हैदराबादः कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए एक बार फिर लॉकडाउन महत्वपूर्ण हथियार साबित हो रहा है. देश के कुछ राज्यों ने संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है तो कुछ ने आंशिक पाबंदियां लगाई हैं. राज्य सरकारों के इस कदम से कोरोना की चेन टूट रही है. हालांकि इसका साइड इफेक्ट भी देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन में कोरोना की रफ्तार घटने के साथ आर्थिक गतिविधियां भी थमने लगी हैं. इसका सीधा असर सरकार के खजाने पर पड़ रहा है. इसके साथ ही आम लोगों के सामने भी आजीविका का संकट खड़ा होता जा रहा है.
झारखंड में 27 मई तक लॉकडाउन
झारखंड सरकार ने 22 अप्रैल को लॉकडाउन की घोषणा की थी. इसे पहले 6 मई , फिर 13 मई और अब 27 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने के साथ पाबंदियां भी बढ़ा दी हैं. कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर इसका सकारात्मक असर हुआ है. झारखंड में 21 अप्रैल को कोरोना के 5,041 नए केस मिले और 62 लोगों की जान गई. तब रिकवरी रेट राष्ट्रीय औसत से नीचे 78.79 फीसदी था. लॉकडाउन के बाद कोरोना की दूसरी लहर कमजोर होने लगी है. 14 मई को राज्य का रिकवरी रेट 84.05 फीसदी हो गया. झारखंड में लॉकडाउन के दौरान औद्योगिक गतविधियां जारी है. दैनिक जरूरत की दुकानें भी निर्धारित समय तक खोली जा रही हैं. हालांकि पर्यटन, परिवहन और मनोरंजन जैसी दूसरी गतिविधिय पर फिलहाल रोक है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष जनवरी महीने में बेरोजगारी दर 11.35 % थी जो मई में 16.5 % पर पहुंच गया है.
बिहार में 25 मई तक लॉकडाउन
बिहार सरकार ने 5 मई से 25 मई तक लॉकडाउन का ऐलान किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस फैसले से अब नए मरीजों के मिलने की संख्या करीब आधी हो गई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में लॉकडाउन लागू होने के बाद से कोविड-19 के मामलों में कमी आई है. पहले नए मामले औसतन 15000 से अधिक थे, जो अब घटकर 8000 से कम हो गए हैंं. इसी तरह रिकवरी रेट 85% हो गया है. हालांकि जानकारों के अनुसार लॉकडाउन से बिहार को करीब 6,222 करोड़ रुपए का नुकसान होगा.
हिमाचल में 26 मई तक कोरोना कर्फ्यू
हिमाचल सरकार ने 7 मई से 16 मई तक राज्य में कोरोना कर्फ्यू का आदेश दिया, जिसे बाद में 26 मई तक बढ़ा दिया गया. कोरोना कर्फ्यू के बावजूद प्रदेश में कोरोना के मामलों और मौत की संख्या में कमी नहीं आई है. अब कोरोना कर्फ्यू बढ़ा दिया गया है और सरकार को उम्मीद है कि मामलों में कमी आएगी. पर्यटन क्षेत्र कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में है. राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का 7 प्रतिशत हिस्सा है. यह लगभग 2800 करोड़ सालाना है. पर्यटन क्षेत्र को कम से कम 1800 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है. जिसमें होटल, टैक्सी और टूर ऑपरेटर शामिल हैं. अगर कोरोना जारी रहा तो यह सेब सीजन को भी झटका देगा.
राजस्थान में ₹1 लाख जुर्माने का प्रावधान
राजस्थान में कोरोना संक्रमण की दूसरी चेन को तोड़ने के लिए गहलोत सरकार ने 10 मई से 24 मई तक के लिए लॉकडाउन लागू किया हुआ है. इसके तहत अगर कोई व्यक्ति बाहर बिना किसी कारण के घूमता हुआ मिलता है तो उसके खिलाफ एक लाख रुपए के जुर्माना का प्रावधान किया गया है. राज्य में लॉकडाउन के बाद कोरोना संक्रमण के आंकड़ों में भी धीरे-धीरे गिरावट दर्ज होने लगी है, जहां लॉकडाउन से पहले रोज सामने आने वाले कोरोना के नए मामले करीब 20,000 तक पहुंच गए थे, वहीं लॉकडाउन में बाद ये आंकड़ा लगभग 15000 तक पहुंच गया है. राजस्थान में लगे लॉकडाउन में सरकार ने खासतौर पर श्रमिकों का पलायन रोकने के लिए उद्योगों में काम सुचारू रखने की अनुमति दी है. अप्रैल महीने में करीब 22 हजार करोड़ नुकसान का अनुमान लगाया गया था. 10 मई से लगे सख्त लॉकडाउन के बाद माना जा रहा है कि 14 सौ से 15 सौ करोड़ रुपए के कारोबार का नुकसान प्रतिदिन हो रहा है.
दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान घटे मरीज
दिल्ली में 19 अप्रैल को तालाबंदी की घोषणा की गई और यह अब भी जारी है. लॉकडाउन लागू होने के बाद दिल्ली में कोविड पॉजिटिविटी रेट तेजी से कम हो रहा है. अब यह करीब 11 फीसदी पर आ गया, जो 26 अप्रैल को 35 फीसदी से अधिक था. अर्थशास्त्री आकाश जिंदल के अनुसार, लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. लॉकडाउन ने महंगाई और बेरोजगारी दर को बढ़ा दिया है.
हरियाणा में 24 मई तक लॉकडाउन
हरियाणा सरकार ने 3 मई को सात दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया था, जिसे पहले 17 मई और अब एक बार फिर 24 मई तक बढ़ा दिया गया है. हालांकि 3 मई को लगाए गए लॉकडाउन के पहले ही राज्य के नौ जिलों में वीक एंड लॉकडाउन लगाया गया था. राज्य में लॉकडाउन से पहले करीब 14 से 15 हजार कोरोना के केस रोज आ रहे थे. फिलहाल कोरोना के नए मामले घटकर 10 से 11 हजार पर आ गए हैं. कृषि क्षेत्र पर लॉकडाउन का कोई बड़ा प्रभाव नहीं हुआ है लेकिन व्यापारी वर्ग पर इसका बुरा असर जरूर पड़ा है. एक अनुमान के अनुसार इस दौरान राज्य सरकार को करीब 2200 करोड़ रुपए राजस्व का नुकसान प्रतिमाह हो सकता है. हरियाणा में बेरोजगारी की दर 25 से 30 फीसदी रह सकती है.
उत्तराखंड में चरणबद्ध कोरोना कर्फ्यू
उत्तराखंड में कोविड कर्फ्यू अलग-अलग चरणों में लागू किया गया है. नौ अप्रैल को उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक में देहरादून में रात्रि कर्फ्यू लगाने के आदेश दिए गए. 9 अप्रैल को प्रदेश में 748 कोरोना के मामले आए थे 5 लोगों की मौत हुई थी. 327 लोग रिकवर हुए थे. सैंपल पॉजिटिविटी रेट 3.56% था और रिकवरी प्रतिशत 91.61% था. इसके बाद 26 अप्रैल को राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारियों ने अपने अपने जिलों के लिए 3 मई तक के लिए पूर्ण कर्फ्यू के आदेश जारी किए. इसके बाद 18 मई तक के लिए प्रदेश भर में पूर्ण कर्फ्यू लगाया गया. इस बार कर्फ्यू में सख्ती के निर्देश दिए गए और लोगों पर ज्यादा पाबंदियां लगाई गई. 11 मई को राज्य में 7120 मामले आए, 118 लोगों की मौत हुई, 4933 लोग रिकवर हुए, 6.25% सैंपल पॉजिटिविटी रेट रहा और रिकवरी प्रतिशत 66.73% था. फिलहाल उत्तराखंड में चार धाम यात्रा को पूरी तरह से यात्रियों के लिए रोक दिया गया है. आर्थिक रूप से पर्यटन सेक्टर पूरी तरह से ठप हो चुका है. उद्योगों को प्रदेश में छूट दी गई है. आपातकालीन सेवाओं से जुड़े विभागों को छोड़कर बाकी विभागों में अवकाश घोषित किया गया है. रोजमर्रा की जरूरतों के लिए सुबह 7:00 से सुबह 10:00 तक दुकानें खोलने के लिए छूट दी गई है.
ओडिशा में लॉकडाउन के बावजूद संक्रमण
ओडिशा में लॉकडाउन 5 मई से 19 मई तक प्रभावी है. लॉकडाउन लागू होने के बाद संक्रमणों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है. पिछले 11 दिनों में लगाए गए लॉकडाउन के बाद से संक्रमण की संख्या बढ़कर 1,17,015 हो गई है, अगर हम इस आंकड़े की तुलना 24 अप्रैल से 4 मई तक 11 दिनों की प्री-लॉकडाउन अवधि से करें, तो संख्या 85,052 है. अर्थव्यवस्था पर तालाबंदी का प्रभाव बड़ा है. हालांकि सरकार ने बड़े उद्योगों को अनुमति दी है व्यावसायिक गतिविधियों के बंद होने से अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. कृषि और संबद्ध क्षेत्र की गतिविधियां जारी हैं लेकिन मजदूरों की समस्या है क्योंकि वहां कोरोना संक्रमण का डर है. औद्योगिक और निर्माण कार्य जारी हैं लेकिन कोविड दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए अपनी मौजूदा क्षमता से काफी नीचे उत्पादन हो रहा है.
