भोपाल। कोरोना के बाद से पुरुषों के स्पर्म में भी गिरावट आई है, जिस किसी पुरुष को अगर कोरोना हुआ तो लगभग 3 महीने तक उसके स्पर्म यानी शुक्राणु बच्चा पैदा करने योग्य नहीं होते. यह दावा भोपाल में चल रहे आईवीएफ के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आईं आईवीएफ और एआरटी विशेषज्ञ और ISAR की प्रसिडेंट डॉक्टर नंदिता पाल्शेतकर ने किया. इस दौरान डॉ. नंदिता ने यह भी बताया कि उनके पास जो पेशेंट्स आते हैं उसमें अधिकतर जिम भी जाते हैं और जिम में उपयोग होने वाले प्रोटीन पाउडर से भी स्पर्म में गिरावट आती है.
राजधानी में विशेषज्ञों का जमावड़ा: कोरोना के दौरान मानवीय जीवन पर कई तरह की समस्याएं आई और इसके कई दुष्परिणाम भी सामने आए. अधिकतर मामलों में लोगों की मौत भी हो गई लेकिन, क्या कोविड आपको माता-पिता बनने से भी दूर कर सकता है इसकी एक चौंकाने वाला वाली जानकारी सामने आई है. भोपाल में चल रहे अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन में देश और बाहर से आए डॉक्टरों ने इस पर विचार विमर्श किया. यहां आईवीएफ और एआरटी विशेषज्ञों के साथ ही स्त्री रोग, नई टेक्नोलॉजी के विषय विशेषज्ञ शामिल हुए.
कोरोना का बुरा प्रभाव: इंडियन सोसाइटी ऑफ असिस्टेंट रीप्रोडक्शन यानी आईएसएआर के डॉक्टर ने बताया की टेस्ट ट्यूब बेबी के माध्यम से बच्चे पैदा करने के लिए अधिकतर लोग अग्रसर हो रहे हैं लेकिन इनके पास कोविड इफेक्टिव जो लोग आए उनमें कई पुरुष ऐसे थे जिनका स्पर्म इनक्रीस नहीं हो पाया, जबकि महिलाओं के अंडाशय पर उतना असर नहीं पड़ा. ISAR की प्रेसिडेंट और विशेषज्ञ डॉक्टर नंदिता ने बताया कि जिन पुरुषों को कोरोना की समस्या हुई और उसके बाद वह बच्चे चाह रहे थे, लेकिन उनके स्पर्म में प्रॉब्लम आना दिखाई दिया. टेस्ट में पता चला कि उनके स्पर्म बहुत नीचे चले गए या बन ही नहीं पा रहे थे. नंदिता ने बताया कि ऐसे में 3 से 6 महीने के बाद ही उन पुरुषों के स्पर्म लिए गए, वह भी ट्रीटमेंट के बाद.
प्रोटीन प्रोडक्ट करते हैं प्रभावित: ऑर्गेनाइजिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. रणधीर सिंह बताते हैं कि इस सम्मेलन में यह भी बातें निकल कर सामने आई कि ज्यादा जिम जाने से भी पुरुषों के स्पर्म पर असर पड़ता है और उसमें गिरावट आती है. रणधीर बताते हैं कि जिम के दौरान एक्सरसाइज और उसके बाद उपयोग होने वाले प्रोटीन प्रोडक्ट के माध्यम से भी यह देखने में आ रहा है कि पुरुषों के स्पर्म काउंट जो है वह कम हुई है.
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देर से शादी का असर: इस अंतरराष्ट्रीय स्तर की कांफ्रेंस के लिए देश भर से 800 से अधिक डेलीगेट्स भोपाल में इकट्ठा हुए हैं. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर के भी कई डॉक्टर यहां अपना प्रदर्शन कर रहे हैं. जर्मनी से आए डॉ. रॉबर्ट फिशर कहते हैं कि आज के समय में जॉब और कैरियर बनाने को लेकर युवा इतने गंभीर हैं कि भागदौड़ करने में लगे रहते हैं और शादी की जो सही उम्र 20 से 30 साल के बीच होती है वह निकल जाती है. फिर 30 साल के बाद कई गंभीर बीमारियां उन्हें घेर लेती हैं. ऐसे में युवक हो जाएं युवतियां उन्हें बच्चा पैदा करने में कठिनाइयां आती हैं.