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तेलंगाना : ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से फैल रहा कोरोना, जानें वजह

तेलंगाना के ग्रामीण इलाकों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं. महामारी को लेकर जागरुकता की कमी और कम टेस्टिंग इसके मुख्य कारण बताए जा रहे हैं. यात्री वाहनों में भीड़ भी एक कारण है. हल्के लक्षणों वाले कुल लोग इलाज के लिए डॉक्टरों के पास जा रहे हैं, जबकि अन्य खुद ही दवा ले रहे हैं, इसलिए गांवों में पॉजिटिव केस बढ़ रहे हैं.

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Published : May 26, 2021, 8:56 PM IST

कोरोना वायरस
कोरोना वायरस

हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी ग्रामीण आबादी को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही है. तेलंगाना के कई जिलों में कोरोना संक्रमण के मामलों में जबरदस्त इजाफा हुआ है. उपचार के अभाव में कोरोना के संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. आधिकारिक तौर पर दर्ज मामलों के अलावा बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनमें कोरोना के लक्षण हैं.

राज्य के सर्वेक्षण में कहा गया है कि तेलंगाना में 3.5 लाख लोगों में कोविड के लक्षण हैं. सर्वेक्षण करने वाली आशा कार्यकर्ताओं और नर्सों का कहना है कि अधिकांश ग्रामीणों ने लक्षणों के बारे में जानकारी साझा नहीं की.

नगर कुर्नूल में कोरोना
नगर कुर्नूल जिले में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं. जिले के हर 100 में से 13 लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं. अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र वाले इस जिले में पांच सप्ताह के भीतर कोरोना के मामले 15 गुना बढ़ गए. अप्रैल के पहले सप्ताह में जिले में पॉजिटिविटी रेट 0.85% थी और मई में बढ़कर 12.88% हो गई.

पांच हफ्ते में चार गुना बढ़े मामले
मंचेरियल जिले में प्रत्येक 100 में से 13 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं. यहां पॉजिटिविटी रेट पांच सप्ताह में चार गुना बढ़ गई है.

नलगोंडा जिले में अप्रैल के पहले सप्ताह में पॉजिटिविटी रेट 1.44% से बढ़कर मई के दूसरे सप्ताह में 10.10% हो गई. जिले के हलिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पॉजिटिविटी रेट 40.8 प्रतिशत दर्ज किया गया.

आदिवासियों की स्थिति
भद्राद्री कोठागुडम जिले के आदिवासी गांव शंभुनिगुडम में एक महीने में तीन लोगों की की मौत हुई है. इस गांव की कुल आबादी 600 है. अभी यहां 20 लोग कोरोना संक्रमित हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 350 लोग बुखार से पीड़ित हैं.

भद्राद्री कोठागुडम जिले के गुंडाला मंडल में एक महीने में 11 सदस्यों की मौत हुई है. यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक दिन में केवल 20-40 लोगों की ही जांच होती है.

आदिवासियों की कोरोना वायरस के इलाज को लेकर चिंता बढ़ गई है. वे पोषण की समस्या का सामना कर रहे हैं. राज्य के अन्य जिलों के आदिवासी क्षेत्रों में भी यही स्थिति है.

कम हो रही है जांच
वारंगल नगर जिले के कमलापुर पीएचसी में पहले 250-300 लोगों की जांच की जाती थी. अब यह संख्या घटकर 40-50 तक रह गई है. इसी तरह आदिलाबाद जिले में पीएचसी स्तर पर 35 और सीएचसी स्तर पर 50 परीक्षण किए जा रहे हैं. कुछ जिलों में पिछले कुछ दिनों से कोई परीक्षण नहीं किया गया है. संगारेड्डी जिले के अधिकांश पीएचसी में 20 से कम परीक्षण हो रहे हैं. वहीं, निजामाबाद जिले में मई के पहले सप्ताह में 11,423 परीक्षण किए गए, जबकि दूसरे सप्ताह में यह संख्या घटकर 8,921 हो गई.

