जोधपुर. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दायर मानहानि मामले में कोर्ट ने फिलहाल सीएम को समन जारी नहीं किया है. अलबत्ता राऊज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को जांच के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर को 25 अप्रैल तक जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा है. ऐसे में मामले में अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होगी.
इससे पहले कोर्ट ने शेखावत की ओर से गहलोत को समन जारी करने की मांग की थी. इस पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन अब इतना तय हो गया है कि एक ही शहर के दो नेता केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और मुख्यमंत्री गहलोत के बीच खींचतान बढ़ गई है. इसकी वजह संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसाइटी घोटाला का मामला है. इसको लेकर एसओजी मंत्री शेखावत के खिलाफ ऐक्शन ले सकती है. मंत्री ने इससे बचने के लिए हाईकोर्ट में याचिका भी लगा दी है.
गहलोत बोले- सजा पाने को तैयार
21 मार्च को ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संक्षिप्त दौरे पर जोधपुर आए थे. उस दिन उन्होंने बयान दिया था कि लाखों लोग केंद्रीय मंत्री पर आरोप लगा रहे हैं. उनके प्रभाव से ही लोगों ने संजीवनी में निवेश किया था. इनके परिवार के लोगों के नाम लेनदेन हुआ है, फिर भी उन्होंने मेरे खिलाफ मानहानि का केस किया है. उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि संजीवनी के पीड़ितों को उनके रुपए वापस मिलें. इसके लिए उन्हें जेल जाना पडे़ या सजा भुगतनी पडे़ तो वे तैयार हैं.
संजीवनी पीड़ितों से मिलकर बोला था हमला
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत दिनों अपनी जोधपुर यात्रा के दौरान संजीवनी पीड़ित संघ के लोगों से मुलाकात की थी. इस दौरान लोगों ने उन्हें बताया कि किस तरह उनकी जीवन भर की कमाई उन्होंने संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी में लगाई थी, जो अब डूब गई है. कई परिवार ऐसे थे जिन्होंने अपनी बेटियों की शादी के लिए यहां निवेश किया था, लेकिन उनके रुपये भी डूब गए. लोगों की व्यथा सुनकर गहलोत द्रवित हो गए थे. इसके बाद उन्होंने पहली बार जोधपुर सर्किट हाउस में शेखावत को आरोपी बताया था.
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शेखावत का तर्क मेरा नाम नहीं चार्जशीट में
गहलोत के आरोप लगाए जाने के बाद शेखावत ने बयान दिया था कि सीएम किस बिना पर उन्हें आरोपी बता रहे हैं. जबकि उनका नाम बतौर आरोपी एसओजी की चार्जशीट में नहीं है जो कि कोर्ट में पेश हुई है. यह बात सही भी है, क्योंकि एसओजी ने अभी तक इस मामले में दो पूरक चार्जशीट दायर की है. पहली चार्जशीट में संजीवनी के मुखिया विक्रम सिंह और अन्य शामिल थे. दूसरी चार्जशीट डाकलिया परिवार और अन्य की गिरफ्तारी के बाद दायर हुई है. इनमें शेखावत पर आरोप नहीं है. इसी आधार पर शेखावत ने सीएम गहलोत की ओऱ से उनको आरोपी बताए जाने पर मानहानि का मामला दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में दायर किया है.
फाइनल चार्जशीट अभी बाकी
एसओजी ने वर्ष 2019 में संजीवनी मामले में एफआईआर दर्ज की थी जिसका नंबर 32 है. इस एफआईआर के आधार पर कई गिरफ्तारियां हुईं थीं. लेकिन एसओजी ने अभी इस मामले में फाइनल चार्जशीट दायर नहीं की है. अब तक की पेश की गई दोनों चार्जशीट में गजेंद्र सिंह शेखावत को आरोपी नहीं बनाया गया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि अब जो चार्जशीट आएगी उससे पहले उन पर गिरफ्तारी की तलावार लटक सकती है. इसके बाद उनका नाम आरोपियों की सूची में आ सकता है क्योंकि गहलोत ने तीन दिन पहले ही जोधपुर में कहा था कि संजीवनी में शेखावत की ही चलती है. उनको लोगों के रुपए लौटाने के लिए प्रयास करने चाहिए.
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शेखावत के करीबी गिरफ्तार
इस वर्ष छह जनवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर में थे. इस दिन ही एसओजी ने जोधपुर से सीए केवलचंद डाकलिया, उसके भाई गौतम डाकलिया सहित तीन जनों को हिरासत में लिया था और फिर गिरफ्तार कर लिया था. डाकलिया परिवार केंद्रीय मंत्री शेखावत के करीबी हैं. दोनों संजीवनी और नवप्रभा बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड में भागीदार भी रहे हैं. इसके बाद से यह तय माना जा रहा था कि एसओजी अब धीरे धीरे इस मामले में शेखावत पर शिकंजा कसेगी. इसके बाद संजीवनी और नवप्रभा के निदेशकों के बीच हुए लेनदेन के आधार पर आठ लोगों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट की शरण ली जिसमें केंद्रीय मंत्री शेखावत के साले अशोक राठौड़ भी शामिल हैं जिनकी गिरफ्तारी पर रेाक लगी हुई है.