हरिद्वार (उत्तराखंड): उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से पूर्व सांसद कादिर राणा पर केस दर्ज हुआ है. पुलिस ने बताया कि अनीता गुप्ता निवासी रुड़की ने मंगलौर कोतवाली में तहरीर दी थी कि ताशीपुर के पास गंगनहर के किनारे उनकी खेती की जमीन है. जमीन में उन्होंने पेड़ लगा रखे थे. उनकी जमीन के पास एक लोहे की फैक्ट्री है.
ये है पूरा मामला: इस फैक्ट्री के मालिक मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद कादिर राणा हैं. राणा ने उनकी जमीन से करीब 50 पॉपुलर और यूकेलिप्टस के पेड़ चोरी से काट लिए हैं. इसी के साथ कादिर राणा ने बाउंड्री तोड़कर खेत की कई मीटर जमीन पर भी कब्जा कर लिया है. इतना ही नहीं पाइप के जरिए फैक्ट्री का गंदा पानी भी खेत में डाला डाला जाता रहा है.
मंगलौर कोतवाली में कादिर राणा के खिलाफ मुकदमा दर्ज: मंगलौर कोतवाली के प्रभारी महेश जोशी ने बताया कि मामले में चोरी का केस दर्ज कर लिया गया है. मामले में जांच सही पाए जाने पर एनसीआर (Non Cognizable Report) को एफआईआर (First Information Report) में तब्दील किया गया है.
कौन हैं कादिर राणा? जानिए राजनीतिक सफर: मुजफ्फरनगर जिले के लोहा उद्यमी गांव सूजडू निवासी कादिर राणा ने राजनीति की शुरुआत 1988 में नगर पालिका के सभासद के चुनाव से की थी. वह वार्ड संख्या 26 से सभासद निर्वाचित हुए थे. सभासद बनने के बाद कादिर ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की. सपा नेता के रूप में उन्होंने एक बड़ी पहचान बनाने का काम किया और वह मुलायम सिंह यादव का विश्वास हासिल करने में सफल रहे. उन्होंने सपा में जिलाध्यक्ष का दायित्व भी निभाया.
मुलायम सिंह यादव ने विधान परिषद भेजा था: 1998 में मुलायम सिंह यादव ने उनको विधान परिषद में भिजवाया. इससे पहले सपा ने साल 1993 में राम लहर वाले विधानसभा चुनाव में कादिर राणा को सदर सीट से प्रत्याशी बनाकर उतारा था. पूरी तरह से ध्रुवीकरण के इस चुनाव में उन्होंने 72 हजार से भी ज्यादा वोट हासिल किये, लेकिन भाजपा के सुरेश संगल से वह पराजित हो गये थे.
सपा छोड़कर रालोद में गए फिर बसपा ज्वाइन की: 2004 के लोकसभा चुनाव में कादिर राणा सपा से मजबूत दावेदार बने. लेकिन उनके स्थान पर मुजफ्फरनगर से सपा ने मुनव्वर हसन को टिकट दिया. राजनीतिक उपेक्षा के चलते उन्होंने सपा को छोड़ दिया और रालोद के टिकट पर 2007 में मोरना से विधानसभा का चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उनको जीत मिली. इसके बाद 2009 में उन्होंने बसपा का दामन थामा तो मायावती ने उनको मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में कादिर राणा दलित-मुस्लिम के साथ पिछड़ों के बल पर जीत गए.
2014 से राजनीतिक सितारा गर्दिश में चला गया: 2014 के चुनाव में बसपा ने उनको फिर से मैदान में उतारा, लेकिन इस चुनाव में मोदी लहर के कारण वह भाजपा के डॉ संजीव बालियान के सामने बुरी तरह हार गये. भाजपा रिकार्ड मतों से जीती. 2017 के चुनाव में बसपा ने उनकी पत्नी सईदा बेगम को बुढ़ाना विधानसभा सीट से टिकट दिया. इस चुनाव में मुस्लिमों के सपा के पीछे लामबंद हो जाने से वह मुख्य मुकाबले से ही बाहर हो गईं. इस सीट को भाजपा के उमेश मलिक ने जीत लिया.
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