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जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष के खिलाफ कर रही मोदी सरकार : सीपीआई

सीपीआई के महासचिव डी राजा ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों और इन्हें समर्थन करने वालों के खिलाफ नोटिस देने के मामले में आड़े हाथों लिया है. इस संबंध में डी राजा ने ईटीवी भारत से बात की. इस दौरान सीपीआई नेता ने कहा कि सरकार इन एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष पर निशाना साधने के लिए कर रही है. आइए विस्तृत से जानते हैं कि इस दौरान डी राजा ने क्या कुछ कहा...

सीपीआई के महासचिव डी राजा
सीपीआई के महासचिव डी राजा
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Published : Jan 18, 2021, 8:28 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) मामले में एक दर्जन से अधिक लोगों को नोटिस दिया है, जिनमें एक पत्रकार और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से जुड़े किसान नेता और अन्य शामिल हैं. इस पर सीपीआई महासचिव डी राजा ने कहा कि सरकार को किसान की मांग को मान लेना चाहिए और तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर देना चाहिए. ऐसा करने के बजाय सरकार सोच रही है कि लोगों को एनआईए की नोटिस जारी करके, राष्ट्र-विरोधी और आतंकवादी कहकर किसान आंदोलन को दबा सकती है और इस आंदोलन की छवि को परिवर्तित कर सकती है.

ईटीवी भारत ने सीपीआई के महासचिव डी राजा से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने एनआईए द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल उठाया है. उन्होंने एनआईए की कार्रवाई को पूरी तरह से गलत बताया है. उन्होंने कहा कि एनआईए द्वारा भेजी जा रही नोटिस का यह समय सही नहीं है. अगर एनआईए के पास इस तरह के इनपुट थे, तो इतने वर्षों से क्या कर रही थी.

राजा ने कहा कि लोग अब सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं. मोदी सरकार सभी एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष पर निशाना साधने के लिए कर रही है. इतना ही नहीं जो कोई सरकार पर सवाल उठा रहा है, उसके खिलाफ भी सरकार इन एजेंसियों का उपयोग कर रही है.

सीपीआई के महासचिव डी राजा का बयान.

राजा ने कहा कि यह मोदी सरकार पूरी तरह से घमंडी है और उसने कॉरपोरेट्स, बड़े कारोबारी घरानों के हितों की रक्षा के लिए कमेटी बनाई है. इसीलिए वह किसानों को कम आंक रही है.

उन्होंने आगे कहा कि सरकार बातचीत करने में पूरी तरह से ईमानदार नहीं है. राजा ने कहा कि आगे की वार्ता के लिए बातचीत नहीं हो सकती. इस मामले को सरकार को समझना चाहिए और किसानों की समस्याओं पर गौर करना चाहिए.

गौरतलब है कि एनआईए ने पिछले साल 15 दिसंबर को आईपीसी की कई धाराओं सहित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक मामला दर्ज किया था.

एफआईआर में एनआईए ने आरोप लगाया था कि एक गैर-कानूनी संगठन एसएफजे और अन्य खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों ने भय और अराजकता का माहौल बनाने के लिए एक साजिश रची है. आरोप लगाया गया था कि ऐसे अलगाववादी संगठनों ने सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए लोगों को उकसाने का काम किया है.

यह भी पढ़ें- FATF से बचने के लिए पाकिस्तान ने लखवी को सजा सुनाई : विदेश मंत्रालय

प्राथमिकी में यह भी कहा गया था कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और अन्य देशों में जमीनी स्तर पर अभियान तेज करने और प्रचार के लिए भारी मात्रा में धन भी एकत्र किया जा रहा है.

इन अभियानों को नामित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू, परमजीत सिंह पम्मा, हरदीप सिंह निज्जर और अन्य द्वारा चलाया जा रहा है.

