देहरादूनः उत्तराखंड में इस मॉनसून सीजन में मिले जख्म भरने की जगह धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं. बारिश के कारण लैंडस्लाइड और सड़कों का वॉशआउट अभी भी जारी है. सबसे ज्यादा असर राष्ट्रीय राजमार्गों पर देखा जा रहा है. यात्रियों और स्थानीय लोगों को कई-कई दिनों तक हाईवे खुलने का इंतजार करना पड़ रहा है. लैंडस्लाइड से लोगों के आशियाने तबाह हो रहे हैं. इस समय चमोली जिला भी इन प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहा है. जिले के जोशीमठ और गोपेश्वर क्षेत्र को कुदरत ने निशाना बनाया हुआ है. घरों से लेकर सड़कों तक बारिश का असर देखने को मिल रहा है. सबसे ज्यादा खराब हालात ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोपेश्वर और जोशीमठ के बीच मैठाणा और पुरसारी गांव का है. आलम ये है कि जिस हाईवे पर गाड़ियां सरपट दौड़ती थी, वहां अब लोग पैदल चलने से भी घबरा रहे हैं.
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श्री बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर मैठाणा व पुरसाडी के मध्य सड़क धँस जाने के कारण आज यातायात निरीक्षक प्रवीण आलोक द्वारा उक्त स्थान पर सावधानी के दृष्टिगत रिफ्लेक्टर टेप लगाए गए।
— Chamoli Police Uttarakhand (@chamolipolice) August 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
👉 आप सभी से अनुरोध है कि इस स्थान पर सावधानी पूर्वक चलें। pic.twitter.com/GfRBSYz406
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👉 आप सभी से अनुरोध है कि इस स्थान पर सावधानी पूर्वक चलें। pic.twitter.com/GfRBSYz406श्री बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर मैठाणा व पुरसाडी के मध्य सड़क धँस जाने के कारण आज यातायात निरीक्षक प्रवीण आलोक द्वारा उक्त स्थान पर सावधानी के दृष्टिगत रिफ्लेक्टर टेप लगाए गए।
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हाईवे की दरारों ने दी चेतावनी: जोशीमठ, उत्तराखंड का वह इलाका है, जहां बीते दिसंबर और जनवरी माह में घरों में दरारें आने की वजह से दुनिया ने इस शहर को रोता हुआ देखा था. और अब जोशीमठ-गोपेश्वर के निकट नेशनल हाईवे पर मैठाणा और पुरसारी गांव के पास जमीनें फटकर पाताल में जाने को आतुर हैं. खबर ये है कि अब हाईवे धीरे-धीरे नीचे की तरफ खिसक रहा है. ऋषिकेश-बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर मौजूदा समय में 20 भूस्खलन और 11 भू-धंसाव जोन सक्रिय हो गए हैं. यह वह इलाके हैं जिनको लेकर सालों से चेतावनी जारी की जा रही थी. लेकिन इस बारिश ने उनको सक्रिय करके पूरे भूगोल को बदल दिया है.
मैठाणा गांव के पास हाईवे का 100 मीटर हिस्सा खिसका: मौजूदा समय में मैठाणा के बीच हाईवे का करीब 100 मीटर हिस्सा तेजी से अलकनंदा नदी की तरफ खिसक रहा है. खास बात ये है कि 5 साल पहले इस हाईवे का ट्रीटमेंट हुआ था. इतना ही नहीं, बदरीनाथ हाईवे पर ऑल वेदर रोड के निर्माण के कारण हेलंग, कंचनगंगा, लंबागढ़, नंदप्रयाग और छिनका में सड़क का एक बड़ा हिस्सा भूस्खलन की चपेट में आ गया है. इसके अलावा मलेथा और देवप्रयाग के पास भी भारी भूस्खलन की वजह से बार-बार सड़क को नुकसान पहुंच रहा है. तोताघाटी और अटाली में भी ऐसे ही हालात हैं.
पुरसारी गांव के पास भी दरारों ने डराया: पुरसारी गांव के पास ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगभग 50 मीटर लंबे हिस्से में जमीन धंसने के संकेत मिल रहे हैं और इसमें दरारें दिखाई दे रही हैं. चमोली और नंदप्रयाग के बीच स्थित हिस्सा स्पष्ट रूप से अलकनंदा नदी की ओर डूब रहा है. स्थिति से चिंतित अधिकारियों ने पहाड़ की ओर से आने वाले वाहनों को धीमी गति से चलने की चेतावनी दी है. ड्राइवरों को सचेत करने के लिए प्रभावित स्थान पर पुलिस टीम तैनात की गई है. इस मॉनसून में भारी बारिश के कारण न केवल राजमार्ग पर ताजा भूस्खलन बिंदु उभर आए हैं, बल्कि पुराने भी सक्रिय हो गए हैं, जिसके कारण यातायात बार-बार बाधित हो रहा है.
क्षतिग्रस्त मार्ग को ठीक करने का कोई तरीका नहीं: 13 अगस्त की रात से लगातार जारी बारिश ने बदरीनाथ धाम से पहले हाईवे पर कई जगह सड़कों को नुकसान पहुंचाया है. हाईवे के हालत को देखते हुए सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) की एक टीम ने मौके का निरीक्षण किया, जिसके बाद कुछ जगहों को चिन्हित किया गया है. फिलहाल संबंधित विभाग के पास इन सड़क की दरारों को ठीक करने का ऐसा कोई तरीका नहीं है. लिहाजा दरारों को सिर्फ भरने का काम किया जा रहा है.
शहरों और पहाड़ों की संरचना का सर्वे शुरू: उत्तराखंड में लगातार हो रहे भू-धंसाव के लिए बीते महीने राज्य सरकार ने शहरों की क्षमता जांचने के लिए एक टीम गठित करने के आदेश दिए थे. लिहाजा अब हालत बिगड़ने के बाद केयरिंग कैपेसिटी की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. भूस्खलन न्यूनीकरण एवं आपदा प्रबंधन केंद्र के विशेषज्ञ द्वारा शहरों की भूमि और पहाड़ों की संरचना का सर्वे शुरू होने जा रहा है. आपदा सचिव रंजीत कुमार सिन्हा की माने तो इस मामले में फिलहाल उत्तराखंड लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर (यूएलएमएमसी) के द्वारा टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. शुरुआती चरण में हम 15 शहरों का सर्वेक्षण करवा रहे हैं. रंजीत सिन्हा का कहना है कि यह बात सही है कि बीते कुछ समय से राज्य में दरारों की घटनाएं बढ़ी हैं. जोशीमठ के मामले में भी हम हर विकल्प पर काम कर रहे हैं.
826 करोड़ का नुकसान: जोशीमठ के घरों में आई दरारों का अगर जिक्र न करें तो 15 जून से अब तक प्राकृतिक आपदाओं की वजह से राज्य सरकार को 826 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो गया है. हालांकि अभी पूरी तरह से नुकसान की रिपोर्ट मुख्यालय नहीं पहुंची है. शासन अब राज्य के मुख्य मार्गों के संवेदनशील इलाकों का अध्ययन सही तरीके और वैज्ञानिक दृष्टि से कराने जा रही है.