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PWD विभाग पर सांसद मनोज तिवारी ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, कोर्ट ने ACB से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

दिल्ली की राऊज एवन्यू कोर्ट ने भाजपा सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए ACB को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिये हैं. इस याचिका में दिल्ली सरकार के PWD मंत्री सत्येंद्र जैन सहित अन्य अधिकारियों पर दिल्ली के सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है और कोर्ट से मामले की जांच की मांग की गई है.

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Published : Oct 9, 2021, 8:12 PM IST

नई दिल्ली : राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने 26 अक्टूबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. यह याचिका बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने दाखिल की है, जिसमें उन्होंने सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है और मामले की जांच की मांग की है.

मनोज तिवारी शनिवार को कोर्ट में पेश हुए थे. सुनवाई के दौरान एसीबी के जांच अधिकारी बृजेश मिश्रा ने स्टेटस रिपोर्ट पेश किया और कहा कि इस शिकायत पर जांच शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जांच अधिकारी ने कहा कि वह अनुमति लेने की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे. उसके बाद कोर्ट ने 26 अक्टूबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में पीडब्डल्यूडी विभाग की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है. ये सात अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय, जीटीबी, सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं. इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया. इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया, जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपये थी. ये भी ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.

मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येन्द्र जैन, पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर इन चीफ शशिकांत, पीडब्ल्यूडी विभाग के चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो. शिकायत में कहा गया है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपये के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दिया कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपये प्रति टन हो गया है जबकि इसकी कीमत 52 हजार 625 रुपये प्रति टन थी.

पढ़ेंः महाराष्ट्र सरकार को पेंशन देने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों और उनके आश्रितों तक पहुंचना चाहिए : HC

नई दिल्ली : राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडेय ने 26 अक्टूबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. यह याचिका बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने दाखिल की है, जिसमें उन्होंने सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है और मामले की जांच की मांग की है.

मनोज तिवारी शनिवार को कोर्ट में पेश हुए थे. सुनवाई के दौरान एसीबी के जांच अधिकारी बृजेश मिश्रा ने स्टेटस रिपोर्ट पेश किया और कहा कि इस शिकायत पर जांच शुरू करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जांच अधिकारी ने कहा कि वह अनुमति लेने की प्रक्रिया में तेजी लाएंगे. उसके बाद कोर्ट ने 26 अक्टूबर तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

मनोज तिवारी ने शिकायत की है कि उन्होंने केंद्र सरकार के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को पत्र लिखकर कहा था कि दिल्ली में सात अस्थायी अस्पतालों के निर्माण में पीडब्डल्यूडी विभाग की ओर से फर्जीवाड़ा किया गया है. ये सात अस्पताल शालीमार बाग, किराड़ी, सुल्तानपुरी, चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय, जीटीबी, सरिता विहार और रघुबीर नगर में स्थित हैं. इन अस्थायी अस्पतालों के निर्माण के लिए एक ही कंपनी सैम इंडिया बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड को ठेका देने में पक्षपात किया गया. इस कंपनी को 1256 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया, जबकि इन अस्पतालों को बनाने में अनुमानित लागत 1216 करोड़ रुपये थी. ये भी ठेका बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के एक ही दिन में दे दिया गया.

मनोज तिवारी ने अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येन्द्र जैन, पीडब्ल्यूडी विभाग के इंजीनियर इन चीफ शशिकांत, पीडब्ल्यूडी विभाग के चीफ इंजीनियर संजीव रस्तोगी की भूमिका की जांच हो. शिकायत में कहा गया है कि शशिकांत ने अपने रिटायर होने की तिथि 31 अगस्त को अस्थायी अस्पताल के निर्माण के लिए सैम बिल्डवेल के नाम से 1256 करोड़ रुपये के तीन टेंडर स्वीकृत किए. इन अस्पतालों की टेंडर राशि को संजीव रस्तोगी ने यह कहकर बढ़ा दिया कि स्ट्रक्चरल ट्यूब की कीमत 79 हजार रुपये प्रति टन हो गया है जबकि इसकी कीमत 52 हजार 625 रुपये प्रति टन थी.

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