लखनऊ : रामपुर सीआरपीएफ कैंप की आतंकी घटना में शामिल रहे लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों सबाउद्दीन उर्फ सबा, इमरान शहजाद उर्फ अबू ओसामा व मोहम्मद फारुख उर्फ अबु उर्फ जुल्फकार को एटीएस के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने व एके-47 समेत विस्फोटक रखने के आरोपों में दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने सबाउद्दीन उर्फ सबा तथा इमरान शहजाद उर्फ अबू ओसामा पर 15 हजार पांच सौ रुपये जबकि मोहम्मद फारुख उर्फ अबु उर्फ जुल्फकार पर 22 हजार पांच सौ रुपये जुर्माना लगाया है. तीनों आतंकियों को रामपुर सीआरपीएफ कैम्प पर हमले के मामले में रामपुर की सत्र अदालत से फांसी की सजा भी मिली हुई है.
अदालत में सजा सुनाए जाने के समय तीनों जेल से उपस्थित थे. अदालत में इस मामले के विशेष लोक अभियोजक नागेंद्र गोस्वामी ने बताया कि जनवरी 2008 को सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर रामपुर में आतंकवादी हमले से सम्बंधित आतंकियों की तलाश व गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम का गठन किया गया था. कहा गया कि टीम द्वारा विभिन्न स्रोतों से काफी समय से इस घटना में शामिल आतंकी संगठन के सदस्यों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां संकलित की गई थी. 10 फरवरी, 2008 को एसटीएफ ने उक्त तीनों आतंकियों को चारबाग इलाके से गिरफ्तार किया था. एसटीएफ को सूचना मिली थी कि लश्कर-ए-तोयबा के तीन खूंखार आतंकी नौचंदी एक्सप्रेस से लखनऊ पहुंचने वाले हैं. वे लखनऊ में किसी व्यक्ति से मुलाकात कर मुम्बई के लिए रवाना होंगे. इस सूचना की पुष्टि एसटीएफ की रामपुर में मौजूद टीम ने भी की थी. अभियोजन के अनुसार यह भी सूचना मिली थी कि इनके पास तीन एयर बैग हैं, जिसमें अत्याधुनिक असलहे व विस्फोटक सामग्री मौजूद है.
इस मामले की एफआईआर एसटीएफ के निरीक्षक नवेन्दु कुमार ने थाना हुसैनगंज में दर्ज कराई थी. बाद में विवेचना एटीएस को सौंप दी गई थी. सरकारी वकील एमके सिंह के मुताबिक एटीएस ने इनके खिलाफ भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध की साजिश रचने, युद्ध की तैयारी के इरादे से गोला बारुद इकक्ठा करना, युद्ध को आसान बनाने के इरादे को छिपाना, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व विदेशी अधिनियम की धाराओं में छह अलग-अलग आरोप पत्र दाखिल किया था.
बता दें, चारबाग से एसटीएफ ने 2008 में एके 47, ग्रेनेड और पाकिस्तानी पासपोर्ट के साथ गिरफ्तार किया था. यह मामला 31 दिसंबर 2007 और 1 जनवरी 2008 का है. उस दिन रामपुर के सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आधी रात को आतंकी हमला हुआ था. हमले में 7 सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे और एक रिक्शा चालक मारा गया था. इस मामले में सोमवार को दोषियों को सजा सुनाई गई है. रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले के 15 साल बीत चुके हैं, लेकिन वहां को लोगों के जेहन में जख्म अब भी ताजा हैं. 31 दिसंबर 2007 के देर रात हुए हमले में सात जवान बलिदान हो गए थे. इसमें एक नागरिक की भी मौत हो गई थी. एक जनवरी 2008 को नए साल के जश्न के दिन पूरा देश शोक में डूब गया था. इस हमले के 12 साल बाद 2 नवंबर 2019 को रामपुर की अदालत ने हमले के दोषियों को सजा सुनाई थी. जिसमें दो पाकिस्तानी आतंकियों समेत चार को फांसी, एक को उम्र कैद, एक को 10 वर्ष का कारावास हुआ था. साक्ष्य के अभाव में अदालत ने दो को बरी कर दिया गया था.
गौरतलब है कि सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर 31 दिसंबर 2007 की रात ढाई बजे आतंकियों ने हमला कर दिया था. आतंकी दिल्ली-लखनऊ मार्ग स्थित सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर के गेट नंबर एक से अंदर घुसे थे. यहां गेट से पहले रेलवे क्रासिंग भी है. आतंकियों ने गेट पर मौजूद जवानों पर गोलियां बरसाईं और हैंड ग्रेनेड भी फेंके थे. इसके बाद आतंकी एके-47 से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाते हुए सीआरपीएफ केंद्र के परिसर में काफी अंदर तक चले गए थे. इस हमले में सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हो गए थे. गेट के बाहर अपने रिक्शा पर सो रहे चालक की भी मौत हो गई थी. पुलिस ने हमले में आठ आरोपियों पीओके का इमरान शहजाद, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का मुहम्मद फारुख, बिहार का सबाउद्दीन उर्फ सहाबुद्दीन, मुंबई गोरे गांव का फहीम अंसारी, उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़ का मुहम्मद कौसर, जिला बरेली के थाना बहेड़ी का गुलाब खांं, मुरादाबाद के ग्राम मिलक कामरू का जंग बहादुर बाबा और रामपुर का मुहम्मद शरीफ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इन्हें लखनऊ और बरेली की जेलों में बंद किया गया था.