पलामू: नीतीश सरकार के फैसले पर भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने सवाल उठाया है. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा है कि सिर्फ खास चेहरे को देखकर रिहाई नहीं होनी चाहिए, बल्कि वर्षो से टाडा या अन्य मामले में जेल बंद लोगों की भी रिहाई होनी चाहिए. रिहाई के मामले में सरकार को पुनर्विचार करनी चाहिए. सरकार को मामले में पारदर्शी नीति अपनाने की जरूरत है. इसमें भेदभाव नहीं होनी चाहिए, यह ठीक नहीं है. बिहार में वामपंथी संगठनों के 12 विधायक हैं और नीतीश सरकार को समर्थन कर रहे हैं.
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दरअसल, बिहार सरकार ने जेल मैनुअल में बदलाव करते हुए बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई का निर्णय लिया है. आनंद मोहन डीएम हत्याकांड मामले में सजायाफ्ता हैं. बिहार सरकार में आनंद मोहन की रिहाई का निर्णय लिया है. पूरे मामले में बोलते हुए भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार में शराबंदी हो या टाडा का मामला हो बड़ी संख्या में लोग जेल में बंद हैं, इनलोगों की भी रिहाई होनी चाहिए.
2003 से उनके 14 साथी बिहार के विभिन्न जिलों में बंद थे, जिनमें से पांच की जेल के अंदर ही मौत हो गई. बिहार के विभिन्न जेलों के अंदर बड़ी संख्या में 60 वर्ष से अधिक और शराबबंदी के मामले में लोग अंदर बंद हैं, इनकी भी रिहाई होनी चाहिए. कैदियों को छोड़े जाने के बारे में पारदर्शी नीति होनी चाहिए. पूरे मामले में उन्होंने नीतीश कुमार से बातचीत की थी. उनके साथी टाडा के मामले में वर्षो से जेल में बंद हैं, उन पर फर्जी मुकदमे किए गए थे. उनकी रिहाई की मांग वर्षो से लंबित है. बिहार में शराबबंदी कानून का गलत फायदा उठाया गया है और कई लोगों को जेल में भेजा गया है. बड़ी संख्या में गरीब और दलित जेल में बंद हैं, रिहाई चुनिंदा लोगों की नहीं होनी चाहिए.