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अदालत ने एनआईए को दिए सुधा भारद्वाज की जमानत अर्जी पर जवाब दाखिल करने के निर्देश

बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी सुधा भारद्वाज की जमानत अर्जी पर तीन जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.

Elgar case
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Published : Jun 22, 2021, 4:59 PM IST

मुंबई : एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी सुधा भारद्वाज को 28 अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया गया था और वह तब से जेल में हैं. उनके और कुछ अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था.

भारद्वाज ने जमानत की गुहार लगाते हुए दलील दी थी कि निचली अदालत के न्यायाधीश को उनके खिलाफ दायर 2019 के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है क्योंकि उस समय न्यायाधीश यूएपीए से जुड़े मामलों पर सुनवाई के लिए एनआईए कानून के तहत विशेष न्यायाधीश नहीं थे. न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जामदार की खंडपीठ ने मंगलवार को एनआईए के वकील संदेश पाटिल को याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.

यह भी पढ़ें-उत्तर बंगाल को अलग केंद्र शासित राज्य बनाने की भाजपा सांसद की मांग से सियासी घमासान

अगली सुनवाई के लिए तीन जुलाई की तारीख तय की. सुधा भारद्वाज ने अपनी याचिका में सूचना के अधिकार कानून के तहत उच्च न्यायालय से प्राप्त दस्तावेजों को आधार बनाते हुए तर्क दिया कि पुणे में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किशोर वदाने को पुणे पुलिस द्वारा फरवरी 2019 में दाखिल 1,800 पन्नों के पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी सुधा भारद्वाज को 28 अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया गया था और वह तब से जेल में हैं. उनके और कुछ अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था.

भारद्वाज ने जमानत की गुहार लगाते हुए दलील दी थी कि निचली अदालत के न्यायाधीश को उनके खिलाफ दायर 2019 के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है क्योंकि उस समय न्यायाधीश यूएपीए से जुड़े मामलों पर सुनवाई के लिए एनआईए कानून के तहत विशेष न्यायाधीश नहीं थे. न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जामदार की खंडपीठ ने मंगलवार को एनआईए के वकील संदेश पाटिल को याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.

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अगली सुनवाई के लिए तीन जुलाई की तारीख तय की. सुधा भारद्वाज ने अपनी याचिका में सूचना के अधिकार कानून के तहत उच्च न्यायालय से प्राप्त दस्तावेजों को आधार बनाते हुए तर्क दिया कि पुणे में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किशोर वदाने को पुणे पुलिस द्वारा फरवरी 2019 में दाखिल 1,800 पन्नों के पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है

(पीटीआई-भाषा)

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