नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजनीति के अपराधीकरण (Criminalisation of politics) को रोकने के लिए जारी किए गए उसके दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने के लिए राजनीतिक दलों के प्रमुखों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने संबंधी याचिका शुक्रवार खारिज कर दी. न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की एक पीठ ने कहा कि इस मामले पर विचार करने के लिए निर्वाचन आयोग के पास सक्षम प्राधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट वकील ब्रजेश सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव सहित कई नेताओं के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया था. याचिका में दावा किया गया है कि इन दलों ने शीर्ष अदालत के अगस्त 2021 में सुनाए फैसले का पालन नहीं किया, जिसमें उत्तर प्रदेश के उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करने को कहा गया था.
शीर्ष अदालत ने अगस्त 2021 में सभी राजनीतिक दलों को अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया मंच पर अपने उम्मीदवारों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों का विवरण देने और उन्हें चुनने के कारणों के साथ-साथ आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को टिकट न देने का निर्देश दिया था. अदालत ने कहा था कि राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटे के भीतर या नामांकन पत्र दाखिल करने से कम से कम दो सप्ताह पहले ये ब्योरा प्रकाशित करना चाहिए. न्यायालय ने यह भी कहा था कि इन जानकारियों को राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया मंचों तथा एक स्थानीय भाषा एवं एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में प्रकाशित किया जाए.
(पीटीआई-भाषा)