यह भी पढ़ें- देश में कोरोना के 2 लाख से कम नए केस, 3,511 मौत, जानें राज्यों के हाल

तेंलगाना में अप्रैल के तीसरे सप्ताह से कोरोना टेस्ट की संख्या में गिरावट देखी जा रही है. ऐसा लगता है कि लॉकडाउन के कारण मुंबई और दिल्ली से कम कोविड किट आ रहे हैं, जो कम टेस्ट का कारण हो सकता है.

हैदराबाद : कोरोना वायरस महामारी ग्रामीण आबादी को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रही है. तेलंगाना के कई जिलों में कोरोना संक्रमण के मामलों में जबरदस्त इजाफा हुआ है. उपचार के अभाव में कोरोना के संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. आधिकारिक तौर पर दर्ज मामलों के अलावा बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनमें कोरोना के लक्षण हैं.

राज्य के सर्वेक्षण में कहा गया है कि तेलंगाना में 3.5 लाख लोगों में कोविड के लक्षण हैं. सर्वेक्षण करने वाली आशा कार्यकर्ताओं और नर्सों का कहना है कि अधिकांश ग्रामीणों ने लक्षणों के बारे में जानकारी साझा नहीं की.

नगर कुर्नूल में कोरोना
नगर कुर्नूल जिले में कोरोना के मामले तेजी से बढ़े हैं. जिले के हर 100 में से 13 लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं. अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र वाले इस जिले में पांच सप्ताह के भीतर कोरोना के मामले 15 गुना बढ़ गए. अप्रैल के पहले सप्ताह में जिले में पॉजिटिविटी रेट 0.85% थी और मई में बढ़कर 12.88% हो गई.

पांच हफ्ते में चार गुना बढ़े मामले
मंचेरियल जिले में प्रत्येक 100 में से 13 लोग कोरोना पॉजिटिव मिले हैं. यहां पॉजिटिविटी रेट पांच सप्ताह में चार गुना बढ़ गई है.

नलगोंडा जिले में अप्रैल के पहले सप्ताह में पॉजिटिविटी रेट 1.44% से बढ़कर मई के दूसरे सप्ताह में 10.10% हो गई. जिले के हलिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पॉजिटिविटी रेट 40.8 प्रतिशत दर्ज किया गया.

आदिवासियों की स्थिति
भद्राद्री कोठागुडम जिले के आदिवासी गांव शंभुनिगुडम में एक महीने में तीन लोगों की की मौत हुई है. इस गांव की कुल आबादी 600 है. अभी यहां 20 लोग कोरोना संक्रमित हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 350 लोग बुखार से पीड़ित हैं.

भद्राद्री कोठागुडम जिले के गुंडाला मंडल में एक महीने में 11 सदस्यों की मौत हुई है. यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक दिन में केवल 20-40 लोगों की ही जांच होती है.

आदिवासियों की कोरोना वायरस के इलाज को लेकर चिंता बढ़ गई है. वे पोषण की समस्या का सामना कर रहे हैं. राज्य के अन्य जिलों के आदिवासी क्षेत्रों में भी यही स्थिति है.

कम हो रही है जांच
वारंगल नगर जिले के कमलापुर पीएचसी में पहले 250-300 लोगों की जांच की जाती थी. अब यह संख्या घटकर 40-50 तक रह गई है. इसी तरह आदिलाबाद जिले में पीएचसी स्तर पर 35 और सीएचसी स्तर पर 50 परीक्षण किए जा रहे हैं. कुछ जिलों में पिछले कुछ दिनों से कोई परीक्षण नहीं किया गया है. संगारेड्डी जिले के अधिकांश पीएचसी में 20 से कम परीक्षण हो रहे हैं. वहीं, निजामाबाद जिले में मई के पहले सप्ताह में 11,423 परीक्षण किए गए, जबकि दूसरे सप्ताह में यह संख्या घटकर 8,921 हो गई.

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तेंलगाना में अप्रैल के तीसरे सप्ताह से कोरोना टेस्ट की संख्या में गिरावट देखी जा रही है. ऐसा लगता है कि लॉकडाउन के कारण मुंबई और दिल्ली से कम कोविड किट आ रहे हैं, जो कम टेस्ट का कारण हो सकता है.

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