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2-6 वर्ष के बच्चाें पर कोवैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का पंजीकरण कल से

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Published : Jun 14, 2021, 2:15 PM IST

Updated : Jun 14, 2021, 3:16 PM IST

दिल्ली में 6-12 आयु वर्ग के बच्चों और उसके बाद 2-6 आयु वर्ग के बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल के लिए कल से पंजीकरण शुरू होगी.

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नई दिल्ली : सरकार द्वारा बुजुर्गाें और व्यस्काें के बाद अब बच्चाें के वैक्सीनेशन पर जाेर दिया जा रहा है. काेराेना की तीसरी लहर से पहले बच्चाें में जल्द टीकाकरण की जरूरत काे देखते हुए इसका क्लीनिकल ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है.

आपकाे बता दें कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में 6-12 आयु वर्ग के बच्चों और उसके बाद 2-6 आयु वर्ग के बच्चों क्लीनिकल ट्रायल के लिए पंजीकरण कल से शुरू होगी. वहीं कल से ही 6-12 आयु वर्ग के बच्चाें पर टीकाकरण का ट्रायल भी शुरू होगा.

आपकाे बता दें कि, इससे पहले 12-18 आयु वर्ग वालाें के लिए COVAXIN की एकल-खुराक (single dose) का ट्रायल समाप्त हो गया है.

कोवैक्सीन के परीक्षण के लिए पटना एम्स में बच्चों की जांच शुरू

कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए कोवैक्सीन के टीकों के बच्चों में परीक्षण के लिए यहां के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में छह से12 वर्ष के बच्चों की जांच शुरू हो गई. पटना एम्स के कोविड-19 प्रभारी डॉक्टर संजीव कुमार ने बताया कि शिशु रोग विशेषज्ञों ने छह से 12 वर्ष के बच्चों की विभिन्न जांचे शुरू कर दी हैं. टीके के परीक्षण के लिए 50 से अधिक बच्चों का अबतक पंजीकरण हो चुका है और शीघ्र ही कोवैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा. 12 से 17 वर्ष की उम्र तक के 87 बच्चों ने क्लिनिकल ट्रायल के लिए पंजीकरण कराया था, एक जून से यह प्रक्रिया शुरू हो गई.

तीसरी लहर में बच्चों के गंभीर रूप से प्रभावित होने के ठोस प्रमाण नहीं

चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र की प्रतिष्ठित पत्रिका लैनसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बात के अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि कोविड-19 महामारी की तीसरी संभावित लहर में बच्चों के गंभीर रूप से संक्रमित होने की आशंका है.

‘लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स’ ने भारत में 'बाल रोग कोविड-19' के विषय के अध्ययन के लिए देश के प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञों के एक विशेषज्ञ समूह के साथ चर्चा करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों में उसी प्रकार के लक्षण पाए गए हैं, जैसा कि दुनिया के अन्य देशों में देखने को मिले हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 से संक्रमित होने वाले अधिकतर बच्चों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते. कई बच्चों में संक्रमण के हल्के लक्षण देखने को भी मिले हैं. वायरस से संक्रमित होने के बाद अधिकतर बच्चों में बुखार और श्वास संबंधी परेशानियां जैसे लक्षण भी देखने को मिले हैं. वयस्कों की तुलना में बच्चों में हैजा, उल्टी और पेट में दर्द संबंधी अन्य जठरांत्र संबंधी लक्षण देखने को मिले हैं. किशोरावस्था की उम्र के आस-पास के बच्चों में बीमारी के लक्षण आने की आशंका भी प्रबल हो जाती है.

देश में कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान कितनी संख्या में बच्चे संक्रमित हुए और अस्पताल में भर्ती हुए, इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़े तैयार नहीं किए गए हैं. इसलिए तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के 10 अस्पतालों में इस दौरान भर्ती हुए 10 साल से कम उम्र के करीब 2600 बच्चों के क्लीनिकल आंकड़ों को एकत्र कर उसका विश्लेषण करने के बाद ही यह रिपोर्ट तैयार की गयी है.

आंकड़ों के मुताबिक 10 साल से कम उम्र के बच्चों में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर 2.4 प्रतिशत दर्ज की गयी. संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले करीब 40 प्रतिशत बच्चे किसी न किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित भी थे. लैनसेट की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए 10 साल से कम उम्र के नौ प्रतिशत बच्चों में बीमारी के गंभीर लक्षण देखे गए. महामारी की दोनों लहरों के दौरान ऐसा देखा गया.

इसे भी पढ़ें : पटना एम्स में सेकेंड फेज के वैक्सीनेशन ट्रायल के लिए 42 बच्चों का हुआ रजिस्ट्रेशन

देश के शीर्ष अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में बाल रोग विशेषज्ञ शेफाली गुलाटी, सुशील के काबरा और राकेश लोढ़ा जैसे चिकित्सकों ने लैंसेट की ओर से किए गए इस अध्ययन में हिस्सा लिया.

