नई दिल्ली : उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के एक साल बाद भी पीड़ित परिवारों को न्याय की आस है. मंगलवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ने दिल्ली पुलिस की जांच प्रणाली पर सवाल खड़े किये.
बृंदा करात ने कहा कि 'घटना के पीछे संलिप्त भाजपा नेताओं को केंद्र सरकार का संरक्षण प्राप्त है.' बृंदा करात ने हिंसा के दौरान क्षेत्र में पुलिस की तैनाती और कार्रवाई पर भी सवाल उठाए और इसके लिये सीधे तौर पर गृह मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया.
पीड़ित परिवारों को भी मीडिया के सामने लाया गया. सात परिवारों ने दिल्ली पुलिस पर मामले में ठीक तरह से कार्रवाई न करने का आरोप लगाया है.
सीपीएम नेता बृंदा करात ने इस पूरे प्रकरण पर अपनी पार्टी के द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट साझा की.
कई ऐसे तथ्य सामने रखे जिसमें पुलिस की कार्रवाई और जांच पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. दिल्ली पुलिस ने पूरे मामले में कुल 751 एफआईआर दर्ज की थीं लेकिन दंगों से जुड़े कई दस्तावेज सार्वजनिक करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि जांच के दौरान पाई गई कई जानकारियां संवेदनशील हैं. दिल्ली पुलिस के मुताबिक दंगों की शुरुआत सड़क जाम से हुई जिसका नेतृत्व नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोग संभाल रहे थे.
कपिल मिश्रा पर साधा निशाना
बृंदा करात ने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का नाम लेते हुए कहा कि 'उन्होंने दिल्ली पुलिस अधिकारी के सामने खड़े होकर भड़काऊ भाषण दिया जिस पर हाई कोर्ट ने न्यायालय में उनकी वीडियो टेप चला कर दिल्ली पुलिस से पूछा था कि क्या ये व्यक्तव्य उन्हें भड़काऊ नहीं लगते? इसके बावजूद भी दिल्ली पुलिस ने कपिल मिश्रा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.'
मिश्रा के हालिया बयान का जिक्र करते हुए बृंदा करात ने कहा कि उनकी बातों से स्पष्ट जाहिर होता है कि उन्हें अपने किये पर कोई अफसोस नहीं है और उन्हें भाजपा का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है.
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54 लोगों की हुई थी मौत
23 फरवरी 2020 को उत्तर पूर्वी दिल्ली में शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा को नियंत्रित करने में पांच दिन का समय लगा था. इस दौरान कुल 54 लोगों की मौत हुई थी और 1800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.