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साइबर ठगों का नया हथियार ऑक्सीजन, दवाई और मेडिकल उपकरण, सोशल मीडिया पर रहें सावधान - cyber fraud in the name of corona

कोरोना महामारी में जहां हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है, वहीं साइबर ठग आपके बैंक खाते पर घात लगाए बैठे हैं. जरा सी चूक होने पर बैंक खाता खाली. साइबर ठगों ने इस महामारी में बीमारी के नाम पर ठगी करने के लिए जाल फैलाया है. जिससे आपको बचने की जरूरत है.

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Published : May 13, 2021, 9:45 PM IST

देहरादून : कोरोना महामारी से हर कोई परेशान है. एक तरफ आम आदमी हॉस्पिटलों में बेड, ऑक्सीजन, दवाई और मेडिकल उपकरणों के लिए इधर-उधर भटक रहा है. वहीं दूसरी तरफ साइबर ठग इसी का फायदा उठाकर आपके बैंक खाते पर घात लगाए बैठे हैं. साइबर ठगों ने इस महामारी में बीमारी के नाम पर ठगी का जाल फैलाया हुआ है, जिसमें कोई न कोई फंस ही जाता है. ऐसा ही एक मामला राजधानी देहरादून से सामने आया है. यहां ऑक्सीजन, दवाई और मेडिकल उपकरणों के नाम पर साइबर ठगी हो रही है.

कोरोना काल में जीवन रक्षक दवाइयों समेत ऑक्सीजन, ऑक्सीमीटर और मेडिकल उपकरणों की काफी कमी है, इसलिए इनकी जमकर कालाबाजारी हो रही है. हालांकि, पुलिस इनके नेटवर्क को तोड़ने में दिन-रात लगी हुई है. कार्रवाई भी की जा रही है, लेकिन कालाबाजारी करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. अब उन्होंने जरूरतमंदों को ठगने के नया हथियार बना लिया है, जिसने पुलिस की चिंता बढ़ा दी है.

साइबर ठगों से सावधान.
साइबर ठगों से सावधान.

देहरादून के राजेश नौटियाल (बदला हुआ नाम) हाल ही में इन साइबरों ठगों का शिकार हुए हैं. दरअसल, कुछ मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं, जहां दावा किया जा रहा है कि उनके पास इंजेक्शन, ऑक्सीजन और मेडिकल उपकरण हैं. जरूरतमंद आदमी इन्हीं नंबरों पर कॉल करता है और यहीं से शुरू होता साइबर ठगों का असली खेल.

साइबर ठगों से सावधान.
कोरोना के नाम पर हो रही ठगी.

राजेश नौटियाल के घर में एक कोरोना पॉजिटिव है, जिसके लिए उन्हें ऑक्सीमीटर और ऑक्सीजन किट की जरूरत थी. ये चीजें मार्केट में नहीं मिल रही थी. इसी बीच सोशल मीडिया पर शेयर किए गए एक नंबर पर राजेश ने कॉल किया. मेडिकल उपकरण उपलब्ध होने का दावा किया गया था. राजेश ने उस नंबर पर कॉल किया. राजेश को जिन मेडिकल उपकरणों की जरूरत थी उसको लेकर अज्ञात व्यक्ति से बात की. अज्ञात व्यक्ति ने बताया कि उसके पास सारे मेडिकल उपकरण उपलब्ध हैं.

इसके बाद साइबर ठग ने राजेश के फोन पर एक लिंक भेजा और कहा कि आपको कोरोना रिपोर्ट व डॉक्यूमेंट के लिए लिंक भेजा है. राजेश ने लिंक क्लिक किया. इसके बाद राजेश के फोन पर एक ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) भेजा और कहा कि रजिस्ट्रेशन के लिए ओटीपी नंबर बता दीजिए. राजेश ने जैसे ही साइबर ठग को ओटीपी बताया तभी उनके बैंक खाते से 65 हजार रुपये साफ हो गए. राजेश ने इस मामले की शिकायत साइबर थाना देहरादून को की है. पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी है.

वहीं, इस मामले में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के सीईओ अंकुश मिश्रा ने कहा कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है. साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की है कि मेडिकल उपकरण या कोरोना से जुड़ी अन्य जरूरतों को लेकर सोशल मीडिया पर जो नंबर शेयर हो रहे हैं, उन विज्ञापनों का पहले सत्यापन जरूर करें. रजिस्ट्रेशन के नाम किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक न करें. केवल अधिकृत दुकानों, एजेंसियों या डीलरों से ही जीवन रक्षक उपकरण खरीदें.

आप उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने किसी भी साइबर संबंधी शिकायत या सुझाव के लिए 0135-2655900 नंबर पर कॉल सकते हैं. इसके साथ ही आप ccps.deh@uttarakhandpolice.uk.gov.in पर ईमेल भी कर सकते हैं. यही नहीं, फेसबुक में माध्यम से भी https://www.facebook.com/cyberthanauttarakhand/ संपर्क कर सकते हैं.

