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आयुर्वेदिक उपचार पर विवादित बयान : अदालत ने IMA के प्रमुख से जवाब मांगा

दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए), उसके अध्यक्ष, सचिव और अन्य से एक दीवानी मुकदमे में जवाब मांगा, जिसमें आयुर्वेदिक उपचार और दवाओं के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगे जाने की मांग की गई है.

अदालत
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Published : Jun 19, 2021, 10:50 PM IST

नई दिल्ली : सिविल न्यायाधीश दीक्षा राव ने राजेंद्र सिंह राजपूत द्वारा दायर एक मुकदमे पर आईएमए, उसके अध्यक्ष डॉ जेए जयलाल, सचिव डॉ जयेश लेले, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और भारतीय मानक ब्यूरो को नोटिस जारी किया और नौ जुलाई तक उनका जवाब मांगा.

अधिवक्ता भरत मल्होत्रा (Advocate Bharat Malhotra) के माध्यम से दायर मुकदमे में अदालत से जयलाल, लेले और आईएमए को आयुर्वेद उपचा (ayurvedic treatment) के खिलाफ कोई भी अपमानजनक बयान देने से रोकने का आग्रह किया गया है. इसमें न्याय के हित में आयुर्वेद में विश्वास करने वाले लोगों की भावनाओं को आहत नहीं करने का भी अनुरोध किया गया है.

कोविड-19 टीकाकरण और एलोपैथिक दवा की प्रभावकारिता के खिलाफ कथित टिप्पणियों के बाद योग गुरु रामदेव और आईएमए प्रमुख के बीच जारी खींचतान के बीच अदालत का यह निर्देश आया है. याचिकाकर्ता ने आईएमए अध्यक्ष और सचिव को किसी भी धर्म का प्रचार करने या हिंदुओं या अन्य की भावनाओं को आहत करने के लिए आईएमए के मंच का उपयोग करने से रोकने का अनुरोध किया है.

इसे भी पढ़ें : आयुर्वेद और एलोपैथी के विवाद में अनिल विज की एंट्री, बाबा रामदेव और IMA को दी सलाह
इसमें आईएमए के शीर्ष अधिकारियों से एक धर्म के प्रचार और आयुर्वेदिक दवाओं या उपचार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए सार्वजनिक लिखित माफी मांगने को कहा गया है.


(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सिविल न्यायाधीश दीक्षा राव ने राजेंद्र सिंह राजपूत द्वारा दायर एक मुकदमे पर आईएमए, उसके अध्यक्ष डॉ जेए जयलाल, सचिव डॉ जयेश लेले, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और भारतीय मानक ब्यूरो को नोटिस जारी किया और नौ जुलाई तक उनका जवाब मांगा.

अधिवक्ता भरत मल्होत्रा (Advocate Bharat Malhotra) के माध्यम से दायर मुकदमे में अदालत से जयलाल, लेले और आईएमए को आयुर्वेद उपचा (ayurvedic treatment) के खिलाफ कोई भी अपमानजनक बयान देने से रोकने का आग्रह किया गया है. इसमें न्याय के हित में आयुर्वेद में विश्वास करने वाले लोगों की भावनाओं को आहत नहीं करने का भी अनुरोध किया गया है.

कोविड-19 टीकाकरण और एलोपैथिक दवा की प्रभावकारिता के खिलाफ कथित टिप्पणियों के बाद योग गुरु रामदेव और आईएमए प्रमुख के बीच जारी खींचतान के बीच अदालत का यह निर्देश आया है. याचिकाकर्ता ने आईएमए अध्यक्ष और सचिव को किसी भी धर्म का प्रचार करने या हिंदुओं या अन्य की भावनाओं को आहत करने के लिए आईएमए के मंच का उपयोग करने से रोकने का अनुरोध किया है.

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इसमें आईएमए के शीर्ष अधिकारियों से एक धर्म के प्रचार और आयुर्वेदिक दवाओं या उपचार के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए सार्वजनिक लिखित माफी मांगने को कहा गया है.


(पीटीआई-भाषा)

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