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न्यायालय ने हत्या मामले में मध्य प्रदेश बसपा विधायक के पति की जमानत रद्द की - murder case

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में मध्य प्रदेश की बसपा विधायक के पति की जमानत बृहस्पतिवार को रद्द कर दी.

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Published : Jul 22, 2021, 1:33 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी को न्याय के प्रशासन से बचाने का प्रयास किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने निष्पक्ष आपराधिक कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए बसपा विधायक रामबाई सिंह के पति गोविंद सिंह को पुलिस महानिदेशक के निर्देशों में दूसरी जेल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का जमानत का आदेश रद्द करते हुए कहा कि इसमें कानूनी सिद्धांतों का सही इस्तेमाल नहीं किया. पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने आरोपी को जमानत देने में गंभीर गलती की है.

शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की आशंका की एक महीने के भीतर जांच की जाए. न्यायाधीश ने अपने 8 फरवरी के आदेश में कहा था कि दमोह पुलिस अधीक्षक और उनके अधीनस्थों द्वारा उन पर दबाव डाला गया था.

फरार चल रहे सिंह को 28 मार्च को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. जब शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को उसे गिरफ्तार करने या दंडात्मक कार्रवाई का सामना करने की एक समयसीमा दी थी.

शीर्ष अदालत ने 26 मार्च को कहा था कि आरोपी को बचाने का प्रयास किया गया क्योंकि डीजीपी ने कहा था कि अदालत के आदेश के बावजूद पुलिस उसे गिरफ्तार या पकड़ नहीं पाई थी. शीर्ष अदालत ने चौरसिया के बेटे सोमेश और राज्य सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाया. इन अपील में सिंह की जमानत रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

यह भी पढ़ें-पेगासस मामला : एसआईटी जांच का निर्देश देने को लेकर SC में याचिका दायर

दलीलों में दावा किया गया कि वह जमानत पर रहते हुए कई हत्या के मामलों में शामिल था. चौरसिया की मार्च 2019 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने तब सिंह और अन्य के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था.

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी को न्याय के प्रशासन से बचाने का प्रयास किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने निष्पक्ष आपराधिक कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए बसपा विधायक रामबाई सिंह के पति गोविंद सिंह को पुलिस महानिदेशक के निर्देशों में दूसरी जेल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का जमानत का आदेश रद्द करते हुए कहा कि इसमें कानूनी सिद्धांतों का सही इस्तेमाल नहीं किया. पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने आरोपी को जमानत देने में गंभीर गलती की है.

शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की आशंका की एक महीने के भीतर जांच की जाए. न्यायाधीश ने अपने 8 फरवरी के आदेश में कहा था कि दमोह पुलिस अधीक्षक और उनके अधीनस्थों द्वारा उन पर दबाव डाला गया था.

फरार चल रहे सिंह को 28 मार्च को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. जब शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को उसे गिरफ्तार करने या दंडात्मक कार्रवाई का सामना करने की एक समयसीमा दी थी.

शीर्ष अदालत ने 26 मार्च को कहा था कि आरोपी को बचाने का प्रयास किया गया क्योंकि डीजीपी ने कहा था कि अदालत के आदेश के बावजूद पुलिस उसे गिरफ्तार या पकड़ नहीं पाई थी. शीर्ष अदालत ने चौरसिया के बेटे सोमेश और राज्य सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाया. इन अपील में सिंह की जमानत रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

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दलीलों में दावा किया गया कि वह जमानत पर रहते हुए कई हत्या के मामलों में शामिल था. चौरसिया की मार्च 2019 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने तब सिंह और अन्य के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था.

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