नई दिल्ली : सरकार द्वारा बुजुर्गाें और व्यस्काें के बाद अब बच्चाें के वैक्सीनेशन पर जाेर दिया जा रहा है. काेराेना की तीसरी लहर से पहले बच्चाें में जल्द टीकाकरण की जरूरत काे देखते हुए इसका क्लीनिकल ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है.

आपकाे बता दें कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में 6-12 आयु वर्ग के बच्चों और उसके बाद 2-6 आयु वर्ग के बच्चों क्लीनिकल ट्रायल के लिए पंजीकरण कल से शुरू होगी. वहीं कल से ही 6-12 आयु वर्ग के बच्चाें पर टीकाकरण का ट्रायल भी शुरू होगा.

आपकाे बता दें कि, इससे पहले 12-18 आयु वर्ग वालाें के लिए COVAXIN की एकल-खुराक (single dose) का ट्रायल समाप्त हो गया है.

कोवैक्सीन के परीक्षण के लिए पटना एम्स में बच्चों की जांच शुरू

कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए कोवैक्सीन के टीकों के बच्चों में परीक्षण के लिए यहां के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में छह से12 वर्ष के बच्चों की जांच शुरू हो गई. पटना एम्स के कोविड-19 प्रभारी डॉक्टर संजीव कुमार ने बताया कि शिशु रोग विशेषज्ञों ने छह से 12 वर्ष के बच्चों की विभिन्न जांचे शुरू कर दी हैं. टीके के परीक्षण के लिए 50 से अधिक बच्चों का अबतक पंजीकरण हो चुका है और शीघ्र ही कोवैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा. 12 से 17 वर्ष की उम्र तक के 87 बच्चों ने क्लिनिकल ट्रायल के लिए पंजीकरण कराया था, एक जून से यह प्रक्रिया शुरू हो गई.

तीसरी लहर में बच्चों के गंभीर रूप से प्रभावित होने के ठोस प्रमाण नहीं

चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र की प्रतिष्ठित पत्रिका लैनसेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बात के अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि कोविड-19 महामारी की तीसरी संभावित लहर में बच्चों के गंभीर रूप से संक्रमित होने की आशंका है.

‘लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स’ ने भारत में 'बाल रोग कोविड-19' के विषय के अध्ययन के लिए देश के प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञों के एक विशेषज्ञ समूह के साथ चर्चा करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों में उसी प्रकार के लक्षण पाए गए हैं, जैसा कि दुनिया के अन्य देशों में देखने को मिले हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 से संक्रमित होने वाले अधिकतर बच्चों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते. कई बच्चों में संक्रमण के हल्के लक्षण देखने को भी मिले हैं. वायरस से संक्रमित होने के बाद अधिकतर बच्चों में बुखार और श्वास संबंधी परेशानियां जैसे लक्षण भी देखने को मिले हैं. वयस्कों की तुलना में बच्चों में हैजा, उल्टी और पेट में दर्द संबंधी अन्य जठरांत्र संबंधी लक्षण देखने को मिले हैं. किशोरावस्था की उम्र के आस-पास के बच्चों में बीमारी के लक्षण आने की आशंका भी प्रबल हो जाती है.

देश में कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान कितनी संख्या में बच्चे संक्रमित हुए और अस्पताल में भर्ती हुए, इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़े तैयार नहीं किए गए हैं. इसलिए तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के 10 अस्पतालों में इस दौरान भर्ती हुए 10 साल से कम उम्र के करीब 2600 बच्चों के क्लीनिकल आंकड़ों को एकत्र कर उसका विश्लेषण करने के बाद ही यह रिपोर्ट तैयार की गयी है.

आंकड़ों के मुताबिक 10 साल से कम उम्र के बच्चों में कोविड-19 के कारण मृत्यु दर 2.4 प्रतिशत दर्ज की गयी. संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले करीब 40 प्रतिशत बच्चे किसी न किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित भी थे. लैनसेट की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए 10 साल से कम उम्र के नौ प्रतिशत बच्चों में बीमारी के गंभीर लक्षण देखे गए. महामारी की दोनों लहरों के दौरान ऐसा देखा गया.

इसे भी पढ़ें : पटना एम्स में सेकेंड फेज के वैक्सीनेशन ट्रायल के लिए 42 बच्चों का हुआ रजिस्ट्रेशन

देश के शीर्ष अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में बाल रोग विशेषज्ञ शेफाली गुलाटी, सुशील के काबरा और राकेश लोढ़ा जैसे चिकित्सकों ने लैंसेट की ओर से किए गए इस अध्ययन में हिस्सा लिया.

Last Updated : Jun 14, 2021, 3:16 PM IST
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