएसओज़) के बीच, और एसडीएसओ एवं उस राज्य के बांध मालिकों के बीच के विवादों को सुलझाना शामिल है.

चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है, जहां पर 5,334 बड़े बांध संचालित किए जा रहे हैं. इसके अलावा वर्तमान समय में लगभग 411 बांध निर्माणाधीन हैं. यहां पर कई हजार छोटे-छोटे बांध भी मौजूद हैं. ये बांध देश की जलीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. भारतीय बांध और जलाशय वार्षिक रूप से लगभग 300 अरब घन मीटर पानी का भंडारण करते हैं.

नई दिल्ली : राज्यसभा की कार्यवाही के चौथे दिन बांध सुरक्षा विधेयक 2019 पारित किया गया. 29 जुलाई 2019 को लोकसभा में बांध सुरक्षा विधेयक पेश किया गया और दो अगस्त 2019 को पारित किया गया.

बांध सुरक्षा विधेयक राज्यसभा से पारित

राज्यसभा में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, 40 साल से देश में बांधों की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने पर विचार हो रहा है. हमारे 25% बांध 50 साल से ज्यादा पुराने हैं. बांधों को सुरक्षित बनाने के लिए इस बिल को पास करना जरुरी है.

राज्यसभा में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने बांध सुरक्षा विधेयक को राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप करार देते हुए इसे प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग की.

गजेंद्र सिंह शेखावत का बयान

कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने बांध सुरक्षा विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यह विधेयक संविधान के प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए लाया गया है. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार राज्य के भीतर बांध बनाना पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.

उन्होंने कहा कि यदि दो या दो से अधिक राज्य अपनी विधानसभा में दो तिहाई से अधिक बहुमत से प्रस्ताव पारित कर केंद्र से इस संबंध में कानून बनाने का अनुरोध करते हैं तो ऐसे प्रस्ताव के बिना केंद्र राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है.

गोहिल ने कहा कि वह जब गुजरात सरकार में मंत्री थे तो उस समय नर्मदा बांध बना था किंतु वह उसका श्रेय नहीं लेते.

गोहिल ने कहा कि यह विधेयक संविधान और कानून विरूद्ध है. इसलिए इसे प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि इसे न्यायालय द्वारा संविधान विरूद्ध ठहराया जाता है तो यह पूरे सदन का अपमान होगा.

बांध सुरक्षा विधेयक पर चर्चा

उन्होंने विधेयक के प्रावधानों में केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष को राष्ट्रीय बांध आयोग का पदेन अध्यक्ष बनाये जाने का विरोध किया. उन्होंने कहा कि जो बांध की सुरक्षा को स्वीकृति देगा वही उसकी सुरक्षा की समीक्षा कैसे कर सकता है? कांग्रेस सदस्य ने गुजरात में पूर्व में 'बोरी बांध' बनाये जाने का भी जिक्र किया.

उन्होंने कहा कि इस विषय पर कानून बनाने का संसद को अधिकार नहीं है और इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए.

भाजपा सदस्य के जे अल्फोंस ने कहा कि देश के बड़े बांध 'जल बम' हैं. उन्होंने कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से संविधान के प्रावधानों के अनुसार है.

उन्होंने तमिलनाडु की सरकार से अनुरोध किया कि वह मुल्ला पेरियार बांध का पुनर्निर्माण करने दे. उन्होंने कहा कि इसकी सुरक्षा को लेकर केरल के लोग बहुत चिंतित रहते हैं.

तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक ने कहा कि देश में कई ऐसे बांध हैं जो सौ साल से अधिक पुराने हैं. उन्होंने कहा कि इस विधेयक में कई विवादास्पद प्रावधान है क्योंकि वे राज्य सूची के विषय हैं.

उन्होंने कहा कि यह विधेयक राज्य सरकारों के अधिकारों पर अतिक्रमण है, जिसके कारण यह असंवैधानिक है. उन्होंने यह भी मांग की कि इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए.

पढ़ें :- भारत में पुराने हो रहे बांधों से खतरा बढ़ा, यूएन ने जारी की विशेष रिपोर्ट

बता दें कि देश भर में निर्दिष्ट बांधों की निगरानी, ​​निरीक्षण, संचालन और रखरखाव के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करने की मांग वाला विधेयक लोकसभा द्वारा पारित कर दिया गया है.

बिल दो राष्ट्रीय निकायों- राष्ट्रीय बांध सुरक्षा कमिटी और राष्ट्रीय बांध सुरक्षा अथॉरिटी की स्थापना करता है. कमिटी के कार्यों में बांध सुरक्षा मानदंडों से संबंधित नीतियां बनाना और रेगुलेटरों को सुझाव देना है. अथॉरिटी के कार्यों में राष्ट्रीय कमिटी की नीतियों को लागू करना, राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (एसडीएसओज़) को तकनीकी सहायता प्रदान करना और राज्य बांध सुरक्षा संगठनों (एसडीएसओज़) के बीच, और एसडीएसओ एवं उस राज्य के बांध मालिकों के बीच के विवादों को सुलझाना शामिल है.

चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है, जहां पर 5,334 बड़े बांध संचालित किए जा रहे हैं. इसके अलावा वर्तमान समय में लगभग 411 बांध निर्माणाधीन हैं. यहां पर कई हजार छोटे-छोटे बांध भी मौजूद हैं. ये बांध देश की जलीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. भारतीय बांध और जलाशय वार्षिक रूप से लगभग 300 अरब घन मीटर पानी का भंडारण करते हैं.

Last Updated : Dec 2, 2021, 6:49 PM IST
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