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धर्मगुरु दलाई लामा का नदियों के संरक्षण पर जोर, सोनम वांगचुक ने किया बर्फ का टुकड़ा भेंट

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Published : Apr 23, 2022, 1:35 PM IST

Updated : Apr 23, 2022, 2:32 PM IST

तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ( Dalai Lama)ने नदियों के संरक्षण पर जोर दिया है.उन्होंने कहा कि अतीत में हमने पानी को हल्के में लिया. पानी हमारे जीवन का आधार है. वहीं, लद्दाख के सोनम वांगचुक (3 इडियट्स फ़िल्म के रेंचो फेम) ने उन्हें लद्दाख के खारदुंगला दर्रे के ग्लेशियर से लाया गया बर्फ का टुकड़ा भेंट किया.

लद्दाख के सोनम वांगचुक व दलाई लामा
लद्दाख के सोनम वांगचुक व दलाई लामा

धर्मशाला: तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ( Dalai Lama)ने मैक्लोडगंज में अपने आवास पर शुक्रवार शाम को पृथ्वी दिवस पर जलवायु कार्यकर्ताओं और प्रतिभागियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप को बचाने के लिए चर्चा की. पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में उनसे मिलने आए प्रतिभागियों में लद्दाख के सोनम वांगचुक (3 इडियट्स फ़िल्म के रेंचो फेम) भी मौजूद रहे. ‘डायलॉग फॉर अवर फ्यूचर ए कॉल टू क्लाइमेट एक्शन’ शीर्षक से जलवायु पर(Dalai Lama emphasis on conserving rivers) तीन दिवसीय संवाद के लिए प्रतिभागी मैक्लोडगंज आए हुए हैं.

सोनम वांगचुक ने भेंट किया बर्फ का टुकड़ा: धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात के दौरान सोनम वांगचुक ने दलाई लामा को लद्दाख के खारदुंगला दर्रे के ग्लेशियर से लाया गया बर्फ का टुकड़ा भेंट किया. ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघलने पर दलाई लामा ने चिंता जताई. जलवायु परिवर्तन विषय पर तीन दिवसीय सम्मेलन की सह-मेजबानी तिब्बत नीति संस्थान, यूआरएसी रिसर्च, चेक सपोर्ट तिब्बत और तिब्बत के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभियान द्वारा की जा रही है, इसमें देश -विदेश से प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं.

नदियों के संरक्षण पर दलाई लामा का जोर: वहीं, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि लोग पर्यावरण के लिए चिंता कर रहे हैं.उसकी वह सराहना करते है.आखिरकार पानी ही हमारे जीवन का आधार है. उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम उन महान नदियों के संरक्षण के लिए कदम उठाए जो इतने सारे लोगों के लिए पानी का स्रोत है. उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवनकाल में तिब्बत में हिमपात में कमी और उसके परिणामस्वरूप नदियों के आयतन में कमी देखी है.

अतीत में पानी को हल्के में लिया: उन्होंने कहा कि अतीत में हम पानी को हल्के में लेते थे, हमने महसूस किया कि यह कहां से आया. इस पर ज्यादा विचार किए बिना हम इसका अप्रतिबंधित उपयोग कर सकते है.अब हमें अपने जल स्रोतों के संरक्षण के बारे में अधिक सावधान रहने की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि मेरा मानना ​​है कि हमारे पास खारे पानी, समुद्र के पानी को मीठे पानी में बदलने की तकनीक है ,जिससे हम कई जगहों पर रेगिस्तानों को हरा-भरा कर सकते और अधिक भोजन पैदा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी रहेगी कि आने वाली पीढ़ियां स्वच्छ पानी का आनंद लेती रहे.

यह भी पढ़ें-RSS प्रमुख मोहन भागवत ने धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात की

धर्मशाला: तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ( Dalai Lama)ने मैक्लोडगंज में अपने आवास पर शुक्रवार शाम को पृथ्वी दिवस पर जलवायु कार्यकर्ताओं और प्रतिभागियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने पर्यावरण के बिगड़ते स्वरूप को बचाने के लिए चर्चा की. पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में उनसे मिलने आए प्रतिभागियों में लद्दाख के सोनम वांगचुक (3 इडियट्स फ़िल्म के रेंचो फेम) भी मौजूद रहे. ‘डायलॉग फॉर अवर फ्यूचर ए कॉल टू क्लाइमेट एक्शन’ शीर्षक से जलवायु पर(Dalai Lama emphasis on conserving rivers) तीन दिवसीय संवाद के लिए प्रतिभागी मैक्लोडगंज आए हुए हैं.

सोनम वांगचुक ने भेंट किया बर्फ का टुकड़ा: धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात के दौरान सोनम वांगचुक ने दलाई लामा को लद्दाख के खारदुंगला दर्रे के ग्लेशियर से लाया गया बर्फ का टुकड़ा भेंट किया. ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघलने पर दलाई लामा ने चिंता जताई. जलवायु परिवर्तन विषय पर तीन दिवसीय सम्मेलन की सह-मेजबानी तिब्बत नीति संस्थान, यूआरएसी रिसर्च, चेक सपोर्ट तिब्बत और तिब्बत के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभियान द्वारा की जा रही है, इसमें देश -विदेश से प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं.

नदियों के संरक्षण पर दलाई लामा का जोर: वहीं, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि लोग पर्यावरण के लिए चिंता कर रहे हैं.उसकी वह सराहना करते है.आखिरकार पानी ही हमारे जीवन का आधार है. उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम उन महान नदियों के संरक्षण के लिए कदम उठाए जो इतने सारे लोगों के लिए पानी का स्रोत है. उन्होंने कहा कि मैंने अपने जीवनकाल में तिब्बत में हिमपात में कमी और उसके परिणामस्वरूप नदियों के आयतन में कमी देखी है.

अतीत में पानी को हल्के में लिया: उन्होंने कहा कि अतीत में हम पानी को हल्के में लेते थे, हमने महसूस किया कि यह कहां से आया. इस पर ज्यादा विचार किए बिना हम इसका अप्रतिबंधित उपयोग कर सकते है.अब हमें अपने जल स्रोतों के संरक्षण के बारे में अधिक सावधान रहने की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा कि मेरा मानना ​​है कि हमारे पास खारे पानी, समुद्र के पानी को मीठे पानी में बदलने की तकनीक है ,जिससे हम कई जगहों पर रेगिस्तानों को हरा-भरा कर सकते और अधिक भोजन पैदा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी रहेगी कि आने वाली पीढ़ियां स्वच्छ पानी का आनंद लेती रहे.

यह भी पढ़ें-RSS प्रमुख मोहन भागवत ने धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात की

Last Updated : Apr 23, 2022, 2:32 PM IST
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