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मनी लॉन्ड्रिंग मामला : महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक की जमानत याचिका खारिज

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इस साल फरवरी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था. मलिक ने जुलाई में विशेष अदालत में नियमित जमानत याचिका दायर की थी. विशेष न्यायाधीश ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है.

नवाब मलिक
नवाब मलिक
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Published : Nov 30, 2022, 9:39 AM IST

Updated : Nov 30, 2022, 6:26 PM IST

मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों से जुड़े एक भूमि सौदे से संबंधित कथित धनशोधन मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को बुधवार को जमानत देने से इनकार कर दिया. धनशोधन रोकथाम कानून संबंधी मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीश आर. एन. रोकड़े ने मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी. विस्तृत आदेश बाद में उपलब्ध होगा. अदालत ने आदेश सुनाते हुए कहा कि धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धारा 45 के तहत निर्धारित दो शर्तें पूरी नहीं हुईं.

धारा 45 के अनुसार पीएमएलए मामलों में किसी आरोपी को अदालत जमानत दे सकती है, अगर यह मानने का उचित आधार है कि आरोपी प्रथम दृष्टया अपराध का दोषी नहीं है, और रिहा होने के बाद वह कोई अपराध नहीं करेगा. अदालत ने गवाहों के बयानों पर भी भरोसा किया और कहा कि विवादास्पद संपत्ति पर कब्जा अब भी जारी है. अदालत ने मलिक की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की लंबी दलीलों को सुनने के बाद 14 नवंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

  • Money laundering case | PMLA Court rejects the bail application of NCP leader and Maharashtra's former minister Nawab Malik.

    (File photo) pic.twitter.com/2rLXHg3wgI

    — ANI (@ANI) November 30, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस साल फरवरी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता मलिक को गिरफ्तार किया था. वह न्यायिक हिरासत में हैं और अभी उनका यहां के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. राकांपा नेता ने धन शोधन को लेकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई गंभीर अपराध नहीं होने की दलील देते हुए जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था. हालांकि जांच एजेंसी ने दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा दर्ज मामले को आधार मानते हुए जमानत का विरोध किया.

मलिक की जमानत याचिका जुलाई में दायर की गई थी. ईडी ने कहा कि मलिक के इब्राहिम और उसकी बहन हसीना पारकर के साथ कारोबारी संबंध थे और "उनके निर्दोष होने का कोई सवाल ही नहीं है." मलिक शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार में अल्पसंख्यक विकास मंत्री थे और उन्होंने दावा किया था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से मामले में फंसाया गया .

(इनपुट-एजेंसी)

मुंबई: मुंबई की एक विशेष अदालत ने माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों से जुड़े एक भूमि सौदे से संबंधित कथित धनशोधन मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को बुधवार को जमानत देने से इनकार कर दिया. धनशोधन रोकथाम कानून संबंधी मामलों की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीश आर. एन. रोकड़े ने मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी. विस्तृत आदेश बाद में उपलब्ध होगा. अदालत ने आदेश सुनाते हुए कहा कि धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धारा 45 के तहत निर्धारित दो शर्तें पूरी नहीं हुईं.

धारा 45 के अनुसार पीएमएलए मामलों में किसी आरोपी को अदालत जमानत दे सकती है, अगर यह मानने का उचित आधार है कि आरोपी प्रथम दृष्टया अपराध का दोषी नहीं है, और रिहा होने के बाद वह कोई अपराध नहीं करेगा. अदालत ने गवाहों के बयानों पर भी भरोसा किया और कहा कि विवादास्पद संपत्ति पर कब्जा अब भी जारी है. अदालत ने मलिक की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की लंबी दलीलों को सुनने के बाद 14 नवंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

  • Money laundering case | PMLA Court rejects the bail application of NCP leader and Maharashtra's former minister Nawab Malik.

    (File photo) pic.twitter.com/2rLXHg3wgI

    — ANI (@ANI) November 30, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस साल फरवरी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता मलिक को गिरफ्तार किया था. वह न्यायिक हिरासत में हैं और अभी उनका यहां के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. राकांपा नेता ने धन शोधन को लेकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई गंभीर अपराध नहीं होने की दलील देते हुए जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था. हालांकि जांच एजेंसी ने दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा दर्ज मामले को आधार मानते हुए जमानत का विरोध किया.

मलिक की जमानत याचिका जुलाई में दायर की गई थी. ईडी ने कहा कि मलिक के इब्राहिम और उसकी बहन हसीना पारकर के साथ कारोबारी संबंध थे और "उनके निर्दोष होने का कोई सवाल ही नहीं है." मलिक शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार में अल्पसंख्यक विकास मंत्री थे और उन्होंने दावा किया था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से मामले में फंसाया गया .

(इनपुट-एजेंसी)

Last Updated : Nov 30, 2022, 6:26 PM IST
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