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भारत की नियोजित वैक्सीन संरचना पर कोविड के व्यापक संक्रमण का दबाव: रिपोर्ट

बुधवार को नई दिल्ली में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से संबद्ध इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस (Institute for Competitiveness) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापक संक्रमण और बड़े पैमाने पर चिंता ने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत की नियोजित वैक्सीन वितरण संरचना पर दबाव डाला है.

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Published : Feb 23, 2022, 9:33 PM IST

नई दिल्ली: एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की नियोजित वैक्सीन संरचना पर कोविड के व्यापक संक्रमण का दबाव पड़ा है. कोविड मामलों में अचानक वृद्धि ने काफी कम समय में टीकों की मांग में वृद्धि की है. व्यापक संक्रमण और बड़े पैमाने पर चिंता योजनाबद्ध टीका वितरण संरचना पर दबाव डालना शुरू कर देती है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने जून 2021 में तेजी से बढ़ रहे Covid19 मामलों की कठिन स्थिति के साथ-साथ टीके की आपूर्ति की कमी से त्वरित वापसी की. रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2021 में कोविशील्ड और कोवैक्सिन की आपूर्ति में सुधार हुआ. दोनों कंपनियों ने एक अरब से अधिक भारतीयों को दो खुराक के टीकाकरण के मील के पत्थर को देखते हुए अपनी विनिर्माण क्षमता को तेजी से बढ़ाया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की कोविड-19 यात्रा भारत की अनुसंधान क्षमताओं, कुशल जनशक्ति का प्रतिबिंब है. बाहरी वैक्सीन निर्माताओं से संपर्क नहीं करने के भारत के रुख का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि निर्माताओं को कोई औपचारिक आदेश नहीं दिया गया था लेकिन एक समझ थी कि भारत को अपने घरेलू निर्माताओं से ही वैक्सीन लेना है. इसलिए बाहरी निर्माताओं से संपर्क करने का कोई इरादा नहीं था.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत की Covid19 वैक्सीन विकास यात्रा में प्रतिकूल परिस्थितियों में विकासशील देश की क्षमताओं को प्रदर्शित करने वाले लचीलेपन का अनुकरणीय मॉडल सामने आया है. रिपोर्ट जारी करते हुए मंडाविया ने कहा कि भारत के हेल्थकेयर पेशेवरों, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और नागरिकों द्वारा प्रदर्शित एकजुटता और राज्यों और मंत्रालयों के सहयोग से कोविड-19 टीकाकरण अभियान सफल बना.

यह भी पढ़ें- काम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी : मनसुख मंडाविया

स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के विजिटिंग फेलो और लेक्चरर व इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस (Institute for Competitiveness) के चेयरपर्सन डॉ अमित कपूर ने टीके की झिझक को दूर करने के लिए अपनी संचार रणनीति में संस्कृति के साथ विज्ञान के सम्मिश्रण और एकजुटता के निर्माण की भारत की अनूठी विशेषताओं की सराहना की.

नई दिल्ली: एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की नियोजित वैक्सीन संरचना पर कोविड के व्यापक संक्रमण का दबाव पड़ा है. कोविड मामलों में अचानक वृद्धि ने काफी कम समय में टीकों की मांग में वृद्धि की है. व्यापक संक्रमण और बड़े पैमाने पर चिंता योजनाबद्ध टीका वितरण संरचना पर दबाव डालना शुरू कर देती है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने जून 2021 में तेजी से बढ़ रहे Covid19 मामलों की कठिन स्थिति के साथ-साथ टीके की आपूर्ति की कमी से त्वरित वापसी की. रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2021 में कोविशील्ड और कोवैक्सिन की आपूर्ति में सुधार हुआ. दोनों कंपनियों ने एक अरब से अधिक भारतीयों को दो खुराक के टीकाकरण के मील के पत्थर को देखते हुए अपनी विनिर्माण क्षमता को तेजी से बढ़ाया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की कोविड-19 यात्रा भारत की अनुसंधान क्षमताओं, कुशल जनशक्ति का प्रतिबिंब है. बाहरी वैक्सीन निर्माताओं से संपर्क नहीं करने के भारत के रुख का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि निर्माताओं को कोई औपचारिक आदेश नहीं दिया गया था लेकिन एक समझ थी कि भारत को अपने घरेलू निर्माताओं से ही वैक्सीन लेना है. इसलिए बाहरी निर्माताओं से संपर्क करने का कोई इरादा नहीं था.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत की Covid19 वैक्सीन विकास यात्रा में प्रतिकूल परिस्थितियों में विकासशील देश की क्षमताओं को प्रदर्शित करने वाले लचीलेपन का अनुकरणीय मॉडल सामने आया है. रिपोर्ट जारी करते हुए मंडाविया ने कहा कि भारत के हेल्थकेयर पेशेवरों, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और नागरिकों द्वारा प्रदर्शित एकजुटता और राज्यों और मंत्रालयों के सहयोग से कोविड-19 टीकाकरण अभियान सफल बना.

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स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के विजिटिंग फेलो और लेक्चरर व इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस (Institute for Competitiveness) के चेयरपर्सन डॉ अमित कपूर ने टीके की झिझक को दूर करने के लिए अपनी संचार रणनीति में संस्कृति के साथ विज्ञान के सम्मिश्रण और एकजुटता के निर्माण की भारत की अनूठी विशेषताओं की सराहना की.

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