हैदराबाद : देश में कोरोनो वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच, AIIMS के निदेशक और COVID-19 प्रबंधन पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि टीके भारत में अपने अंतिम परीक्षण चरण में हैं.
डॉ. गुलेरिया ने आशा जताई कि इस महीने के अंत तक या अगले महीने की शुरुआत में कोरोना वायरस वैक्सीन आ सकती है. उन्होंने कहा कि भारतीय औषधीय नियामक द्वारा इसके आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी मिल सकती है.
एम्स निदेशक ने कहा कि डेटा उपलब्ध है कि टीके बहुत सुरक्षित हैं. परीक्षण में 70-80 हजार लोगों ने भाग लिया और इसका कोई गंभीर विपरीत प्रभाव नहीं दिखा.
दिल्ली
राजधानी कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से जूझ रही है. इस बीच दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय से कहा कि राजधानी में नाइट कर्फ्यू नहीं लगेगा. आप सरकार ने न्यायालय से कहा कि हालातों का जायजा लेने के बाद यह निर्णय लिया गया है.
कर्नाटक
कोविड-19 महामारी से निपटने को लेकर कर्नाटक सरकार को सलाह देने वाली एक तकनीकी सलाहकार समिति ने चेतावनी दी है कि जनवरी में राज्य में कोरोनो वायरस की दूसरी वेब आ सकती है.
इसके मद्देनजर समिति ने 26 दिसंबर से 1 जनवरी के बीच नाइट कर्फ्यू लगाने और राज्य पर प्रभाव को कम करने के लिए नए साल के जश्न पर प्रतिबंध लगाने जैसे उपाय सुझाए हैं.
हिमाचल प्रदेश
उच्चतम न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश सरकार से कोविड-19 रोगियों के संबंध में एक रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट में अस्पतालों के बुनियादी ढांचे और उसमें उपलब्ध सुविधाओं का ब्योरा मांगा गया है.
न्यायालय का यह आदेश एक वकील द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी अनियमितताओं को लेकर न्यायालय को अवगत कराने के बाद आया. मामले में अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी.
पश्चिम बंगाल
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बुधवार को दावा किया कि राज्य में बुनियादी मेडिकल ढांचा महामारी के दौरान बिगड़ गया है, क्योंकि राज्य में केंद्र की आयुष्मान भारत योजना को लागू नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि केंद्र की योजना ने कोविड-19 से लड़ने में अहम भूमिका निभाई है.
राज्यपाल ने रत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर महामारी से निपटने के लिए चिकित्सा उपकरणों की खरीद में कथित अनियमितताओं को लेकर निशाना साधा. राज्यपाल ने कोलकाता में ICMR-NICED में स्वदेशी रूप से विकसित कोरोनो वायरस वैक्सीन कोवाक्सिन के फेज -3 विनियामक परीक्षण का शुभारंभ करने के बाद यह टिप्पणी की.
गुजरात
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि मास्क नहीं पहनने के नियम का उल्लंघन करने वालों को कोविड-19 देखभाल केंद्रों पर सामुदायिक सेवा प्रदान करनी पड़ेगी.
उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार को कोविड-19 का गइडलाइन को सख्ती से पालन कराने को कहा.