नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को शुक्रवार को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि अगर पश्चिम बंगाल पुलिस को इस बात का पूरा भरोसा है कि अपराध किया गया है, तो वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर सकती है.
भाजपा नेता अधिकारी के खिलाफ विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता को बढ़ावा देने का आरोप है.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जे बी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय को 20 जुलाई के अपने आदेश में अंतरिम निर्देश जारी करने से पहले इस मामले में अधिकारी को जबावी हलफनामा दाखिल करने का अवसर देना चाहिए था. पीठ ने कहा, 'हम कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि वह फिर से सुनवाई करे और इसके लिए 20 जुलाई का आदेश खारिज किया जाता है.'
उच्चतम न्यायालय ने अधिकारी की याचिका पर यह फैसला सुनाया. भाजपा नेता ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के 20 जुलाई के फैसले को चुनौती दी थी.
इससे पहले उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने सितंबर 2021 तथा दिसंबर 2022 के अपने आदेश में कहा था कि अधिकारी के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी और न ही उसके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी, जो पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. बाद में 20 जुलाई को उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, 'अगर वे पूरी तरह से मानते हैं तो वे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 के तहत प्राथमिकी दर्ज करेंगे.'
(पीटीआई-भाषा)