नई दिल्ली: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-एम) ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया है. सीपीआई ने सोमवार कहा कि वह आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. हालांकि, पार्टी ने छत्तीसगढ़ में तीन और मध्य प्रदेश में चार सीटों पर चुनाव लड़ने का भी फैसला किया है. वहीं, पार्टी तेलंगाना में इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर चर्चा कर रही है. माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय केंद्रीय समिति की बैठक में यह जानकारी दी.
विधानसभा चुनावों में माकपा उम्मीदवार : उन्होंने कहा, "हमने भारतीय गठबंधन सहयोगियों के साथ परामर्श के बाद आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए ये निर्णय लिया है. तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारी की लिस्ट पर हमारी चर्चा जारी है." राजस्थान में गत विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए येचुरी ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 24 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिससे कांग्रेस को सरकार बनाने में मदद मिली.
केरल ब्लास्ट की कड़ी निन्दा : केरल के कलामासेरी में एक कन्वेंशन सेंटर में हुए बम ब्लास्ट पर येचुरी ने कहा कि माकपा इस घटना की कड़ी निन्दा करती है. बता दें कि इस बम ब्लास्ट में तीन लोगों की मौत और कई अन्य घायल हुए हैं. उन्होंने कहा, "माकपा की केंद्रीय समिति ने सोशल मीडिया पर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री की टिप्पणी की निंदा की, जिन्होंने तथ्यों का पता लगाए बिना केरल और उसके लोगों के खिलाफ सांप्रदायिक टिप्पणियां कीं. केंद्रीय समिति ने केरल के लोगों से आह्वान किया कि वे उन तत्वों के खिलाफ आगे आएं, जो केरल के अद्वितीय सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करना चाहते हैं."
उन्होंने कहा कि केंद्रीय समिति ने इजरायल और हमास के बीच युद्ध में मानवीय युद्धविराम, सभी नागरिकों की सुरक्षा और तत्काल मानवीय सहायता के आह्वान वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर सहमति देने से मोदी सरकार के इनकार की कड़ी निंदा की.
वन नेशन वन इलेक्शन : केंद्र सरकार की वन नेशन वन इलेक्शन पहल का जिक्र करते हुए येचुरी ने कहा, "केंद्रीय समिति ने इस प्रस्ताव के खिलाफ स्पष्ट रुख अपनाया है. यह प्रस्ताव हमारे संविधान में निहित संसदीय लोकतंत्र और संघवाद पर दोहरा हमला होगा. संविधान में महत्वपूर्ण संशोधनों के अलावा, इस तरह के प्रस्ताव में लोकसभा चुनावों के साथ तालमेल बिठाने के लिए राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल में या तो कटौती की जाएगी या उनका विस्तार किया जाएगा. जब कोई सरकार सदन में अपना बहुमत खो देती है, तो उसका बने रहना अवैध है. वहीं, अगर केंद्रीय शासन लागू किया जाता है, जिससे लोग सरकार चुनने के अधिकार से वंचित हो जाएंगे, तो यह लोकतंत्र विरोधी होगा."