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उत्तराखंड : आर-नॉट काउंट ने बढ़ाई टेंशन, लापरवाही पड़ेगी भारी - उत्तराखंड में R वैल्यू

अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी ने कोरोना की 'R' वैल्यू को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसने भारत के आठ राज्यों की चिंता बढ़ा दी है. इन आठ राज्यों में उत्तराखंड भी शामिल है. इस रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड में कोरोना का आर-नॉट काउंट (R Not Count) बढ़कर एक से ऊपर चला गया है, जो प्रदेश के लिए खतरे की घंटी है.

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Published : Aug 11, 2021, 9:30 PM IST

देहरादून : उत्तराखंड में लोगों की लापरवाही से कोरोना का खतरा एक बार फिर बढ़ गया है. मामले भले ही कम हो गए हों, लेकिन आर-नॉट काउंट ने चिंता बढ़ा दी है. अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी ने आर-नॉट काउंट को लेकर हाल में एक रिसर्च की है. इस रिसर्च ने कोरोना को लेकर उत्तराखंड समेत देश के करीब आठ राज्यों की चिंता बढ़ा दी है. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच मिशिगन यूनिवर्सिटी की ये रिसर्च चिंताजनक है. इस रिपोर्ट ने उत्तराखंड के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.

देश के अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर ने अपना प्रकोप दिखाया था. अस्पतालों में कोरोना मरीजों तक को बेड नहीं मिले थे. हालांकि अब कोरोना की दूसरी लहर पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है, लेकिन तीसरी लहर की आशंका के बीच देश के आठ राज्यों की चिंता बढ़ गई है. इसमें उत्तराखंड भी शामिल है.

पढ़ें- उत्तराखंड में कोरोना के मामले घटे, लेकिन संक्रामकता दर ने चिंता बढ़ाई

मिशिगन यूनिवर्सिटी के अध्ययन के अनुसार भारत के आठ राज्यों में कोविड का आर-नॉट काउंट (R Not Count) बढ़कर एक से ऊपर चला गया है. जिन आठ राज्यों की बात की जा रही है, उसमें मिजोरम सबसे ऊपर (1.56), मेघालय (1.27), सिक्किम (1.26), उत्तराखंड (1.17) , मणिपुर (1.08), केरल (1.2) दिल्ली (1.01) और हिमाचल हैं.

आर-नॉट काउंट है क्या?

आर-वैल्यू यानी आर-नॉट काउंट (R Not Count) वो तरीका है, जिसके जरिए यह समझने की कोशिश की जाती है कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं या फिर नीचे की ओर जा रहे हैं. आर-नॉट काउंट का मतलब है ये है कि एक व्यक्ति कितने लोगों को संक्रमित कर रहा है. अब एक बार फिर आर वैल्यू का बढ़ना चिंता का विषय है. सीधी भाषा में कहा जाए तो आर वैल्यू बढ़ता है तो भविष्य में कोरोना के मामले में बढ़ोत्तरी का खतरा रहता है. सामान्य रूप से किसी भी राज्य की R-वैल्यू एक आता है, तो इसका मतलब एक संक्रमित व्यक्ति एक अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है.

अगर किसी राज्य का R-वैल्यू एक है तो उस राज्य का एक संक्रमित व्यक्ति एक सामान्य व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है. आर-वैल्यू 0.95 होने का यह मतलब है कि प्रत्येक 100 संक्रमित व्यक्ति औसतन 95 अन्य लोगों को संक्रमित करेंगे. यदि आर-वैल्यू एक से कम है तो इसका मतलब यह होगा कि नये संक्रमित लोगों की संख्या इससे पूर्व की अवधि में संक्रमित हुए लोगों की संख्या से कम होगी. इसका मतलब है कि रोग के मामले घट रहे हैं. आर-वैल्यू जितनी कम होगी, उतनी तेजी से रोग घटेगा. इसके उलट यदि आर वैल्यू एक से अधिक होगा तो हर चरण में संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी. तकनीकी रूप से इसे महामारी का चरण कहा जाता है. यह संख्या जितनी बड़ी होगी महामारी आबादी में उतनी ही तेजी से फैलेगी.

R-नॉट काउंट कम करने के महत्वपूर्ण कारक

R-नॉट काउंट को कम करने के कई कारक हैं. इसमें मुख्य रूप से अगर किसी राज्य में कोरोना संक्रमित हो चुके व्यक्तियों की संख्या अधिक हो जाती है तो ऐसे में R-नॉट काउंट की वैल्यू भी कम हो जाएगी. क्योंकि जो व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो चुका है, उसके शरीर में कोरोना के प्रति रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो चुकी है. लिहाजा अगर बाकी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसके दोबारा संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है. इसके साथ ही अधिक से अधिक वैक्सीनेशन प्रक्रिया पर जोर देकर R-नॉट काउंट की वैल्यू को कम किया जा सकता है.

