नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ग्रीस से सीधे बेंगलुरु जाने और इसरो के वैज्ञानिकों से व्यक्तिगत तौर पर मिल कर बधाई देने की खबरों के बाद कयास लगाया जा रहा है कि बीजेपी ने चंद्रयान की सफलता को आने वाले चुनावों के लिए एक बड़ा मुद्दा बना लिया है. लेकिन क्या ये सब आने वाले चुनावों को लेकर केवल एक पॉलिटिकल गिमिक है या फिर वोट डालने से पहले सचमुच लोगों पर इसका असर पड़ेगा, ये जानने के लिए हमारे नेशनल ब्यूरो चीफ राकेश त्रिपाठी ने सीएसडीएस यानी सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवेलपिंग सोसाइटीज़ के डायरेक्टर संजय कुमार से बातचीत की. संजय कुमार देश के मशहूर चुनाव विश्लेषकों में से एक हैं और उनके कई चुनावी आकलन वास्तविक परिणाम के काफी करीब साबित हुए हैं. आप भी पढ़िए.
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#WATCH | The PM congratulated all of us and said that he would like to personally come down and congratulate each one of us. ISRO's next mission is Aditya L-1 mission which is getting ready at Sriharikota: ISRO chief S Somanath on Chandrayaan-3 success pic.twitter.com/pWtaHG7wu9
— ANI (@ANI) August 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) August 23, 2023#WATCH | The PM congratulated all of us and said that he would like to personally come down and congratulate each one of us. ISRO's next mission is Aditya L-1 mission which is getting ready at Sriharikota: ISRO chief S Somanath on Chandrayaan-3 success pic.twitter.com/pWtaHG7wu9
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सवाल- प्रधानमंत्री मोदी ग्रीस से सीधे दिल्ली न आकर बेंगलुरु पहुंच रहे हैं. माना जा रहा है कि विदेश यात्रा से सीधे वैज्ञानिकों को बधाई देने के लिए जाकर वे दरअसल आने वाले चुनावों में इस सफलता को भुनाना चाहते हैं. क्या वाकई में ऐसी कोशिशों से वोट मिलते हैं ?
जवाब- देखिए, आज की राजनीति में नैरेटिव का बहुत बड़ा रोल है. ग्रीस से सीधे प्रधानमंत्री का बेंगलुरु उतरना और वैज्ञानिकों को बधाई देने जाना एक तरह से जनता को संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि चाहे छोटा मुद्दा हो, बड़ा मुद्दा हो...संपर्क रखना, हर चीज़ पर नज़र रखना, उस पर ध्यान देना, हर चीज को महत्व देना और प्रोत्साहित करना, इससे एक पॉजिटिव नैरेटिव बनता हुआ दिखाई देता है. ये कनेक्टिविटी है, कनेक्ट टू द पीपुल, कनेक्ट टू द सिचुएशन है, तो इस तरह से एक नैरेटिव बनाने में मदद मिलती है. अब सीधे-सीधे नहीं कहा जा सकता है कि इससे एक या दो पर्सेंट वोट बढ़ जाएगा. लेकिन ये सब करना पॉज़िटिव नैरेटिव ही बना रहा है, इससे कोई निगेटिविटी नहीं दिखाई पड़ रही है.
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#WATCH | Johannesburg, South Africa | Immediately after the success of Chandrayaan-3, PM Narendra Modi telephoned ISRO chief S Somanath and congratulated him. pic.twitter.com/NZWCuxdiXw
— ANI (@ANI) August 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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सवाल- राजनीति को पास से देखने और समझने वाले अक्सर कहते हैं कि वे ऐसे मौकों को हाथ से जाने नहीं देते, उनका इस्तेमाल करते हैं. क्या ये ठीक है ?
जवाब- अगर आप लीडरशिप के रोल में हैं तो किसी को भी ऐसे मौक छोड़ने नहीं चाहिए. इससे पहले दूसरे नेता ऐसे मौकों का फायदा नहीं उठा सके, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ऐसे मौकों का खूब फायदा उठाते हैं और वो प्रधानमंत्री हैं तो उनसे अपेक्षा भी की जाती है कि वो लीडरशिप के रोल में हैं, उन्हें देश के लिए किसी भी पॉज़िटिव मौके को नहीं छोड़ना चाहिए.
सवाल- कांग्रेस ने चंद्रयान की सफलता को नेहरू जी की दूरदर्शिता से जोड़ा है और कहा है कि इसरो का काम उन्हीं के समय में शुरू हुआ था. इससे क्या संदेश जाता है ?
जवाब- पार्टियों को इस तरह की प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए. सब जानते हैं कि स्पेस रिसर्च का इसरो का काम आज शुरू नहीं हुआ. लेकिन जब आप ऐसे मौके पर इसकी चर्चा करते हैं और कहते हैं कि ये तो नेहरू के समय में भी था, तो ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं आप काउंटर करने की कोशिश कर रहे हैं, तो जब ये संदेश जाता है, तो लोगों को शायद ये पसंद न आए. इन बातों का ज़िक्र कभी बाद में किया जाता तो ठीक था. इन मौकों पर किया जाता है तो लोग समझते हैं कि इसे काउंटर किया जा रहा है. इससे नुकसान होने की गुंजाइश है, फायदा तो होता नहीं दिखाई देता.
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Historic day for India's space sector. Congratulations to @isro for the remarkable success of Chandrayaan-3 lunar mission. https://t.co/F1UrgJklfp
— Narendra Modi (@narendramodi) August 23, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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