नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने सोमवार को कहा कि एक बार जब न्यायाधीश संविधान की शपथ लेते हैं तो राजनीति पीछे छूट जाती है और यह 'संविधान हमारा मार्गदर्शन करता है'. मुख्य न्यायाधीश सोसाइटी ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स, नई दिल्ली और जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर, वाशिंगटन डीसी द्वारा आयोजित वेबिनार में 'दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों के सर्वोच्च न्यायालय के तुलनात्मक दृष्टिकोण' विषय पर बोल रहे थे.
अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति स्टीफन ब्रेयर भी वेबिनार में शामिल थे. मुख्य न्यायाधीश के तर्ज पर बात करते हुए जस्टिस ब्रेयर ने कहा कि एक न्यायाधीश की राय राजनीतिक हो सकती है क्योंकि हो सकता है कि उसकी पृष्ठभूमि राजनीतिक रहा हो या उसका पालन- पोषण उस परिवेश में हुआ हो. लेकिन जब फैसले की बात आती है तो यह कानून उनका मार्गदर्शन करता है.
वेबिनार में CJI ने खराब न्यायिक बुनियादी ढांचे, न्यायपालिका में समाज के हर वर्ग को शामिल करने, भारत में जनहित याचिकाओं का महत्व, न्यायाधीशों की नियुक्ति आदि जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की. न्यायाधीशों की नियुक्ति के बारे में बात करते हुए सीजेआई ने कहा कि लोगों में गलत धारणा हैं कि न्यायाधीश, न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं. वास्तव में यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें कार्यपालिका को प्रमुख हितधारकों में से एक के रूप में शामिल किया गया है और कॉलेजियम प्रणाली से अधिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं हो सकती है.
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न्यायाधीशों की कम उम्र में सेवानिवृत्ति के विषय पर CJI ने कहा कि 65 की उम्र वास्तव में कम उम्र है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में शामिल होने के समय, 'हम अपनी सेवानिवृत्ति की तारीख जानते हैं.' यह पूछे जाने पर कि वह सेवानिवृत्ति के बाद क्या करने की योजना बना रहे हैं, सीजेआई ने कहा कि वह एक किसान का बेटा हैं. उनके पास खेती करने के लिए कुछ जमीन है और वह लोगों के बीच होंगे. सीजेआई ने कहा, 'एक बात मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं, न्यायपालिका से सेवानिवृत्ति का मतलब यह नहीं है कि मैं सार्वजनिक जीवन से सेवानिवृत्त हो जाऊंगा. वर्तमान में मैं अपनी भविष्य की सेवानिवृत्ति योजनाओं के बारे में सोचने में बहुत व्यस्त हूं.'