उत्तर प्रदेश में 24 मई तक लॉकडाउन
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में अप्रैल महीने से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने लगी थी, जिसके बाद सबसे पहले नाइट कर्फ्यू का एलान किया गया. इसके बावजूद कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आई. दिन-ब-दिन मरीज बढ़ने लगे, इसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में सप्ताह के तीन दिन शुक्रवार रात 8 बजे से सोमवार सुबह 7 बजे तक लॉकडाउन लगाया. जिसे बाद में बढ़ाकर शुक्रवार रात 8 बजे से मंगलवार सुबह 8 बजे तक कर दिया गया. अप्रैल माह में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगभग 7 हजार पहुंच गई. इसे देखते हुए सरकार ने 3 मई से 17 मई तक लॉक डाउन का एलान किया. 15 मई को कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने 24 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का निर्णय किया है. राज्य में लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं और कोरोनावायरस पीड़ितों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है. रिकवरी रेट में भी सुधार हो रहा है. जहां अप्रैल में 73 फीसदी रिकवरी रेट था, वहीं अब 87.9 फीसदी हो गया है. लॉकडाउन का असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर जरूर भी पड़ा है. हालांकि महामारी को देखते हुए व्यापारी संगठनों ने खुद आगे बढ़कर बाजार बंद करने का एलान किया था. सरकार ने कह रखा है कि उद्योग चलते रहेंगे, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि फैक्ट्रियों से उत्पादित माल की बिक्री कहां की जाएगी? बाजार बंद होने की वजह से डिमांड न के बराबर है. मुरादाबाद का इंपोर्ट बंद पड़ा है. वाराणसी का हैंडलूम सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ है. लखनऊ की सारी इंडस्ट्री बंदी के कगार पर है. अगर एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों की व्यवस्था चरमराई तो प्रदेश और देश की आर्थिक व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी. दुखद बात तो यह है कि सरकार ने जो प्रावधान कर रखे हैं, व्यापारियों को वही नहीं मिल पा रहा है.
मध्य प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू
मध्य प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू 17 मई तक लगाया गया. इसके बाद भोपाल, ग्वालियर जैसे कुछ शहरों में 24 मई तक कोरोना कर्फ्यू है. जिन जिलों में कोविड मरीजों की संख्या ज्यादा है, वहां 31 मई तक कोरोना कर्फ्यू लागू रहेगा. ऐसे जिले जहां कोरोना संक्रमण की पॉजिटिविटी दर 5 प्रतिशत से नीचे आ गई है वहां 17 मई के बाद धीरे-धीरे वैज्ञानिक ढंग से कोरोना कर्फ्यू को हटाया जा सकेगा. कोरोना के नए संक्रमित मामलों की संख्या प्रदेश में अब चार अंकों में आ गई है. कोरोना संक्रमण के मामले में देश के बड़े राज्यों में मध्य प्रदेश 15वें स्थान पर आ गया है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण दर 24% तक पहुंच गई थी, जो अब 11.8% हो गई है. राज्य में हर दिन जहां पहले 13 हजार के करीब मामले आ रहे थे अब रोजाना औसतन 8000 नए मामले आ गए हैं. कोरोना कर्फ्यू के कारण अनुमान लगाया जा रहा है कि एमपी को 21 हजार करोड़ से ज्यादा का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा.
तमिलनाडु में पूर्ण लॉकडाउन
तमिलनाडु में 23 मई तक पूर्ण तालाबंदी लागू कर दी गई है. सीएम स्टालिन ने लोगों से महामारी से निपटने के लिए सरकार का सहयोग करने को कहा है. इस समय रोजाना कोरोना पॉजिटिव मामले बढ़ते जा रहे हैं. उम्मीद है कि 10 दिन बाद पॉजिटिव केस में कमी आएगी. लॉकडाउन की वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था अब मंदी के दौर से गुजर रही है. जब पहला लॉकडाउन समाप्त हुआ तो सरकार 2020 में 66,000 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने में कामयाब रही थी. इस प्रयास के कारण अर्थव्यवस्था को थोड़ा बढ़ावा मिला. लेकिन अब एक बार फिर से लॉकडाउन लागू कर दिया गया है. ऐसे में निश्चित रूप से आर्थिक विकास में गिरावट आएगी.
कर्नाटक में 24 मई तक लॉकडाउन
कर्नाटक ने 24 मई तक लॉकडाउन है. कर्नाटक में 5 मई को कोरोना के 50,000 मामले देखे गए. लेकिन 15 मई को राज्य में 41,000 मामले देखे गए. इस बीच कोरोना के औसत 35000 मामले हर दिन सामने आ रहे हैं. लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. सभी दुकानें और प्रतिष्ठान बंद हो गए हैं. सरकार ने अभी तक कोई राहत उपाय घोषित नहीं किया है.