एनआईए की प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया कि इस साजिश में शामिल एसएफजे और अन्य खालिस्तानी समर्थक लगातार सोशल मीडिया अभियान और अन्य माध्यमों से भारत में अलगाववाद के बीज बोना चाहते हैं. यह नेता भारत के टुकड़े करना चाहते हैं और खालिस्तान के नाम से अलग राष्ट्र के निर्माण का मंसूबा रखे हुए हैं. यही नहीं, ये समूह आतंकवादी कार्रवाई करने के लिए युवाओं को उग्र और कट्टरपंथी बना रहे हैं और उनकी भर्ती भी कर रहे हैं.

नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) मामले में एक दर्जन से अधिक लोगों को नोटिस दिया है, जिनमें एक पत्रकार और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से जुड़े किसान नेता और अन्य शामिल हैं. इस पर सीपीआई महासचिव डी राजा ने कहा कि सरकार को किसान की मांग को मान लेना चाहिए और तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर देना चाहिए. ऐसा करने के बजाय सरकार सोच रही है कि लोगों को एनआईए की नोटिस जारी करके, राष्ट्र-विरोधी और आतंकवादी कहकर किसान आंदोलन को दबा सकती है और इस आंदोलन की छवि को परिवर्तित कर सकती है.

ईटीवी भारत ने सीपीआई के महासचिव डी राजा से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने एनआईए द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल उठाया है. उन्होंने एनआईए की कार्रवाई को पूरी तरह से गलत बताया है. उन्होंने कहा कि एनआईए द्वारा भेजी जा रही नोटिस का यह समय सही नहीं है. अगर एनआईए के पास इस तरह के इनपुट थे, तो इतने वर्षों से क्या कर रही थी.

राजा ने कहा कि लोग अब सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं. मोदी सरकार सभी एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष पर निशाना साधने के लिए कर रही है. इतना ही नहीं जो कोई सरकार पर सवाल उठा रहा है, उसके खिलाफ भी सरकार इन एजेंसियों का उपयोग कर रही है.

सीपीआई के महासचिव डी राजा का बयान.

राजा ने कहा कि यह मोदी सरकार पूरी तरह से घमंडी है और उसने कॉरपोरेट्स, बड़े कारोबारी घरानों के हितों की रक्षा के लिए कमेटी बनाई है. इसीलिए वह किसानों को कम आंक रही है.

उन्होंने आगे कहा कि सरकार बातचीत करने में पूरी तरह से ईमानदार नहीं है. राजा ने कहा कि आगे की वार्ता के लिए बातचीत नहीं हो सकती. इस मामले को सरकार को समझना चाहिए और किसानों की समस्याओं पर गौर करना चाहिए.

गौरतलब है कि एनआईए ने पिछले साल 15 दिसंबर को आईपीसी की कई धाराओं सहित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक मामला दर्ज किया था.

एफआईआर में एनआईए ने आरोप लगाया था कि एक गैर-कानूनी संगठन एसएफजे और अन्य खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों ने भय और अराजकता का माहौल बनाने के लिए एक साजिश रची है. आरोप लगाया गया था कि ऐसे अलगाववादी संगठनों ने सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए लोगों को उकसाने का काम किया है.

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प्राथमिकी में यह भी कहा गया था कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और अन्य देशों में जमीनी स्तर पर अभियान तेज करने और प्रचार के लिए भारी मात्रा में धन भी एकत्र किया जा रहा है.

इन अभियानों को नामित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू, परमजीत सिंह पम्मा, हरदीप सिंह निज्जर और अन्य द्वारा चलाया जा रहा है.

एनआईए की प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया कि इस साजिश में शामिल एसएफजे और अन्य खालिस्तानी समर्थक लगातार सोशल मीडिया अभियान और अन्य माध्यमों से भारत में अलगाववाद के बीज बोना चाहते हैं. यह नेता भारत के टुकड़े करना चाहते हैं और खालिस्तान के नाम से अलग राष्ट्र के निर्माण का मंसूबा रखे हुए हैं. यही नहीं, ये समूह आतंकवादी कार्रवाई करने के लिए युवाओं को उग्र और कट्टरपंथी बना रहे हैं और उनकी भर्ती भी कर रहे हैं.

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