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राफेल सौदे में पीएम मोदी की भूमिका की हो जेपीसी जांच : सीपीएम

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Published : Jul 5, 2021, 3:06 AM IST

सीपीएम ने मांग की है कि राफेल डील में केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराई जाए. सीपीएम ने एक फ्रांसीसी खोजी वेबसाइट द्वारा उजागर किए गए सौदे से संबंधित आधिकारिक कागजात को लेकर यह मांग की है.

राफेल सौदे में पीएम मोदी की भूमिका
राफेल सौदे में पीएम मोदी की भूमिका

नई दिल्ली : सीपीएम ने रविवार को राफेल सौदे में सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की. पार्टी ने एक बयान में कहा कि फ्रांसीसी लोक अभियोजन सेवा (पीएनएफ) ने मोदी सरकार द्वारा 2016 में राफेल लड़ाकू विमानों के लिए किए गए अरबों डॉलर के सौदे में एक फ्रांसीसी न्यायाधीश द्वारा जांच करने का आदेश दिया है और पीएनएफ की वित्तीय शाखा के एक निर्णय के बाद, 14 जून को अंतर-सरकारी समझौते में न्यायिक जांच औपचारिक रूप से शुरू हो गई है.

सीपीएम ने कहा कि एक फ्रांसीसी खोजी वेबसाइट द्वारा उजागर किए गए सौदे से संबंधित आधिकारिक कागजात बताते हैं कि राफेल जेट के निर्माता डसॉल्ट एविएशन और अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने मोदी के नए सौदे की घोषणा और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को इससे बाहर करने से 15 दिन पहले 26 मार्च, 2015 को एक समझौता किया था.

पार्टी ने कहा, यह सीपीएम द्वारा उठाई गई आशंकाओं की पुष्टि करता है कि पहले के खरीद समझौते से प्रधानमंत्री मोदी का हटना गहरे भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है.

यह भी पढ़ें- राफेल सौदा : कांग्रेस के सवाल पर भाजपा का पलटवार, दिया ये जवाब

सीपीएम ने कहा, पोलित ब्यूरो इस पूरे प्रकरण में प्रधानमंत्री और सरकार की भूमिका की जांच करने और सौदे की सच्चाई स्थापित करने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति के गठन की सितंबर, 2018 में उठाई गई अपनी मांग को दोहराता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सीपीएम ने रविवार को राफेल सौदे में सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की. पार्टी ने एक बयान में कहा कि फ्रांसीसी लोक अभियोजन सेवा (पीएनएफ) ने मोदी सरकार द्वारा 2016 में राफेल लड़ाकू विमानों के लिए किए गए अरबों डॉलर के सौदे में एक फ्रांसीसी न्यायाधीश द्वारा जांच करने का आदेश दिया है और पीएनएफ की वित्तीय शाखा के एक निर्णय के बाद, 14 जून को अंतर-सरकारी समझौते में न्यायिक जांच औपचारिक रूप से शुरू हो गई है.

सीपीएम ने कहा कि एक फ्रांसीसी खोजी वेबसाइट द्वारा उजागर किए गए सौदे से संबंधित आधिकारिक कागजात बताते हैं कि राफेल जेट के निर्माता डसॉल्ट एविएशन और अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने मोदी के नए सौदे की घोषणा और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को इससे बाहर करने से 15 दिन पहले 26 मार्च, 2015 को एक समझौता किया था.

पार्टी ने कहा, यह सीपीएम द्वारा उठाई गई आशंकाओं की पुष्टि करता है कि पहले के खरीद समझौते से प्रधानमंत्री मोदी का हटना गहरे भ्रष्टाचार और धनशोधन से संबंधित है.

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सीपीएम ने कहा, पोलित ब्यूरो इस पूरे प्रकरण में प्रधानमंत्री और सरकार की भूमिका की जांच करने और सौदे की सच्चाई स्थापित करने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति के गठन की सितंबर, 2018 में उठाई गई अपनी मांग को दोहराता है.

(पीटीआई-भाषा)

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