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कोविड-19 आजादी के बाद देश के सामने शायद सबसे बड़ी चुनौती : राजन - पूर्व गवर्नर रघुराम राजन

स्वतंत्रता के बाद कोविड-19 महामारी देश की शायद सबसे बड़ी चुनौती है. यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कही. वे दिल्ली में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो सेंटर द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन
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Published : May 16, 2021, 7:35 AM IST

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद कोविड-19 महामारी देश की शायद सबसे बड़ी चुनौती है. राजन ने साथ ही यह भी कहा कि कई जगहों पर विभिन्न कारणों के चलते सरकार लोगों की मदद के लिए मौजूद नहीं थी.

दिल्ली में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो सेंटर द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही.

राजन ने कहा कि भारत को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के लिए दिवालिया घोषित करने की एक त्वरित प्रक्रिया की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि महामारी के चलते भारत के लिए यह त्रासदी भरा समय है. आजादी के बाद कोविड-19 महामारी शायद देश की सबसे बड़ी चुनौती है.

उन्होंने कहा कि जब महामारी पहली बार आई तो लॉकडाउन की वजह से चुनौती मुख्यत: आर्थिक थी, लेकिन अब चुनौती आर्थिक और व्यक्तिगत दोनों ही है और जैसे हम आगे बढ़ेंगे तो इसमें एक सामाजिक तत्व भी होगा. देश में हाल के सप्ताहों के दौरान लगातार प्रतिदिन 3 लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं और मृतकों की संख्या भी लगातार बढ़ी है.

पढ़ेंः गोवा के निजी अस्पतालों का नियंत्रण अपने हाथ में लेगी राज्य सरकार : सीएम सावंत

उन्होंने कहा कि इस महामारी का एक प्रभाव यह है कि विभिन्न कारणों से हमने सरकार की मौजूदगी नहीं देखी.

राजन ने रेखांकित किया कि महाराष्ट्र सरकार कोविड-19 मरीजों को ऑक्सीजन बिस्तर मुहैया करा पा रही है. उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर इस स्तर पर भी सरकार काम नहीं कर रही है.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर के कहा कि महामारी के बाद यदि हम समाज के बारे में गंभीरता से सवाल नहीं उठाते हैं तो यह महामारी जितनी ही बड़ी त्रासदी होगी.

राजन मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में एक प्रोफेसर हैं। उन्होंने रेखांकित किया, कई बार आपकों को सुधार चुपके से नहीं बल्कि पूरी तरह से खुलकर करना होता है.

भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में दिए अपने भाषण को याद करते हुए राजन ने कहा कि मेरा भाषण सरकार की आलोचना नहीं थी. कई बार चीजों की कुछ ज्यादा ही व्याख्या की जा जाती है.

राजन के मुताबिक 31 अक्टूबर 2015 को आईआईटी दिल्ली के दीक्षांत समारोह के उनके भाषण को प्रेस ने सांकेतिक विरोध के तौर पर देखा.

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद कोविड-19 महामारी देश की शायद सबसे बड़ी चुनौती है. राजन ने साथ ही यह भी कहा कि कई जगहों पर विभिन्न कारणों के चलते सरकार लोगों की मदद के लिए मौजूद नहीं थी.

दिल्ली में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो सेंटर द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही.

राजन ने कहा कि भारत को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के लिए दिवालिया घोषित करने की एक त्वरित प्रक्रिया की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि महामारी के चलते भारत के लिए यह त्रासदी भरा समय है. आजादी के बाद कोविड-19 महामारी शायद देश की सबसे बड़ी चुनौती है.

उन्होंने कहा कि जब महामारी पहली बार आई तो लॉकडाउन की वजह से चुनौती मुख्यत: आर्थिक थी, लेकिन अब चुनौती आर्थिक और व्यक्तिगत दोनों ही है और जैसे हम आगे बढ़ेंगे तो इसमें एक सामाजिक तत्व भी होगा. देश में हाल के सप्ताहों के दौरान लगातार प्रतिदिन 3 लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं और मृतकों की संख्या भी लगातार बढ़ी है.

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उन्होंने कहा कि इस महामारी का एक प्रभाव यह है कि विभिन्न कारणों से हमने सरकार की मौजूदगी नहीं देखी.

राजन ने रेखांकित किया कि महाराष्ट्र सरकार कोविड-19 मरीजों को ऑक्सीजन बिस्तर मुहैया करा पा रही है. उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर इस स्तर पर भी सरकार काम नहीं कर रही है.

आरबीआई के पूर्व गवर्नर के कहा कि महामारी के बाद यदि हम समाज के बारे में गंभीरता से सवाल नहीं उठाते हैं तो यह महामारी जितनी ही बड़ी त्रासदी होगी.

राजन मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में एक प्रोफेसर हैं। उन्होंने रेखांकित किया, कई बार आपकों को सुधार चुपके से नहीं बल्कि पूरी तरह से खुलकर करना होता है.

भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में दिए अपने भाषण को याद करते हुए राजन ने कहा कि मेरा भाषण सरकार की आलोचना नहीं थी. कई बार चीजों की कुछ ज्यादा ही व्याख्या की जा जाती है.

राजन के मुताबिक 31 अक्टूबर 2015 को आईआईटी दिल्ली के दीक्षांत समारोह के उनके भाषण को प्रेस ने सांकेतिक विरोध के तौर पर देखा.

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