केरल में लॉकडाउन से पर्यटन पर असर
केरल में 8 मई को शुरू में 9 दिनों के लिए पूर्ण तालाबंदी की घोषणा की गई और फिर इसे 10 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया. लॉकडाउन का कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर क्या असर पड़ा, इसका आकलन फिलहाल नहीं किया जा सका है. केरल सरकार ने कहा है कि आने वाले हफ्तों में रोकथाम या प्रसार को धीमा करने पर लॉकडाउन के प्रभाव की समीक्षा की जा सकती है. केरल में पर्यटन राजस्व का प्रमुख साधन है, जो इनदिनों पूरी तरह से नुकसान में है. परिवहन, मनोरंजन और ऐसे अन्य क्षेत्र भी बहुत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. दिहाड़ी मजदूरों को हालांकि सरकार द्वारा पूरी तरह से संरक्षित किया जाता है क्योंकि उनके भोजन और अन्य वित्तीय जरूरतों का ध्यान रखा जाता है. प्रवासी श्रमिक आबादी को भी काम करने की अनुमति है क्योंकि सरकार ने निर्माण गतिविधियों को बंद नहीं किया है. सभी पंचायतों में सामुदायिक रसोई काम कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केरल में नौकरी छूटने और तालाबंदी के कारण एक भी व्यक्ति भूखा न रहे.
छत्तीसगढ़ में संक्रमण की रफ्तार घटी
छत्तीसगढ़ के ज्यादातर जिलों में 31 मई तक के लिए लॉकडाउन रखा गया है. हालांकि कुछ शर्तों के साथ जरूरी सामानों की दुकानों को खोलने की अनुमति है. हालांकि मॉल आदि बंद ही रखे गए हैं. छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के बाद कोरोना संक्रमितों के केस में काफी कमी आई है. अप्रैल माह में जहां रायपुर-भिलाई-दुर्ग जैसे शहरों में रोज लगभग 2 हजार केस मिल रहे थे वो अब 300 से 500 के बीच पहुंच गए हैं. मई माह के पहले हफ्ते में प्रदेशभर में 1,01,417 केस सामने आए थे, वहीं दूसरे सप्ताह में 69,808 केस सामने आए हैं. छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के चलते कई सेक्टर पर काफी बुरा असर पड़ा है. खासतौर पर कपड़ा कारोबार, हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक, सर्राफा जैसे कारोबार पर इसकी बुरी मार पड़ी है. इसके अलावा ग्रामीण किसानों को भी उनकी सब्जियों के दाम नहीं मिल पाए हैं. सार्वजनिक परिवहन सेवाओं से जुड़े लोगों पर भी काफी नुकसान का अनुमान है.
आंध्र प्रदेश में 18 घंटे का कर्फ्यू
आंध्र प्रदेश सरकार ने भी पाबंदियों को 31 मई तक बढ़ा दिया है. इस दौरान आपातकालीन सेवाएं और आवश्यक वस्तुओं को छूट दी गई है. राज्य में दूसरी लहर में हर दिन कोरोना के करीब 20,000 नए मरीज मिल रहे हैं. यहां वैक्सीन की भारी कमी है लिहाजा राज्य सरकार ने ग्लोबल टेंडर का फैसला किया है. आंध्र में कुल पॉजिटिव केस 13,88,803 है. इसमें एक्टिव केस 2,03,787 और मृतक 9173 हैं. राज्य फिलहाल वित्तीय संकट से गुजर रहा है. राज्य पहले से ही 50,000 करोड़ रुपए के वित्तीय घाटे में है. इस वित्तीय वर्ष स्थिति और खराब हो रही है.
तेलंगाना में 12 मई से लॉकडाउन
तेलंगाना में कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए 12 मई से 10 दिन के लिए लॉकडाउन लागू किया गया है. हालांकि आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सुबह 4 घंटे की छूट दी जा रही है. कोरोना टेस्ट कम होने के कारण पिछले कुछ महीनों में राज्य में मामलों की संख्या कम बनी हुई है. पॉजिटिविटी रेट करीब 7 फीसदी है. महामारी के कारण सरकारी खजाने का राजस्व गिर गया है. सिनेमा हॉल, क्लब, पब, खेल के मैदान, मनोरंजन स्थल और पार्क पूरी तरह से बंद हैं. हालांकि ई-कॉमर्स फर्मों को लॉकडाउन के घंटों के दौरान डिलीवरी की अनुमति है. सरकारी कार्यालय 33 प्रतिशत स्टाफ के साथ काम कर रहे हैं. राज्य मंत्रिमंडल की बैठक 20 मई को होगी. जिसमें स्थिति की समीक्षा के बाद आगे का फैसला लिया जाएगा.
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