क्योंकि वैक्सीन ले चुके व्यक्तियों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है. लिहाजा अगर वो बाकी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसके दोबारा संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है. इसके साथ ही R-नॉट काउंट को कम करने के लिए जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा, ताकि वह कोरोना संक्रमण से बचाव के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करें.

पढ़ें- विशेषज्ञों ने किया आगाह- 'कोरोना के डेल्टा स्वरूप के साथ हर्ड इम्युनिटी संभव नहीं'

ऋषिकेश एम्स के निदेशक ने चेताया

अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की R-नॉट काउंट पर हुई रिसर्च को लेकर ऋषिकेश एम्स के निदेशक रविकांत ने चेताया है. उन्होंने कहा कि यदि लोगों का रवैया इसी तरह का रहा तो कोरोना की तीसरी लहर आने में देर नहीं लगेगी और इस तरह कोरोना की तीसरी लहर बड़ी तबाही लेकर आएगी.

निदेशक रविकांत ने कहा कि सभी को कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करना होगा. तभी कोरोना के तीसरी लहर से निपटा जा सकता है. साथ ही लोगों को टीकाकरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

नैनीताल हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती

कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट भी कई बार उत्तराखंड सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खडे़ कर चुका है. हरिद्वार कुंभ समेत चारधाम यात्रा को लेकर हाईकोर्ट उत्तराखंड सरकार को कई बार फटकार भी लगा चुका है. हाईकोर्ट ने तो चारधाम यात्रा पर रोक लगा रखी है.

लापरवाही पड़ सकती है भारी

उत्तराखंड में आर-नॉट काउंट एक से ऊपर जाने का बढ़ा कारण उत्तराखंड में बड़ी संख्या में आ रहे पर्यटक और उनके द्वारा कोविड गाइडलाइन का पालन नहीं करना है. मसूरी, नैनीताल और कैम्पटी फॉल में वीकेंड पर सैंकड़ों की संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं और वे सामाजिक दूरी का भी पालन नहीं कर रहे हैं.

एक्टिव केसों की संख्या हुई कम

प्रदेश में नए मरीज कम आने के साथ ही एक्टिव केसों की संख्या भी काफी कम हुई है. 20 जून को प्रदेश में कोरोना के 3,136 एक्टिव केस थे, वहीं 11 अगस्त को ये संख्या घटकर 4,35 हो गई. बता दें कि प्रदेश में अभीतक कोरोना के 3,42,502 मामले सामने आए है. इसमें से 3,28,658 लोग स्वस्थ हो चुके हैं. वहीं 7,369 मरीजों की कोरोना से मौत हुई है.

देहरादून : उत्तराखंड में लोगों की लापरवाही से कोरोना का खतरा एक बार फिर बढ़ गया है. मामले भले ही कम हो गए हों, लेकिन आर-नॉट काउंट ने चिंता बढ़ा दी है. अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी ने आर-नॉट काउंट को लेकर हाल में एक रिसर्च की है. इस रिसर्च ने कोरोना को लेकर उत्तराखंड समेत देश के करीब आठ राज्यों की चिंता बढ़ा दी है. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच मिशिगन यूनिवर्सिटी की ये रिसर्च चिंताजनक है. इस रिपोर्ट ने उत्तराखंड के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.

देश के अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड में कोरोना की दूसरी लहर ने अपना प्रकोप दिखाया था. अस्पतालों में कोरोना मरीजों तक को बेड नहीं मिले थे. हालांकि अब कोरोना की दूसरी लहर पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है, लेकिन तीसरी लहर की आशंका के बीच देश के आठ राज्यों की चिंता बढ़ गई है. इसमें उत्तराखंड भी शामिल है.

पढ़ें- उत्तराखंड में कोरोना के मामले घटे, लेकिन संक्रामकता दर ने चिंता बढ़ाई

मिशिगन यूनिवर्सिटी के अध्ययन के अनुसार भारत के आठ राज्यों में कोविड का आर-नॉट काउंट (R Not Count) बढ़कर एक से ऊपर चला गया है. जिन आठ राज्यों की बात की जा रही है, उसमें मिजोरम सबसे ऊपर (1.56), मेघालय (1.27), सिक्किम (1.26), उत्तराखंड (1.17) , मणिपुर (1.08), केरल (1.2) दिल्ली (1.01) और हिमाचल हैं.

आर-नॉट काउंट है क्या?

आर-वैल्यू यानी आर-नॉट काउंट (R Not Count) वो तरीका है, जिसके जरिए यह समझने की कोशिश की जाती है कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं या फिर नीचे की ओर जा रहे हैं. आर-नॉट काउंट का मतलब है ये है कि एक व्यक्ति कितने लोगों को संक्रमित कर रहा है. अब एक बार फिर आर वैल्यू का बढ़ना चिंता का विषय है. सीधी भाषा में कहा जाए तो आर वैल्यू बढ़ता है तो भविष्य में कोरोना के मामले में बढ़ोत्तरी का खतरा रहता है. सामान्य रूप से किसी भी राज्य की R-वैल्यू एक आता है, तो इसका मतलब एक संक्रमित व्यक्ति एक अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है.

