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कोविड-19 के बढ़ते मामले खतरे की घंटी, हर नागरिक तक पहुंचनी चाहिए वैक्सीन

कोविड -19 महामारी के कारण पूरी दुनिया परेशान है. फिर से महामारी का प्रकोप फैलता जा रहा है. विषाक्त म्यूटेशन के कारण वायरस ज्यादा खतरनाक हो गया है.

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Published : Mar 11, 2021, 3:42 PM IST

हैदराबाद : कोरोना महामारी पूरी मानवता के लिए चुनौती है. विशेषज्ञों के अनुसार वायरस नए उत्परिवर्तन के साथ दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, ब्राजील, जापान और अमेरिका में मिला है. ब्रिटेन में मिला स्ट्रेन अन्य जगह के वायरस की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक खतरनाक बताया जा रहा है. कोविड-19 के कारण वायरस के अनुमानित उद्भव पर चिंताजनक स्थितियां बनी हुई हैं.

तेजी से उत्परिवर्तन के बाद यह सुपर वायरस बन सकता है, जिसके लिए सावधानियां बताई जा रही हैं. अखिल भारतीय निर्देशक आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने कोरोना पर गहन अध्ययन का आह्वान किया है. कहा है कि इसे रोकने के उपाय होने चाहिए. दूसरी ओर कोविड-19 के बढ़ते मामले खतरे की घंटी हैं. देश में नए पंजीकृत मामलों में 86 प्रतिशत महाराष्ट्र, केरल, पंजाब के हैं. कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में भी कोरोना भारी पड़ रहा है.

फिर से बढ़ रहे हैं मामले

आणविक जीवविज्ञान (CCMB) के निदेशक डॉ. राकेश मिश्रा कहते हैं कि नव उत्परिवर्तित कोविड-19 राज्यों के मामलों में नया नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि कोविड -19 प्रोटोकॉल का पालन करने के प्रति लापरवाह रवैया स्थिति को और बिगाड़ सकता है. शासकों के सामने दो चुनौतियां हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इस वर्ष के अंत तक कोविड-19 को हर हाल में हारना है. डब्ल्यूएचओ का निर्देश भारत जैसे देशों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है, जहां मामले फिर से बढ़ रहे हैं.

निजी अस्पतालों में भी टीका

वैज्ञानिक लगातार सावधान कर रहे हैं कि टीकाकरण में देरी से स्थिति और बिगड़ सकती है. वे उस वायरल स्ट्रेन की चेतावनी दे रहे हैं जो अभी तक यहां नहीं है. इसका पता परीक्षणों के माध्यम से लगाया जा सकता है. जैसे-जैसे वैक्सीन की मांग बढ़ती गई तेलंगाना सरकार ने कॉर्पोरेट अस्पतालों को हरी झंडी दे दी है. जिला और क्षेत्रीय अस्पतालों के साथ ही समुदायिक वैक्सीन का वितरण भी स्वास्थ्य केंद्र पर किया जा रहा है.

खत्म हुई उम्र की पाबंदी

केंद्र सरकार ने टीके लगाने के लिए 60 साल के उम्र की समय पाबंदी हटा दी है. इस हर आयु वर्ग के व्यक्ति वैक्सीन ले सकते हैं. विश्लेषकों के अनुसार टीकाकरण पूरा होने में कई साल लगेंगे. इन्हीं की पृष्ठभूमि में वैक्सीन के तेजी से वितरण की दिशा में अनुमान, सरकारी रणनीति और कार्रवाई की जरूरत है. उत्पादन और खपत के स्तर पर दिशानिर्देशों के बीच भारी अंतर को देखते हुए हर व्यक्ति तक टीके की पहुंच को सक्षम बनाया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें-कोरोना का कहर : नागपुर में सात दिनों के लिए लगा लॉकडाउन

हैदराबाद : कोरोना महामारी पूरी मानवता के लिए चुनौती है. विशेषज्ञों के अनुसार वायरस नए उत्परिवर्तन के साथ दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, ब्राजील, जापान और अमेरिका में मिला है. ब्रिटेन में मिला स्ट्रेन अन्य जगह के वायरस की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक खतरनाक बताया जा रहा है. कोविड-19 के कारण वायरस के अनुमानित उद्भव पर चिंताजनक स्थितियां बनी हुई हैं.

तेजी से उत्परिवर्तन के बाद यह सुपर वायरस बन सकता है, जिसके लिए सावधानियां बताई जा रही हैं. अखिल भारतीय निर्देशक आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने कोरोना पर गहन अध्ययन का आह्वान किया है. कहा है कि इसे रोकने के उपाय होने चाहिए. दूसरी ओर कोविड-19 के बढ़ते मामले खतरे की घंटी हैं. देश में नए पंजीकृत मामलों में 86 प्रतिशत महाराष्ट्र, केरल, पंजाब के हैं. कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में भी कोरोना भारी पड़ रहा है.

फिर से बढ़ रहे हैं मामले

आणविक जीवविज्ञान (CCMB) के निदेशक डॉ. राकेश मिश्रा कहते हैं कि नव उत्परिवर्तित कोविड-19 राज्यों के मामलों में नया नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि कोविड -19 प्रोटोकॉल का पालन करने के प्रति लापरवाह रवैया स्थिति को और बिगाड़ सकता है. शासकों के सामने दो चुनौतियां हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इस वर्ष के अंत तक कोविड-19 को हर हाल में हारना है. डब्ल्यूएचओ का निर्देश भारत जैसे देशों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है, जहां मामले फिर से बढ़ रहे हैं.

निजी अस्पतालों में भी टीका

वैज्ञानिक लगातार सावधान कर रहे हैं कि टीकाकरण में देरी से स्थिति और बिगड़ सकती है. वे उस वायरल स्ट्रेन की चेतावनी दे रहे हैं जो अभी तक यहां नहीं है. इसका पता परीक्षणों के माध्यम से लगाया जा सकता है. जैसे-जैसे वैक्सीन की मांग बढ़ती गई तेलंगाना सरकार ने कॉर्पोरेट अस्पतालों को हरी झंडी दे दी है. जिला और क्षेत्रीय अस्पतालों के साथ ही समुदायिक वैक्सीन का वितरण भी स्वास्थ्य केंद्र पर किया जा रहा है.

खत्म हुई उम्र की पाबंदी

केंद्र सरकार ने टीके लगाने के लिए 60 साल के उम्र की समय पाबंदी हटा दी है. इस हर आयु वर्ग के व्यक्ति वैक्सीन ले सकते हैं. विश्लेषकों के अनुसार टीकाकरण पूरा होने में कई साल लगेंगे. इन्हीं की पृष्ठभूमि में वैक्सीन के तेजी से वितरण की दिशा में अनुमान, सरकारी रणनीति और कार्रवाई की जरूरत है. उत्पादन और खपत के स्तर पर दिशानिर्देशों के बीच भारी अंतर को देखते हुए हर व्यक्ति तक टीके की पहुंच को सक्षम बनाया जाना चाहिए.

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