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कोरोना की संदिग्ध मरीज की अस्पताल के बाहर मौत, रातभर एम्बुलेंस में पड़ा रहा शव

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Published : Apr 25, 2021, 11:34 AM IST

दिल्ली में कोरोना का कहर जारी है. हर दिन न जाने कितने लोगों को कोरोना अपनी चपेट में ले रहा है. इसी बीच करोलबाग निवासी 50 वर्षीय महिला की सर गंगाराम अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर ही मौत हो गई. हद तो तब हो गई जब मृतका को कोरोना की संदिग्ध मरीज बताते हुए डॉक्टर ने उसे घर ले जाने नहीं दिया और न ही शव को मॉर्चेरी में रखा. पढ़ें पूरी खबर...

कोरोना की संदिग्ध मरीज की अस्पताल के बाहर मौत
कोरोना की संदिग्ध मरीज की अस्पताल के बाहर मौत

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के इमरजेंसी के बाहर करोलबाग निवासी 50 वर्षीय बबीता की मौत हो गई. उनके भाई ने बताया कि उनकी बहन को हल्का बुखार था और वह उसे लेकर बीएलके कपूर अस्पताल गए थे, लेकिन वहां बेड खाली नहीं था. इसके बाद वह बहन को लेकर गंगाराम अस्पताल पहुंचे, जहां इलाज के अभाव में अस्पताल के बाहर ही उसकी मौत हो गई. वहीं, मृतका को कोरोना की संदिग्ध मरीज बताते हुए डॉक्टर ने उसे घर ले जाने नहीं दिया. जिसकी वजह से रातभर शव को रखने के लिए 50 हजार रुपये में एक एंबुलेंस बुक करायी गई.

कोरोना की संदिग्ध मरीज की अस्पताल के बाहर मौत

अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ दिया

मृतक बबीता के भाई ने बताया कि उसकी बहन को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं थी, बस हल्का बुखार था. कोरोना की जांच के लिए उन्होंने रजिस्ट्रेशन भी कराया था, लेकिन जांच नहीं हो पाई. अपनी बहन को लेकर वह बीएलके कपूर से गंगाराम अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने गंगा राम अस्पताल आते ही मेरी बहन ने दम तोड़ दिया. जबकि 20 मिनट पहले बीएलके कपूर में मेरी बहन स्वस्थ थी.

ये भी पढ़ें: लगातार चौथे दिन आए 3 लाख से ज्यादा केस, 24 घंटे में रिकॉर्ड 2767 की मौत

शव रखने के लिए बुक की गई एंबुलेंस

बहन की मौत के बाद अस्पताल वाले उसके शव को शवगृह में नहीं रखा. अस्पताल वाले यह कहने लगे कि मेरी बहन यहां एडमिट नहीं थी. इसलिए उनकी लाश को शवगृह में नहीं रख सकते हैं. मेरी बहन कोरोना सस्पेक्टेड है. ऐसे में शव को लेकर हम घर भी नहीं जा सकते. इसलिए 50 हजार में एक एंबुलेंस बुक की गई है, जो सुबह तक शव को सुरक्षित रखेगी. उसके बाद सुबह हम अपनी बहन का अंतिम संस्कार करेंगे, लेकिन यह समझ नहीं आता कि 25 मिनट में ही किसी इंसान की मौत कैसे हो सकती है. बीएलके कपूर में मेरी बहन की सांस चल रही थी, जबकि गंगाराम अस्पताल आते ही मेरी बहन की मौत हो गई.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के इमरजेंसी के बाहर करोलबाग निवासी 50 वर्षीय बबीता की मौत हो गई. उनके भाई ने बताया कि उनकी बहन को हल्का बुखार था और वह उसे लेकर बीएलके कपूर अस्पताल गए थे, लेकिन वहां बेड खाली नहीं था. इसके बाद वह बहन को लेकर गंगाराम अस्पताल पहुंचे, जहां इलाज के अभाव में अस्पताल के बाहर ही उसकी मौत हो गई. वहीं, मृतका को कोरोना की संदिग्ध मरीज बताते हुए डॉक्टर ने उसे घर ले जाने नहीं दिया. जिसकी वजह से रातभर शव को रखने के लिए 50 हजार रुपये में एक एंबुलेंस बुक करायी गई.

कोरोना की संदिग्ध मरीज की अस्पताल के बाहर मौत

अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ दिया

मृतक बबीता के भाई ने बताया कि उसकी बहन को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं थी, बस हल्का बुखार था. कोरोना की जांच के लिए उन्होंने रजिस्ट्रेशन भी कराया था, लेकिन जांच नहीं हो पाई. अपनी बहन को लेकर वह बीएलके कपूर से गंगाराम अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने गंगा राम अस्पताल आते ही मेरी बहन ने दम तोड़ दिया. जबकि 20 मिनट पहले बीएलके कपूर में मेरी बहन स्वस्थ थी.

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शव रखने के लिए बुक की गई एंबुलेंस

बहन की मौत के बाद अस्पताल वाले उसके शव को शवगृह में नहीं रखा. अस्पताल वाले यह कहने लगे कि मेरी बहन यहां एडमिट नहीं थी. इसलिए उनकी लाश को शवगृह में नहीं रख सकते हैं. मेरी बहन कोरोना सस्पेक्टेड है. ऐसे में शव को लेकर हम घर भी नहीं जा सकते. इसलिए 50 हजार में एक एंबुलेंस बुक की गई है, जो सुबह तक शव को सुरक्षित रखेगी. उसके बाद सुबह हम अपनी बहन का अंतिम संस्कार करेंगे, लेकिन यह समझ नहीं आता कि 25 मिनट में ही किसी इंसान की मौत कैसे हो सकती है. बीएलके कपूर में मेरी बहन की सांस चल रही थी, जबकि गंगाराम अस्पताल आते ही मेरी बहन की मौत हो गई.

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