गुवाहाटी : असम में गुवाहाटी हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति को विदेशी घोषित करने का असम के एक न्यायाधिकरण का आदेश रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा है कि व्यक्ति को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए अपने उन सभी रिश्तेदारों से संबंधों के बारे में विस्तार से बताने की जरूरत नहीं है, जिनके नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं.
बारपेटा के विदेशी न्यायाधिकरण तृतीय ने आदेश दिया था कि मोहम्मद हैदर अली एक विदेशी है क्योंकि वह अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ अपने संपर्कों को साबित नहीं कर सकता जिनके नाम मतदाता सूची में अंकित हैं. हालांकि अपने माता-पिता और दादा-दादी के संबंध में उसने यह साबित कर दिया.
न्यायमूर्ति एन कोटीश्वर सिंह और न्यायमूर्ति मनीष चौधरी की पीठ ने न्यायाधिकरण का आदेश खारिज करते हुए अली को भारत का नागरिक घोषित किया. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता के कुछ रिश्तेदारों से संबंधों की व्याख्या नहीं कर पाने से उसकी नागरिकता के स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ सकता.
अली अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ संबंध साबित नहीं कर सके जिनके नाम 1970 की मतदाता सूची में हैं. हालांकि, अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वह इस बात को साबित करने में सफल रहे कि उनके पिता हरमुज अली और दादा नादू मियां के नाम मतदाता सूची में थे.
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विदेशी न्यायाधिकरण ने 30 जनवरी, 2019 को अपने आदेश में अली को अवैध प्रवासी और विदेशी घोषित किया था. तब अली ने आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. उच्च न्यायालय ने 30 मार्च को फैसला सुनाया था जिसे सोमवार को सार्वजनिक किया गया.