अमरावती : आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट (AP High Court) ने एक मामले में स्पष्ट किया कि सेक्स वर्कर का कस्टमर होने से ही ये साबित नहीं होता कि वह किसी भी अपराध के लिए जिम्मेदार है. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. रमेश ने हाल ही में इस यह फैसला सुनाया. गुंटूर पुलिस ने 2020 में एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया था. याचिकाकर्ता ने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट (विशेष मोबाइल कोर्ट) में लंबित मामला रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि पुलिस ने 10 अक्टूबर, 2020 को मामला दर्ज किया और जांच के बाद संबंधित अदालत में आरोप पत्र दायर किया. पुलिस का आरोप है कि जब वेश्यालय पर हमला हुआ तो याचिकाकर्ता वहां का ग्राहक था. याचिकाकर्ता की ओर से बहस करते हुए हबीबुल्ला शैक ने अदालत को बताया कि ऐसे ही मामलों में निर्णय हुए हैं जहां कानून ने यह तय किया है कि पैसे देकर वेश्यालय के घर जाने वाले ग्राहक पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही जारी रखना अवैध होगा और अदालतों की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा.
इस पर सरकार के अतिरिक्त लोक अभियोजक ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ग्राहक है और उक्त मामले को पहले के सामान्य आदेश में शामिल किया गया है. दलीलों को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति डी रमेश ने एपी और कर्नाटक उच्च न्यायालयों द्वारा निर्धारित पूर्व आदेशों के मद्देनजर याचिका की अनुमति दी और याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही को रद्द कर दिया.
पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्कर की पहचान करने का कार्य जारी रखने का दिया निर्देश