पढ़ेंः दोस्ती, दुश्मनी और अपहरण : 32 साल पहले की 'गलती' में फंस गए पप्पू यादव

देहरादून : कोरोना महामारी से हर कोई परेशान है. एक तरफ आम आदमी हॉस्पिटलों में बेड, ऑक्सीजन, दवाई और मेडिकल उपकरणों के लिए इधर-उधर भटक रहा है. वहीं दूसरी तरफ साइबर ठग इसी का फायदा उठाकर आपके बैंक खाते पर घात लगाए बैठे हैं. साइबर ठगों ने इस महामारी में बीमारी के नाम पर ठगी का जाल फैलाया हुआ है, जिसमें कोई न कोई फंस ही जाता है. ऐसा ही एक मामला राजधानी देहरादून से सामने आया है. यहां ऑक्सीजन, दवाई और मेडिकल उपकरणों के नाम पर साइबर ठगी हो रही है.

कोरोना काल में जीवन रक्षक दवाइयों समेत ऑक्सीजन, ऑक्सीमीटर और मेडिकल उपकरणों की काफी कमी है, इसलिए इनकी जमकर कालाबाजारी हो रही है. हालांकि, पुलिस इनके नेटवर्क को तोड़ने में दिन-रात लगी हुई है. कार्रवाई भी की जा रही है, लेकिन कालाबाजारी करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. अब उन्होंने जरूरतमंदों को ठगने के नया हथियार बना लिया है, जिसने पुलिस की चिंता बढ़ा दी है.

साइबर ठगों से सावधान.
साइबर ठगों से सावधान.

देहरादून के राजेश नौटियाल (बदला हुआ नाम) हाल ही में इन साइबरों ठगों का शिकार हुए हैं. दरअसल, कुछ मोबाइल नंबर सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे हैं, जहां दावा किया जा रहा है कि उनके पास इंजेक्शन, ऑक्सीजन और मेडिकल उपकरण हैं. जरूरतमंद आदमी इन्हीं नंबरों पर कॉल करता है और यहीं से शुरू होता साइबर ठगों का असली खेल.

साइबर ठगों से सावधान.
कोरोना के नाम पर हो रही ठगी.

राजेश नौटियाल के घर में एक कोरोना पॉजिटिव है, जिसके लिए उन्हें ऑक्सीमीटर और ऑक्सीजन किट की जरूरत थी. ये चीजें मार्केट में नहीं मिल रही थी. इसी बीच सोशल मीडिया पर शेयर किए गए एक नंबर पर राजेश ने कॉल किया. मेडिकल उपकरण उपलब्ध होने का दावा किया गया था. राजेश ने उस नंबर पर कॉल किया. राजेश को जिन मेडिकल उपकरणों की जरूरत थी उसको लेकर अज्ञात व्यक्ति से बात की. अज्ञात व्यक्ति ने बताया कि उसके पास सारे मेडिकल उपकरण उपलब्ध हैं.

इसके बाद साइबर ठग ने राजेश के फोन पर एक लिंक भेजा और कहा कि आपको कोरोना रिपोर्ट व डॉक्यूमेंट के लिए लिंक भेजा है. राजेश ने लिंक क्लिक किया. इसके बाद राजेश के फोन पर एक ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) भेजा और कहा कि रजिस्ट्रेशन के लिए ओटीपी नंबर बता दीजिए. राजेश ने जैसे ही साइबर ठग को ओटीपी बताया तभी उनके बैंक खाते से 65 हजार रुपये साफ हो गए. राजेश ने इस मामले की शिकायत साइबर थाना देहरादून को की है. पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी है.

वहीं, इस मामले में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के सीईओ अंकुश मिश्रा ने कहा कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है. साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की है कि मेडिकल उपकरण या कोरोना से जुड़ी अन्य जरूरतों को लेकर सोशल मीडिया पर जो नंबर शेयर हो रहे हैं, उन विज्ञापनों का पहले सत्यापन जरूर करें. रजिस्ट्रेशन के नाम किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए लिंक पर क्लिक न करें. केवल अधिकृत दुकानों, एजेंसियों या डीलरों से ही जीवन रक्षक उपकरण खरीदें.

आप उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने किसी भी साइबर संबंधी शिकायत या सुझाव के लिए 0135-2655900 नंबर पर कॉल सकते हैं. इसके साथ ही आप ccps.deh@uttarakhandpolice.uk.gov.in पर ईमेल भी कर सकते हैं. यही नहीं, फेसबुक में माध्यम से भी https://www.facebook.com/cyberthanauttarakhand/ संपर्क कर सकते हैं.

पढ़ेंः दोस्ती, दुश्मनी और अपहरण : 32 साल पहले की 'गलती' में फंस गए पप्पू यादव

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