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पॉक्सो मामले में गलत गिरफ्तारी के लिए पुलिस पर लगाया गया 5 लाख रुपये का जुर्माना

पॉक्सो मामले में गलत व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर अदालत ने पुलिस पर पांच लाख रु. का जुर्माना लगाया है. अदालत ने राज्य के गृह मंत्रालय के प्रधान सचिव को पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए भी कहा.

karnataka police concept photo
कर्नाटक पुलिस कॉन्सेप्ट फोटो
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Published : Dec 2, 2022, 4:31 PM IST

बेंगलुरु : कर्नाटक के इस जिले में पॉक्सो मामले में एक गलत व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार को पुलिस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. न्यायिक हिरासत में एक साल बिताने के बाद पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया व्यक्ति निर्दोष निकला.

फैसला सुनाते हुए जिला द्वितीय अतिरिक्त एफटीएससी पॉक्सो कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को जुर्माने की राशि अपने वेतन से देने को कहा. यह राशि पीड़ित को मुआवजे के रूप में सौंपी जाएगी. एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के मामले में नवीन के खिलाफ मंगलुरु ग्रामीण पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. पीड़िता का बयान दर्ज करने के बाद सब-इंस्पेक्टर रोसम्मा पी.पी. ने नवीन के खिलाफ पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया था. मामला पुलिस निरीक्षक रेवती को सौंपा गया.

जांच के दौरान, मंगलुरु ग्रामीण पुलिस स्टेशन से जुड़े एएसआई कुमार ने नवीन के बजाय नवीन सेक्वेरा को गिरफ्तार किया और न्यायाधीश के सामने पेश किया. पीड़ित लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में आरोपी नवीन के बारे में उल्लेख किया था और नवीन सेक्वेरा के नाम का उल्लेख नहीं किया था. मामले में इंस्पेक्टर रेवती ने नवीन के खिलाफ चार्जशीट पेश की. पीड़िता की ओर से बहस करने वाले वकीलों ने अदालत के संज्ञान में लाया कि अदालत में प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेजों में आरोपी के नाम का उल्लेख केवल नवीन के रूप में है, जिसकी उम्र 25 से 26 साल बताई गई है.

उन्होंने तर्क दिया, अदालत के संज्ञान में लाया गया कि गिरफ्तार नवीन सीक्वेरा की उम्र 47 वर्ष है. वकीलों ने तर्क दिया कि पुलिस ने गलत व्यक्ति को गिरफ्तार किया है और उसे एक साल की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. उन्होंने मामले में अपराधी को गिरफ्तार नहीं किया है. तर्को पर विचार करते हुए न्यायाधीश के.यू. राधा कृष्ण ने फैसला सुनाया कि नवीन सीक्वेरा निर्दोष है. उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने पर पुलिस निरीक्षक रेवती व एसआई रोसम्मा को जुर्माने की राशि अपने वेतन से देनी होगी.

अदालत ने राज्य के गृह मंत्रालय के प्रधान सचिव को पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए भी कहा. पीड़िता की ओर से वकील राजेश कुमार अमतादी और गिरीश शेट्टी ने बहस की.

ये भी पढ़ें : जेएनयू में ब्राह्मणों के खिलाफ लिखी गई अभद्र टिप्पणी मामले की होगी जांच : वीसी

बेंगलुरु : कर्नाटक के इस जिले में पॉक्सो मामले में एक गलत व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर एक स्थानीय अदालत ने शुक्रवार को पुलिस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. न्यायिक हिरासत में एक साल बिताने के बाद पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया व्यक्ति निर्दोष निकला.

फैसला सुनाते हुए जिला द्वितीय अतिरिक्त एफटीएससी पॉक्सो कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को जुर्माने की राशि अपने वेतन से देने को कहा. यह राशि पीड़ित को मुआवजे के रूप में सौंपी जाएगी. एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के मामले में नवीन के खिलाफ मंगलुरु ग्रामीण पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. पीड़िता का बयान दर्ज करने के बाद सब-इंस्पेक्टर रोसम्मा पी.पी. ने नवीन के खिलाफ पॉक्सो के तहत मामला दर्ज किया था. मामला पुलिस निरीक्षक रेवती को सौंपा गया.

जांच के दौरान, मंगलुरु ग्रामीण पुलिस स्टेशन से जुड़े एएसआई कुमार ने नवीन के बजाय नवीन सेक्वेरा को गिरफ्तार किया और न्यायाधीश के सामने पेश किया. पीड़ित लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में आरोपी नवीन के बारे में उल्लेख किया था और नवीन सेक्वेरा के नाम का उल्लेख नहीं किया था. मामले में इंस्पेक्टर रेवती ने नवीन के खिलाफ चार्जशीट पेश की. पीड़िता की ओर से बहस करने वाले वकीलों ने अदालत के संज्ञान में लाया कि अदालत में प्रस्तुत किए गए सभी दस्तावेजों में आरोपी के नाम का उल्लेख केवल नवीन के रूप में है, जिसकी उम्र 25 से 26 साल बताई गई है.

उन्होंने तर्क दिया, अदालत के संज्ञान में लाया गया कि गिरफ्तार नवीन सीक्वेरा की उम्र 47 वर्ष है. वकीलों ने तर्क दिया कि पुलिस ने गलत व्यक्ति को गिरफ्तार किया है और उसे एक साल की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. उन्होंने मामले में अपराधी को गिरफ्तार नहीं किया है. तर्को पर विचार करते हुए न्यायाधीश के.यू. राधा कृष्ण ने फैसला सुनाया कि नवीन सीक्वेरा निर्दोष है. उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने पर पुलिस निरीक्षक रेवती व एसआई रोसम्मा को जुर्माने की राशि अपने वेतन से देनी होगी.

अदालत ने राज्य के गृह मंत्रालय के प्रधान सचिव को पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए भी कहा. पीड़िता की ओर से वकील राजेश कुमार अमतादी और गिरीश शेट्टी ने बहस की.

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