लखनऊ : राजधानी के बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में लखनऊ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई है. रविवार को मौजूदा डीआईजी एनएसजी मंजिल सैनी समेत 5 लोग मामले की जांच कर रहे एडीजी इंटेलिजेंस भगवान स्वरूप और एसपी इंटेलिजेंस संजीव त्यागी के समक्ष अपने बयान दर्ज कराने पहुंचे.
दरअसल, श्रवण साहू हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई ने मार्च 2021 में आईपीएस मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय जांच करवाने की सिफारिश की थी. तत्कालीन एसएसपी लखनऊ मंजिल सैनी पर आरोप है कि उन्होंने कारोबारी श्रवण साहू को सुरक्षा मुहैया कराने में हीलाहवाली की थी. सीबीआई ने भी अपनी जांच में इस आरोप पर मंजिल को दोषी माना था. श्रवण साहू अपने बेटे की हत्या के मामले में पैरोकार थे. उन्हें आरोपियों की ओर से लगातार धमकियां मिल रहीं थीं. बावजूद इसके पुलिस ने उन्हें सुरक्षा प्रदान नहीं की थी.
तत्कालीन एसएसपी लखनऊ व मौजूदा समय की डीआईजी एनएसजी मंजिल सैनी रविवार को लखनऊ स्थित इंटीलेंजेंस मुख्यालय पहुंचीं. यहां उनसे एडीजी इंटेलिजेंस भगवान स्वरूप और एसपी इंटेलिजेंस संजीव त्यागी ने श्रवण साहू को सुरक्षा प्रदान न करने के कारणों को लेकर पूछताछ की. मंजिल सैनी के अलावा तत्कालीन एलआईयू के डिप्टी एसपी एके सिंह, श्रवण साहू के करीबी मित्र और एक पत्रकार समेत 5 लोग इंटेलिजेंस मुख्यालय पहुंचे थे.
सीबीआई ने कई अधिकारियों को माना है दोषी : सीबीआई की जांच में सामने आया है कि श्रवण साहू ने एसएसपी व डीएम से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने उनकी मांग को अनदेखा किया था. वहीं तत्कालीन डीएम जीएस प्रियदर्शी ने साहू को सुरक्षा मुहैया कराने की फाइल को लटकाए रखा था. वहीं इसी दौरान वो अन्य लोगों को सुरक्षा देने से संबंधित फाइल पर अपनी स्वीकृति प्रदान करते रहे थे. सीबीआई ने जीएस प्रियदर्शी से इस मामले में पूछताछ भी की थी, लेकिन वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे. सीबीआई ने तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक एलआईयू एके सिंह को भी दोषी माना था. उन पर आरोप है कि उन्होंने श्रवण साहू के बेटे की हत्या के बाद उन पर भी जान का खतरा होने के बावजूद सुरक्षा देने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए और फाइल को लटकाए रखा. जांच के दौरान सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी तो उन्होंने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगा दिया था.
ये है पूरा मामला : दरअसल, लखनऊ के सआदतगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले तेल व्यवसायी श्रवण साहू की 1 फरवरी 2017 को उनके घर के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. श्रवण अपने बेटे के हत्यारों के खिलाफ अदालत में पैरवी कर रहे थे. श्रवण के बेटे आयुष साहू की हत्या 16 अक्टूबर 2013 में कर दी गई थी, जिसके वह इकलौते गवाह थे. श्रवण साहू को जान का खतरा होने के बावजूद उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने में लखनऊ के सभी उच्च अधिकारियों की लापरवाही सामने आई. श्रवण ने तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी व डीएम जीएस प्रियदर्शी से भी सुरक्षा की गुहार लगाई थी जिसे उन्होंने दरकिनार कर दिया था. बाद में 1 फरवरी 2017 को बदमाशों ने श्रवण साहू की उनकी दुकान में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी थी.
सुरक्षा देने के बजाय पुलिस ने श्रवण साहू पर ही दर्ज कर ली थी FIR : आयुष की हत्या के बाद लखनऊ पुलिस ने उसके पिता श्रवण साहू को ही आरोपी बताकर फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया था. इसके बाद तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने एक दरोगा व 2 सिपाहियों को बर्खास्त व 6 पुलिस कर्मियों को सस्पेंड कर दिया था. बाद में श्रवण साहू ने मंजिल सैनी से मिलकर खुद की जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी. जिसे उन्होंने दरकिनार कर दिया था. वहीं श्रवण साहू ने डीएम से भी सुरक्षा की गुहार लगाते हुए प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन जिलाधिकारी कार्यालय में भी फाइल लटकी रही. इसके बाद श्रवण की भी हत्या हो गई. 20 फरवरी 2017 को हाईकोर्ट ने आयुष व श्रवण हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. यही नहीं पुलिस की भूमिका की भी सीबीआई को जांच करने के निर्देश दिए थे. सीबीआई ने श्रवण हत्याकांड मामले में 11 मई 2017 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी.
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