अगर किसी राज्य का R-वैल्यू एक है तो उस राज्य का एक संक्रमित व्यक्ति एक सामान्य व्यक्ति को संक्रमित कर रहा है. आर-वैल्यू 0.95 होने का यह मतलब है कि प्रत्येक 100 संक्रमित व्यक्ति औसतन 95 अन्य लोगों को संक्रमित करेंगे. यदि आर-वैल्यू एक से कम है तो इसका मतलब यह होगा कि नये संक्रमित लोगों की संख्या इससे पूर्व की अवधि में संक्रमित हुए लोगों की संख्या से कम होगी. इसका मतलब है कि रोग के मामले घट रहे हैं. आर-वैल्यू जितनी कम होगी, उतनी तेजी से रोग घटेगा. इसके उलट यदि आर वैल्यू एक से अधिक होगा तो हर चरण में संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी. तकनीकी रूप से इसे महामारी का चरण कहा जाता है. यह संख्या जितनी बड़ी होगी महामारी आबादी में उतनी ही तेजी से फैलेगी.

R-नॉट काउंट कम करने के महत्वपूर्ण कारक

R-नॉट काउंट को कम करने के कई कारक हैं. इसमें मुख्य रूप से अगर किसी राज्य में कोरोना संक्रमित हो चुके व्यक्तियों की संख्या अधिक हो जाती है तो ऐसे में R-नॉट काउंट की वैल्यू भी कम हो जाएगी. क्योंकि जो व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो चुका है, उसके शरीर में कोरोना के प्रति रोग प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो चुकी है. लिहाजा अगर बाकी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसके दोबारा संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है. इसके साथ ही अधिक से अधिक वैक्सीनेशन प्रक्रिया पर जोर देकर R-नॉट काउंट की वैल्यू को कम किया जा सकता है.

क्योंकि वैक्सीन ले चुके व्यक्तियों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी है. लिहाजा अगर वो बाकी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उसके दोबारा संक्रमित होने का खतरा कम हो जाता है. इसके साथ ही R-नॉट काउंट को कम करने के लिए जनता को भी जागरूक होना पड़ेगा, ताकि वह कोरोना संक्रमण से बचाव के नियमों का पूर्ण रूप से पालन करें.

पढ़ें- विशेषज्ञों ने किया आगाह- 'कोरोना के डेल्टा स्वरूप के साथ हर्ड इम्युनिटी संभव नहीं'

ऋषिकेश एम्स के निदेशक ने चेताया

अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की R-नॉट काउंट पर हुई रिसर्च को लेकर ऋषिकेश एम्स के निदेशक रविकांत ने चेताया है. उन्होंने कहा कि यदि लोगों का रवैया इसी तरह का रहा तो कोरोना की तीसरी लहर आने में देर नहीं लगेगी और इस तरह कोरोना की तीसरी लहर बड़ी तबाही लेकर आएगी.

निदेशक रविकांत ने कहा कि सभी को कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करना होगा. तभी कोरोना के तीसरी लहर से निपटा जा सकता है. साथ ही लोगों को टीकाकरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

नैनीताल हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती

कोरोना की तीसरी लहर की तैयारियों को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट भी कई बार उत्तराखंड सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खडे़ कर चुका है. हरिद्वार कुंभ समेत चारधाम यात्रा को लेकर हाईकोर्ट उत्तराखंड सरकार को कई बार फटकार भी लगा चुका है. हाईकोर्ट ने तो चारधाम यात्रा पर रोक लगा रखी है.

लापरवाही पड़ सकती है भारी

उत्तराखंड में आर-नॉट काउंट एक से ऊपर जाने का बढ़ा कारण उत्तराखंड में बड़ी संख्या में आ रहे पर्यटक और उनके द्वारा कोविड गाइडलाइन का पालन नहीं करना है. मसूरी, नैनीताल और कैम्पटी फॉल में वीकेंड पर सैंकड़ों की संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं और वे सामाजिक दूरी का भी पालन नहीं कर रहे हैं.

एक्टिव केसों की संख्या हुई कम

प्रदेश में नए मरीज कम आने के साथ ही एक्टिव केसों की संख्या भी काफी कम हुई है. 20 जून को प्रदेश में कोरोना के 3,136 एक्टिव केस थे, वहीं 11 अगस्त को ये संख्या घटकर 4,35 हो गई. बता दें कि प्रदेश में अभीतक कोरोना के 3,42,502 मामले सामने आए है. इसमें से 3,28,658 लोग स्वस्थ हो चुके हैं. वहीं 7,369 मरीजों की कोरोना से मौत हुई है.

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